Jaipur Serial Blasts Case: सचिन पायलट से पूछा कांग्रेस के कार्यकर्ताओं ने ही सवाल, जयपुर सीरियल बम धमाकों के आरोपियों की रिहाई के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट क्यों गई सरकार?

Congress workers have confronted Sachin Pilot, seeking clarification on the government's decision to approach the Supreme Court concerning the release of the accused in the Jaipur serial blasts. The move has triggered a contentious debate, with concerns raised about the legal proceedings and public safety.

Congress Workers Question Sachin Pilot

Jaipur Bomb Blast 2008: राजस्थान की कांग्रेस सरकार (Congress) पर अब उनकी ही पार्टी के कार्यकर्ता सवाल उठाने लगे हैं पहले राजेन्द्र गुढ़ा तो अब पार्टी के एक स्थानीय कार्यकर्ता का वीडियो सामने आया है। 

दरअसल, बीते दो दिनों के लिए प्रदेश के पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट (Sachin Pilot) टोंक दौरे पर थे इस दौरन उनकी ही पार्टी के कार्यकर्ताओं ने उन्हें घेर लिया और जयपुर बम धमाकों (Jaipur Bomb Blast 2008) के आरोपियों को हाईकोर्ट से रिहाई को लेकर सवाल करने लगे। 

कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने सचिन पायलट से पूछा कि जयपुर बम ब्लास्ट के आरोपियों को जब हाईकोर्ट ने रिहा कर दिया तो उनके खिलाफ कांग्रेस सरकार सुप्रीम कोर्ट क्यों गई?

इस पर सचिन पायलट ने कहा कि मजहब की बात मत करो, आपको हक है बात रखने का लेकिन ये पार्टी का निर्णय है और आपको मजहब से हटके पार्टी के लिए काम करना चाहिए.

आगे जब उनसे समुदाय विशेष के कार्यकर्ताओं ने पूछा कि आपने नासिर-जुनैद के मामले में एक शब्द तक नहीं बोला।

इसके जवाब में पायलट ने कहा कि, आप लोग ये जो बेकार की बातें कर रहे हो, गलतफहमी फैला रही हो, यह ठीक नहीं है। यह गलतफहमी है । इसके बाद पायलट अपनी गाड़ी में बैठ जाते हैं और कार्यकर्ता मुर्दाबाद के नारे लगाने लग जाते हैं।

मामले का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। इसके बाद बीजेपी के एक कार्यकर्ता ने ट्वीट पर लिखा कि 2 दिन  ‘2 दिन पहले सचिन पायलट टोंक गये थे, तो शान्तिप्रिय समुदाय के लोग उन्हें घेर कर पुछ रहे हैं की जब जयपुर बम  धमाकों के आतंकियों को हाईकोर्ट ने रिहा कर दिया तो उसके खिलाफ आपकी सरकार सुप्रीम कोर्ट क्यों गई?’

मालूम हो, 2008 के सीरियल बम धमाकों से जयपुर शहर दहल गया था। इसमें करीब 100 लोगों की जान गई थी। जबकि 200 के करीब लोग घायल हुए थे। इस मामले में कमजोर पैरवी के चलते राजस्थान हाईकोर्ट ने सभी आरोपियों को बरी कर दिया था।