Highlights
- हनुमानगढ़ में एथेनॉल फैक्ट्री के विरोध में किसानों और पुलिस के बीच तनाव बरकरार।
- किसानों से हुई दो दौर की वार्ता विफल, आंदोलन जारी रखने की चेतावनी।
- 10 दिसंबर को हुई हिंसा में फैक्ट्री की दीवार तोड़ी गई, वाहनों में आगजनी और पत्थरबाजी हुई।
- पुलिस ने 107 से अधिक किसानों पर मुकदमा दर्ज कर 40 को हिरासत में लिया।
हनुमानगढ़: राजस्थान (Rajasthan) के हनुमानगढ़ (Hanumangarh) में ड्यून एथेनॉल प्राइवेट लिमिटेड (Dune Ethanol Private Limited) फैक्ट्री के विरोध में किसानों और पुलिस के बीच तनाव जारी है। गुरुवार को किसानों से हुई दो दौर की वार्ता विफल रही। किसान नेताओं ने 17 दिसंबर को कलेक्ट्रेट घेराव की चेतावनी दी है।
नवीनतम घटनाक्रम: वार्ता विफल और तनाव बरकरार
हनुमानगढ़ जिले के टिब्बी क्षेत्र में ड्यून एथेनॉल प्राइवेट लिमिटेड फैक्ट्री के खिलाफ किसानों का विरोध प्रदर्शन लगातार तीसरे दिन भी जारी है। गुरुवार को किसानों और जिला प्रशासन के बीच दो दौर की वार्ता हुई, लेकिन कोई सहमति नहीं बन पाई और वार्ता विफल रही।
किसान अपनी मांगों पर अड़े हुए हैं, जिसमें फैक्ट्री का निर्माण कार्य रोकना प्रमुख है। वार्ता विफल होने के बाद किसानों ने आंदोलन जारी रखने की चेतावनी दी है और 17 दिसंबर को कलेक्ट्रेट घेराव का ऐलान किया है।
पुलिस और प्रशासन का पक्ष
एडीजी वीके सिंह का बयान
एडीजी वीके सिंह ने टिब्बी पहुंचकर स्थिति का जायजा लिया और पत्रकारों से बातचीत की। उन्होंने कहा कि 10 दिसंबर को सब कुछ शांतिपूर्ण चल रहा था, लेकिन कुछ बाहरी लोगों ने इस उपद्रव को भड़काया।
एडीजी ने यह भी बताया कि कई ग्रामीण फैक्ट्री लगने के पक्ष में हैं और पुलिस की ओर से कोई फायरिंग नहीं की गई है। उन्होंने सवाल उठाया कि प्रदर्शनकारियों के पास बुलेट के खोल कहां से आए।
उन्होंने यह भी बताया कि कई लोग कैमरे में पत्थर फेंकते और कानून तोड़ते हुए कैद हुए हैं, जिनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। एडीजी ने संयम बरतने और कानून हाथ में न लेने की अपील की।
हिंसा में शामिल लोगों पर कार्रवाई
एडीजी वीके सिंह ने जानकारी दी कि 10 दिसंबर को हुई हिंसा में शामिल 107 से अधिक किसानों और ग्रामीणों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया है। इनमें से 40 लोगों को हिरासत में लिया गया है।
उन्होंने बताया कि 36 से ज्यादा पुलिस और बॉर्डर होमगार्ड के जवान घायल हुए हैं, जिनमें से पांच गंभीर रूप से चोटिल हैं। एडीजी के अनुसार, 100 नामजद लोगों में 30 छोटे-बड़े जनप्रतिनिधि भी शामिल हैं।
मंत्री सुमित गोदारा और जोगाराम पटेल का बयान
मंत्री सुमित गोदारा और जोगाराम पटेल ने हनुमानगढ़ हिंसा को "प्रायोजित" बताया। उन्होंने आरोप लगाया कि यह किसानों का आंदोलन नहीं था, बल्कि बाहर से आए करीब एक हजार लोगों ने फैक्ट्री में हिंसा की।
मंत्रियों ने कहा कि सरकार वार्ता के लिए तैयार है और कानून सम्मत बातों को माना जाएगा, लेकिन कानून को हाथ में लेने वालों पर सख्त कार्रवाई होगी। उन्होंने कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए हर जरूरी कदम उठाने की बात कही।
कृषि मंत्री किरोड़ी लाल मीणा का बयान
कृषि मंत्री डॉ. किरोड़ी लाल मीणा ने कहा कि एथेनॉल फैक्ट्री का एमओयू पिछली कांग्रेस सरकार के समय हुआ था। उन्होंने हैरानी जताई कि उन्हीं के दल के विधायक अब किसानों के साथ मिलकर प्लांट पर धावा बोल रहे हैं।
मीणा ने कहा कि किसानों की समस्या वाजिब हो सकती है, लेकिन लोकतंत्र में हिंसा का कोई स्थान नहीं है। उन्होंने कहा कि वह खुद चार बार क्षेत्र का दौरा कर चुके हैं और कलेक्टर के जरिए किसानों तक संदेश भी पहुंचाया था।
