USA: एपस्टीन सेक्स स्कैंडल: फाइल्स खुलने में 2 दिन, ट्रम्प का नाम, दुनिया में डर
जेफ्री एपस्टीन (Jeffrey Epstein) सेक्स स्कैंडल (Sex Scandal) की फाइल्स (Files) 2 दिन में खुलेंगी। ट्रम्प (Trump) का नाम आने से दुनिया के नेताओं (Leaders) और बिजनेसमैन (Businessman) में डर है। क्या भारतीय (Indian) भी इसमें हैं?
वॉशिंगटन डीसी: जेफ्री एपस्टीन (Jeffrey Epstein) सेक्स स्कैंडल (Sex Scandal) की फाइल्स (Files) 2 दिन में खुलेंगी। ट्रम्प (Trump) का नाम आने से दुनिया के नेताओं (Leaders) और बिजनेसमैन (Businessman) में डर है। क्या भारतीय (Indian) भी इसमें हैं?
कुख्यात यौन अपराधी जेफ्री एपस्टीन से जुड़े दशकों पुराने सरकारी रिकॉर्ड 19 दिसंबर को सार्वजनिक होने वाले हैं। इन फाइलों में एपस्टीन केस से जुड़े सभी ईमेल, तस्वीरें, गवाहों के बयान और अन्य गोपनीय डॉक्यूमेंट्स शामिल होंगे, जो इस पूरे नेटवर्क की भयावह सच्चाई को सामने ला सकते हैं।
इन दस्तावेजों का मुख्य उद्देश्य एपस्टीन के पूरे नेटवर्क की गहराई से जांच करना है, जिसमें नाबालिग लड़कियों का व्यवस्थित शोषण हुआ और दुनिया के कई बेहद ताकतवर लोग, जिनमें राजनेता, उद्योगपति और शाही परिवार के सदस्य शामिल हैं, इससे जुड़े थे। इन फाइलों के खुलने में अब सिर्फ दो दिन बाकी हैं, जिससे अमेरिका ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया के राजनीतिक और कारोबारी गलियारों में जबरदस्त हलचल और घबराहट का माहौल है।
एपस्टीन फाइल्स: वैश्विक हलचल और भारतीय कनेक्शन की आशंका
ट्रम्प सहित कई हाई-प्रोफाइल हस्तियों की तस्वीरें पहले ही हुईं सार्वजनिक
इस बहुचर्चित मामले से जुड़ी कुछ तस्वीरें पहले ही सार्वजनिक हो चुकी हैं। इससे पहले, इस केस से जुड़ी 19 तस्वीरें 12 दिसंबर को पब्लिक हुई थीं, जिन्होंने दुनिया भर में सनसनी मचा दी थी।
इन तस्वीरों में तीन तस्वीरें पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की भी थीं, जो एपस्टीन के साथ उनकी निकटता को दर्शाती हैं। इन तस्वीरों में ट्रम्प को विभिन्न सामाजिक आयोजनों में एपस्टीन के साथ देखा गया था, जिससे उनके संबंधों को लेकर कई सवाल उठे।
इनके अलावा, अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति बिल क्लिंटन और दुनिया के सबसे धनी व्यक्तियों में से एक, अरबपति बिल गेट्स जैसी बड़ी हस्तियों की तस्वीरें भी सार्वजनिक हुईं। इन हाई-प्रोफाइल नामों के खुलासे ने इस स्कैंडल की गंभीरता और पहुंच को और भी बढ़ा दिया है, जिससे वैश्विक स्तर पर चिंता और उत्सुकता दोनों बढ़ गई हैं।
क्या एपस्टीन के जाल में कोई भारतीय भी है शामिल?
