राजस्थान मानसून 2024: मोरेल बांध पांच साल बाद फिर छलका, सवाई माधोपुर और दौसा में खुशी की लहर
राजस्थान के दौसा जिले का सबसे बड़ा और एशिया का सबसे बड़ा कच्चा डेम मोरेल बांध इस मानसून के दौरान पांच साल बाद एक बार फिर छलक पड़ा है। मोरेल बांध पर चादर चलने के बाद लालसोट उपखंड के साथ-साथ सवाई माधोपुर जिले की बौली, बामनवास, मलारना डूंगर समेत कई तहसीलों के लोगों में खुशी की लहर दौड़ गई।
दौसा - राजस्थान के दौसा जिले का सबसे बड़ा और एशिया का सबसे बड़ा कच्चा डेम मोरेल बांध इस मानसून के दौरान पांच साल बाद एक बार फिर छलक पड़ा है। मोरेल बांध पर चादर चलने के बाद लालसोट उपखंड के साथ-साथ सवाई माधोपुर जिले की बौली, बामनवास, मलारना डूंगर समेत कई तहसीलों के लोगों में खुशी की लहर दौड़ गई। बांध पर चादर चलने की खबर मिलते ही बड़ी संख्या में लोग इस अद्भुत दृश्य को देखने के लिए वहां पहुंच गए।
प्रशासन की मुस्तैदी और सुरक्षा इंतजाम
प्रशासन और पुलिस ने तत्परता दिखाते हुए किसी भी अप्रिय घटना से बचने के लिए लोगों को बांध की वेस्ट वेयर से दूर रखा। जल संसाधन विभाग के सहायक अभियंता चेतराम मीना ने बताया कि मोरेल बांध का जलस्तर बुधवार सुबह तक बीते 12 घंटों में करीब एक फीट बढ़कर 30 फीट तक पहुंच गया था। इसके बाद, सुबह करीब 10 बजे मोरेल बांध का जलस्तर अपने पूर्ण भराव, यानी 30 फीट 5 इंच तक पहुंच गया और ठीक 10:30 बजे बांध पर चादर चलने लगी।
लोगों की भीड़ और प्रशासन की सख्ती
बांध पर चादर चलने की खबर मिलते ही बुधवार सुबह से ही लोगों की भीड़ वहां उमड़ने लगी। हालांकि, इस बार प्रशासन पूरी तरह सतर्क था। बारिश के दौरान प्रदेश में हुए हादसों के मद्देनजर उपखंड प्रशासन ने वेस्ट वेयर के आसपास सुरक्षा बैरिकेड्स लगवाकर पुलिस बल तैनात किया। उपखंड अधिकारी नरेन्द्र कुमार मीना ने भीड़ को नियंत्रित करने के लिए खुद हाथ में लाठी थामनी पड़ी।
जलस्तर बढ़ने की उम्मीद, प्रशासन सतर्क
मोरेल नदी में फिलहाल 4 फीट पानी बह रहा है, जिसके चलते आगामी दिनों में बांध पर ढाई फीट तक की चादर चलने का अनुमान है। जयपुर क्षेत्र में हो रही भारी बारिश के चलते 2019 की तरह इस वर्ष भी करीब एक से दो महीने तक चादर चलने की संभावना जताई जा रही है। जल संसाधन विभाग के कनिष्ठ अभियंता अंकित कुमार मीना ने बांध की पाल पर स्थित पीर की मजार पर चादर चढ़ाकर अमन और चैन की दुआ की। गौरतलब है कि मोरेल बांध पर इससे पहले 2019 में करीब 21 साल के लंबे इंतजार के बाद चादर चली थी।
भूजल स्तर में बढ़ोतरी और सिंचाई के लिए वरदान
मोरेल बांध दौसा और सवाई माधोपुर जिले के सैकड़ों गांवों के हजारों किसानों के लिए जीवनरेखा माना जाता है। इस बांध से हर साल रबी की फसलों के लिए पानी छोड़ा जाता है, जिससे करीब 19 हजार हेक्टेयर भूमि की सिंचाई होती है। साथ ही, बांध के आसपास बसे दर्जनों गांवों में भूजल स्तर में भी बढ़ोतरी होगी। दौसा जिले से गुजरने वाली पूर्वी नहर 6705 हेक्टेयर भूमि की सिंचाई करती है, जिसमें दौसा जिले के 13 और सवाई माधोपुर जिले के 15 गांव शामिल हैं।
सवाई माधोपुर जिले की बौली और मलारना डूंगर तहसीलों के 55 गांवों को इस बांध के पानी से सबसे अधिक लाभ मिलता है। मुख्य नहर से इन गांवों की कुल 12,388 हेक्टेयर भूमि की सिंचाई होती है, जो कुल 28 किमी लंबी है।
मोरेल बांध की महत्वपूर्ण जानकारी
निर्माण कार्य शुरू: 1948
निर्माण कार्य पूरा: 1952
कुल भराव क्षमता: 30 फीट 5 इंच
बांध की नहरें: पूर्वी नहर और मुख्य नहर
पानी का फैलाव: करीब 10 किमी
सिंचाई क्षेत्र: पूर्व नहर से 6705 हेक्टेयर और मुख्य नहर से 12,388 हेक्टेयर भूमि
सिंचित गांव: दौसा और सवाई माधोपुर जिले के कुल 83 गांव
मोरेल बांध इस क्षेत्र के किसानों के लिए एक वरदान साबित होता रहा है, और इस साल की बारिश ने फिर से किसानों और स्थानीय निवासियों में उम्मीद और उत्साह का संचार किया है।