उन्होंने किसानों से शांतिपूर्ण तरीके से अपनी बात सरकार तक पहुंचाने की अपील की। उन्होंने चेतावनी दी कि अगर इस तरह हिंसा का माहौल बनेगा तो निवेश के लिए निवेशक कैसे आएंगे।
किसान नेताओं का पलटवार और आगामी रणनीति
अखिल भारतीय किसान सभा का आरोप
अखिल भारतीय किसान सभा के जिला महासचिव मंगेज चौधरी ने पुलिस और प्रशासन के बयानों का खंडन किया। उन्होंने कहा कि यह घटना कलेक्टर की अनदेखी और कंपनी मालिक के साथ कथित "आर्थिक सेटिंग" का परिणाम है।
चौधरी ने आरोप लगाया कि पुलिस के हथियार जंग लगे थे, अन्यथा वे सैकड़ों किसानों की जान ले लेते। उन्होंने कहा कि किसान वार्ता का इंतजार ही करते रहे, लेकिन प्रशासन ने कोई ठोस कदम नहीं उठाया।
उन्होंने दोहराया कि 17 दिसंबर को किसान कलेक्ट्रेट का घेराव करेंगे और अपनी मांगों को मनवाने के लिए आंदोलन जारी रखेंगे।
महिलाओं का आरोप: पुलिस ने चलाई गोलियां
टिब्बी के गुरुद्वारा सिंह सभा में किसानों की बैठक के दौरान कुछ महिलाओं ने गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने कहा कि पुलिस ने प्रदर्शनकारियों पर गोलियां चलाईं और कई फायर किए।
एक महिला ने बुलेट का खोल भी दिखाया, जिससे पुलिस के गोली चलाने के आरोपों को बल मिला। हालांकि, एडीजी वीके सिंह ने पुलिस फायरिंग से इनकार किया है।
कांग्रेस का समर्थन और नेताओं की गिरफ्तारी
कांग्रेस पार्टी ने इस किसान आंदोलन को अपना समर्थन दिया है। श्रीगंगानगर सांसद कुलदीप इंदौरा और संगरिया विधायक अभिमन्यु पूनिया जैसे कई कांग्रेस नेता किसानों के समर्थन में आगे आए हैं।
बुधवार को किसान सभा में जा रहे कांग्रेस जिलाध्यक्ष रुपिंदर सिंह कुन्नर और अन्य कार्यकर्ताओं को पुलिस ने हिरासत में ले लिया था। विधायक अभिमन्यु पूनिया भी लाठीचार्ज में घायल हुए, उनके सिर पर तीन टांके लगे हैं।
कांग्रेस नेताओं ने घटना के लिए जिला कलेक्टर और एसपी को जिम्मेदार ठहराया है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस किसानों के हक की लड़ाई सड़क से लेकर विधानसभा तक लड़ेगी।
10 दिसंबर को हुई हिंसा: क्या हुआ था?
फैक्ट्री की दीवार तोड़ी, आगजनी और पत्थरबाजी
बुधवार, 10 दिसंबर को किसानों ने टिब्बी इलाके के राठीखेड़ा गांव में निर्माणाधीन ड्यून एथेनॉल प्राइवेट लिमिटेड फैक्ट्री पर धावा बोल दिया। किसानों ने ट्रैक्टरों की मदद से फैक्ट्री की दीवार तोड़ दी और अंदर घुस गए।
प्रदर्शनकारियों ने फैक्ट्री परिसर में खड़ी गाड़ियों में तोड़फोड़ की और 16 वाहनों को आग के हवाले कर दिया। इनमें 10 निजी गाड़ियां, एक पुलिस वाहन और 4 बाइक शामिल थीं। एक जेसीबी को भी जला दिया गया और दो में तोड़फोड़ की गई।
प्रदर्शनकारियों ने फैक्ट्री कर्मियों के आवासीय परिसर में भी आग लगा दी। इसके बाद पुलिस और किसानों के बीच जमकर पत्थरबाजी हुई, जिसमें दोनों ओर से कई लोग घायल हुए।
पुलिस ने भीड़ को नियंत्रित करने के लिए आंसू गैस के गोले दागे और हल्का बल प्रयोग किया। इस बवाल में कांग्रेस विधायक अभिमन्यु पूनिया सहित 70 से ज्यादा लोग घायल हुए।
इंटरनेट बंद और पलायन
हिंसा के बाद जिला प्रशासन ने टिब्बी कस्बे और आसपास के गांवों में इंटरनेट सेवा पूरी तरह बंद कर दी। इलाके में तनाव का माहौल बना हुआ है और धारा 163 लागू कर दी गई है।
फैक्ट्री के आसपास रहने वाले करीब 30 परिवार पुलिस के डर से अपने घर छोड़कर भाग गए हैं। कई छोटे गांव खाली हो गए हैं और लोगों में भय का माहौल है।
एथेनॉल फैक्ट्री का पूरा मामला क्या है?