अब तक किसी भारतीय नागरिक या भारतीय नेता-उद्योगपति का नाम आधिकारिक तौर पर इन फाइलों से जुड़े खुलासों में सामने नहीं आया है। हालांकि, इस मामले में भारतीय कनेक्शन की अटकलें तेज हैं।
भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री सुब्रमण्यम स्वामी ने सार्वजनिक रूप से दावा किया है कि एपस्टीन फाइलों में कुछ भारतीय मंत्रियों, पूर्व मंत्रियों और मौजूदा सांसदों के नाम भी सामने आ सकते हैं। उनके इस दावे ने भारत में भी राजनीतिक गलियारों में हलचल पैदा कर दी है।
हालांकि, अमेरिकी जस्टिस डिपार्टमेंट ने इस संबंध में ऐसा कोई संकेत नहीं दिया है और न ही किसी भारतीय नाम की पुष्टि की है। लेकिन एपस्टीन के संबंध अमेरिका के बाहर के कई देशों के नेताओं और बिजनेसमैन से भी बताए जाते हैं, इसलिए पूरी दुनिया, खासकर भारत, की नजर इन फाइलों पर टिकी है कि कहीं कोई अप्रत्याशित नाम सामने न आ जाए।
एपस्टीन से जुड़ी कुछ विवादास्पद तस्वीरें और प्रमुख नाम
ट्रम्प की तस्वीरों से उठे गंभीर सवाल
सार्वजनिक हुई विवादास्पद तस्वीरों में से एक में डोनाल्ड ट्रम्प छह महिलाओं के साथ नजर आ रहे हैं, जिनके चेहरे गोपनीयता कारणों से छिपाए गए हैं। यह तस्वीर एपस्टीन की पार्टियों में ट्रम्प की उपस्थिति पर सवाल उठाती है।
दूसरी तस्वीर में ट्रम्प और एपस्टीन एक साथ दिख रहे हैं, जिसमें एक महिला भी मौजूद है, हालांकि उसकी पहचान अभी तक स्पष्ट नहीं हो पाई है। यह तस्वीर उनके संबंधों की गहराई को दर्शाती है।
तीसरी तस्वीर में ट्रम्प एक महिला के साथ हैं, जिसका चेहरा भी छुपा दिया गया है। ये तस्वीरें सीधे तौर पर किसी को अपराधी साबित नहीं करतीं, लेकिन एपस्टीन जैसे कुख्यात यौन अपराधी के साथ उनकी उपस्थिति ने दुनिया भर में विवाद और गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं, खासकर ट्रम्प के राजनीतिक करियर को देखते हुए।
मामले में सामने आए 9 प्रमुख और चौंकाने वाले नाम
जेफ्री एपस्टीन की संपत्ति से जारी 19 तस्वीरों में 9 बड़ी और प्रभावशाली हस्तियों के नाम सामने आए हैं, जिन्होंने इस स्कैंडल की भयावहता को उजागर किया है। इन नामों में शामिल हैं: डोनाल्ड ट्रम्प (पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति), बिल क्लिंटन (पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति), बिल गेट्स (अरबपति और माइक्रोसॉफ्ट के सह-संस्थापक), प्रिंस एंड्रयू (ब्रिटिश किंग चार्ल्स III के भाई), स्टीव बैनन (ट्रम्प के पूर्व मुख्य रणनीतिकार), लैरी समर्स (हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के पूर्व अध्यक्ष और पूर्व अमेरिकी ट्रेजरी सचिव), वुडी एलन (प्रसिद्ध फिल्म निर्माता), रिचर्ड ब्रैनसन (वर्जीन ग्रुप के संस्थापक और बिजनेसमैन) और एलन डर्शोविट्ज (मशहूर वकील)।
इनमें से एक तस्वीर में अमेरिकी राष्ट्रपति बिल क्लिंटन (बीच में), जेफ्री एपस्टीन और उसकी प्रेमिका गिस्लेन मैक्सवेल (दाएं) भी दिख रहे हैं। इन शक्तिशाली और प्रसिद्ध व्यक्तियों की सूची ने इस स्कैंडल की गंभीरता को और भी बढ़ा दिया है, जिससे यह सवाल उठ रहा है कि क्या ये सभी लोग एपस्टीन के अवैध नेटवर्क का हिस्सा थे या केवल उसके सामाजिक दायरे में थे।
ट्रम्प क्यों नहीं रोक पाए फाइल्स का सार्वजनिक होना?
अमेरिकी संसद के भारी बहुमत का दबाव और राष्ट्रपति की मजबूरी
पिछले महीने अमेरिकी संसद के दोनों सदनों ने एपस्टीन से जुड़े दस्तावेजों को सार्वजनिक करने वाला एक एक्ट भारी बहुमत से पास कर दिया था। यह एक महत्वपूर्ण विधायी कदम था, जिसने राष्ट्रपति पर इन फाइलों को सार्वजनिक करने का दबाव बना दिया।
हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव्स (अमेरिकी प्रतिनिधि सभा) ने इस बिल को 427-1 के चौंकाने वाले अंतर से मंजूरी दी, जो इसके पक्ष में लगभग सर्वसम्मत समर्थन को दर्शाता है। इसी तरह, सीनेट (अमेरिकी सीनेट) ने भी इसे बिना किसी विरोध के सर्वसम्मति से पारित कर दिया, जिससे यह स्पष्ट हो गया कि इस मामले में पारदर्शिता की मांग कितनी प्रबल थी।
जब कोई बिल संसद के दोनों सदनों से इतने बड़े बहुमत से पास हो जाता है, तो वह राष्ट्रपति के पास हस्ताक्षर के लिए जाता है। यदि ट्रम्प चाहते तो इस पर हस्ताक्षर करने से इनकार कर सकते थे या इसे वीटो कर सकते थे।
