कोर्ट में निम्बाराम के खिलाफ सबूत नहीं : कोर्ट के इस फैसले को कांग्रेस के लिए बड़ा झटका बताया जा रहा है

कोर्ट के इस फैसले को कांग्रेस के लिए बड़ा झटका बताया जा रहा है
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Highlights

  • RSS प्रचारक निंबाराम का एक बहुत ही चर्चित मामला राजस्थान की सुर्खियों में रहा था 
  • निंबाराम ने कोर्ट का सहारा लिया और ACB के आरोप को सीधे हाईकोर्ट में चुनौती दी
  • निम्बाराम के खिलाफ इस मामले में रिश्वत मांगे जाने के सबूत नहीं है
  • उपनेता प्रतिपक्ष राजेन्द्र राठौड़ ने विधानसभा में भी इस मुद्दे को उठाया और सरकार पर सवाल उठाए

RSS प्रचारक निंबाराम का एक बहुत ही चर्चित मामला राजस्थान की सुर्खियों में रहा था जब जून 2021 में निंबाराम पर BVG कंपनी के बकाया भुगतान मामले में ACB ने रिश्वत का प्रकरण दर्ज किया था. उस वक्त इस मामले पर सियासत भी खूब गर्म रही थी और कांग्रेस ने भाजपा सहित आरएसएस को जमकर आड़े हाथ लिया था. इस मामले में निंबाराम ने कोर्ट का सहारा लिया और ACB के आरोप को सीधे हाईकोर्ट में चुनौती दी. 

अब कोर्ट ने कर दिया मामला साफ 

रिश्वत के आरोप में फंसे निंबाराम को आज राजस्थान उच्च न्यायालय ने पूरी तरह से बरी कर दिया है और ACB की FIR को रद्द कर दिया है. हाईकोर्ट ने ना केवल ACB की FIR को रद्द कर दिया है बल्कि ट्रायल कोर्ट में चल रहे मामले को भी रद्द करने के आदेश दिए है. 

क्या कहा हाईकोर्ट ने 

इस पूरे मामले में राजस्थान हाई कोर्ट में फरजंद अली की एकल पीठ ने सुनवाई करते हुए 27 फरवरी को ही लिखित बहस के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया था. जिसे सोमवार को फरजंद अली की एकल पीठ ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए सुनाया है. कोर्ट के फैसले की माने तो निम्बाराम के खिलाफ इस मामले में रिश्वत मांगे जाने के सबूत नहीं है. 

मामला क्या था 

गौरतलब है कि आरएसएस प्रचारक निंबाराम पर जून 2021 में BVG के जयपुर नगर निगम ग्रेटर में बकाया 276 करोड़ रुपए के भुगतान के बदले 20 करोड़ रुपए की रिश्वत मांगने का मामला दर्ज किया था. ना केवल निंबाराम बल्कि जयपुर ग्रेटर मेयर सौम्या गुर्जर के पति राजाराम गुर्जर और BVG कंपनी के प्रतिनिधि ओमप्रकाश सप्रे और संदीप चौधरी पर भी इस मामले में केस दर्ज किया गया था. इस मामले में बाकी आरोपी जेल के भी रहे लेकिन निंबाराम ने इसे हाईकोर्ट में चुनौती दी. 

निंबाराम का पक्ष 

ACB द्वारा दर्ज FIR को कोर्ट में चुनौती देते हुए निंबाराम ने अपना पक्ष रखा था कि राजनीतिक द्वेष के चलते इस प्रकरण में उनका नाम शामिल किया गया है. साथ ही निंबाराम ने कहा - जिस वीडियो के आधार पर उनका नाम शामिल किया गया है उसमे भी रिश्वत को लेकर कोई बातचीत नही है.

ACB ने सरकार के दवाब में आकर इस प्रकरण में उनका नाम शामिल किया है. निंबाराम ने कोर्ट में लगाई गई अपनी याचिका में यह गुजारिश भी की थी कि ACB द्वारा उनके खिलाफ जो जांच की जा रही है उसे रोका जाए. 

विधानसभा में पहुंचा मामला

हाईकोर्ट से निंबाराम को बरी किए जाने के साथ ही उपनेता प्रतिपक्ष राजेन्द्र राठौड़ ने विधानसभा में भी इस मुद्दे को उठाया और सरकार पर सवाल उठाए. राठौड़ ने शांति धारीवाल पर चुटकी लेते हुए कहा कि - आपको हाईकोर्ट का फैसला पता नही होगा ? 

राठौड़ की चुटकी पर शांति धारीवाल ने जवाब देते हुए कहा कि - निंबाराम की बात छोड़ दीजिए. यहां उनकी बात करोगे तो अच्छा नहीं लगेगा. मेहरबानी करके उस बात को आगे मत बढ़ाओ,उसको परदे में रहने दो. सच्चाई आप भी जानते हो और हम भी जानते है.

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