प्लांट का निर्माण और उद्देश्य
चंडीगढ़ में रजिस्टर्ड ड्यून एथेनॉल प्राइवेट लिमिटेड कंपनी हनुमानगढ़ के राठीखेड़ा में 40 मेगावाट का अनाज आधारित एथेनॉल प्लांट लगा रही है। यह एशिया की सबसे बड़ी एथेनॉल फैक्ट्री बताई जा रही है, जिसकी लागत करीब 450 करोड़ रुपये है।
कंपनी का दावा है कि यह प्लांट केंद्र सरकार के एथेनॉल ब्लेंडेड पेट्रोल (EBP) कार्यक्रम का समर्थन करेगा। जिला कलेक्टर डॉ. खुशाल यादव ने बताया कि फैक्ट्री को सभी आवश्यक अनुमतियां मिल चुकी हैं और इसका एमओयू 'राइजिंग राजस्थान' के दौरान हुआ था।
विरोध की शुरुआत और उसका बढ़ना
किसानों का इस एथेनॉल प्लांट के खिलाफ विरोध काफी समय से चल रहा है। सितंबर 2024 से जून 2025 तक लगभग 10 महीने तक यह विरोध शांतिपूर्ण तरीके से चला।
जुलाई 2025 में विरोध तब तेज हुआ जब कंपनी ने चारदीवारी (बाउंड्री वॉल) का निर्माण शुरू किया। किसानों का आरोप है कि प्रशासन ने उन्हें लिखित में फैक्ट्री का काम रोकने का आश्वासन नहीं दिया था।
19 नवंबर 2025 को पुलिस सुरक्षा में फैक्ट्री का निर्माण फिर से शुरू हुआ, जिसके बाद किसान नेता महंगा सिंह सहित 12 से अधिक किसान नेताओं को गिरफ्तार किया गया। 20-21 नवंबर को 67 लोगों ने गिरफ्तारी दी।
पर्यावरण मंजूरी और किसानों की चिंताएं
किसानों का मुख्य आरोप है कि फैक्ट्री लगने से इलाके में प्रदूषण बढ़ेगा, जिससे इंदिरा गांधी नहर परियोजना (आईजीएनपी) का प्रदूषित पानी पहले से ही एक बड़ी समस्या है। कंपनी को अभी तक पर्यावरण क्लियरेंस (EC) नहीं मिली है और 2022 से इसका आवेदन लंबित है।
किसान संगठनों का कहना है कि जब तक कंपनी को पर्यावरण मंजूरी नहीं मिलती और स्थानीय लोगों की सहमति नहीं मिलती, वे फैक्ट्री नहीं बनने देंगे। वे क्षेत्र में प्रदूषण बढ़ने की आशंका जता रहे हैं।
आंदोलन पर राजनीतिक प्रतिक्रियाएं
विपक्षी दलों का समर्थन
कांग्रेस और माकपा सहित कई विपक्षी दलों ने इस किसान आंदोलन को अपना समर्थन दिया है। श्रीगंगानगर सांसद कुलदीप इंदौरा ने लोकसभा में भी टिब्बी एथेनॉल फैक्ट्री का मुद्दा उठाया और इसे बंद करने की मांग की।
उन्होंने कहा कि कांग्रेस किसानों के साथ खड़ी है और जनता की भावनाओं को समझकर काम करने वाली सरकार उनकी सुनवाई नहीं कर रही है।
भाजपा विधायक की समझाइश
सादुलशहर के भाजपा विधायक गुरवीर सिंह बराड़ ने टिब्बी के गुरुद्वारा सिंह सभा पहुंचकर किसानों से समझाइश की। उन्होंने आश्वासन दिया कि किसानों की बातें सरकार तक पहुंचाई जाएंगी और जो भी दोषी होगा, उस पर कार्रवाई होगी।
वर्तमान स्थिति और भविष्य की चुनौतियां
सुरक्षा व्यवस्था और सामान्य जनजीवन
टिब्बी और राठीखेड़ा में 1500 से अधिक पुलिसकर्मी, आरएसी के जवान और होमगार्ड तैनात हैं। गुरुवार को बाजार खुले रहे और सामान्य चहल-पहल दिखाई दी, लेकिन इंटरनेट सेवा अभी भी बंद है।
कई परिवार अभी भी अपने घरों से दूर हैं और इलाके में तनावपूर्ण शांति बनी हुई है। पुलिस लगातार स्थिति पर नजर बनाए हुए है।
किसानों की आगे की रणनीति
किसान संगठन 13 दिसंबर को राज्य और केंद्र सरकार के खिलाफ प्रदर्शन करेंगे। इसके बाद 17 दिसंबर को कलेक्ट्रेट का घेराव करने की योजना है।
किसान नेताओं ने चेतावनी दी है कि जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं होतीं, तब तक आंदोलन जारी रहेगा। यह देखना होगा कि प्रशासन और सरकार इस गतिरोध को तोड़ने के लिए क्या कदम उठाते हैं।
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