लेकिन चूंकि दोनों सदनों में यह बिल बहुत बड़े अंतर से पास हुआ था, ऐसे में ट्रम्प के पास इसे रोकने का कोई प्रभावी विकल्प नहीं बचा था। उन्हें जनता और संसद के दबाव के आगे झुकना पड़ा।
वीटो शक्ति की सीमाएं और न्यायिक विभाग की भूमिका
अमेरिकी राष्ट्रपति के पास वीटो की शक्ति होती है, जिसके तहत वह संसद द्वारा पारित किसी बिल को कानून बनने से रोक सकते हैं। हालांकि, इस शक्ति की भी अपनी सीमाएं हैं।
यदि ट्रम्प इस बिल पर वीटो करते, तो अमेरिकी संसद इसे दो-तिहाई बहुमत से ओवरराइड कर सकती थी, यानी राष्ट्रपति के वीटो को निरस्त कर सकती थी। यही वजह है कि राष्ट्रपति ट्रम्प को 19 नवंबर को इस बिल पर दस्तखत करना पड़ा था, क्योंकि उन्हें पता था कि उनका वीटो टिक नहीं पाएगा।
अब नियम के मुताबिक, अमेरिकी न्याय विभाग (DOJ) को 30 दिन के भीतर एपस्टीन से जुड़ी फाइलें सार्वजनिक करनी हैं। यह 30 दिन की समय-सीमा 18 दिसंबर को पूरी हो रही है, जिसके बाद इन गोपनीय दस्तावेजों का खुलासा होगा।
हजारों पन्नों का 'बहुत बड़ा आर्काइव' और राजनीतिक समर्थन
कुल कितनी फाइलें रिलीज होंगी, इसका कोई तय या आधिकारिक आंकड़ा अभी तक घोषित नहीं किया गया है। लेकिन न्याय विभाग के आंतरिक सूत्रों और बयानों से संकेत मिलता है कि यह आंकड़ा बहुत बड़ा हो सकता है।
न्याय विभाग खुद कह चुका है कि उसके पास एपस्टीन से जुड़ा एक 'बहुत बड़ा आर्काइव' है, यानी इन फाइलों की संख्या हजारों से लेकर लाखों पेज तक हो सकती है। इन दस्तावेजों में ईमेल, तस्वीरें, यात्रा रिकॉर्ड, गवाहों के बयान और अन्य संवेदनशील जानकारी शामिल होने की उम्मीद है।
इस बिल को रिपब्लिकन और डेमोक्रेट दोनों पार्टियों के नेताओं का व्यापक समर्थन मिला था। इसे थॉमस मैसी, मारजोरी टेलर ग्रीन, लॉरेन बोएबर्ट और नैन्सी मेस जैसे प्रमुख रिपब्लिकन नेताओं ने समर्थन दिया। बिल को रिपब्लिकन मैसी और डेमोक्रेट रो खन्ना मिलकर लेकर आए थे, जो दर्शाता है कि यह मुद्दा दलगत राजनीति से ऊपर उठकर देखा जा रहा था।
एपस्टीन केस की पूरी कहानी: एक दशक पुराना यौन शोषण स्कैंडल
2005 में पहली शिकायत और जांच का आरंभ
इस भयावह यौन शोषण स्कैंडल की शुरुआत 2005 में तब हुई, जब फ्लोरिडा में एक 14 साल की लड़की की मां ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई। शिकायत में कहा गया कि जेफ्री एपस्टीन के आलीशान घर में उसकी बेटी को 'मसाज' के बहाने बुलाया गया था, लेकिन वहां पहुंचने के बाद उस पर यौन संबंध बनाने का दबाव डाला गया और उसका शोषण किया गया।
जब लड़की ने घर लौटकर यह दर्दनाक बात अपने माता-पिता को बताई, तो उन्होंने तुरंत पुलिस में शिकायत की। तब पहली बार जेफ्री एपस्टीन के खिलाफ आधिकारिक शिकायत दर्ज हुई, जिसने एक बड़े आपराधिक नेटवर्क की परतें खोलना शुरू किया।
50 से अधिक नाबालिग लड़कियों का व्यवस्थित शोषण
पुलिस जांच के दौरान यह चौंकाने वाला तथ्य सामने आया कि यह अकेला मामला नहीं था। धीरे-धीरे करीब 50 नाबालिग लड़कियों की पहचान हुई, जिन्होंने एपस्टीन पर ऐसे ही गंभीर आरोप लगाए। इन लड़कियों को पैसों, गहनों और अन्य प्रलोभनों का लालच देकर फंसाया गया था।
पाम बीच पुलिस डिपार्टमेंट ने इस मामले को बेहद गंभीरता से लिया और कई महीनों तक गहन छानबीन की, जिसमें एपस्टीन के नेटवर्क और उसकी गतिविधियों का खुलासा हुआ। इसके बाद एपस्टीन के खिलाफ आपराधिक जांच शुरू हुई, जिसने उसे कानून के कटघरे में खड़ा कर दिया।
हाई-प्रोफाइल पार्टियां, 'लोलिता एक्सप्रेस' और गिस्लेन मैक्सवेल की भूमिका
मामले की जांच से पता चला कि एपस्टीन के पास मैनहट्टन और पाम बीच में शानदार विला थे, जहां वह अक्सर हाई-प्रोफाइल पार्टियां आयोजित करता था। इन पार्टियों में दुनिया के कई बड़े राजनेता, उद्योगपति और मशहूर हस्तियां शामिल होती थीं, जिससे उसके रसूख का अंदाजा लगाया जा सकता है।
एपस्टीन अपने निजी जेट, जिसे 'लोलिता एक्सप्रेस' के नाम से जाना जाता था, से पार्टियों में कम उम्र की लड़कियों को लेकर आता था। वह लड़कियों को पैसों, गहनों का लालच और धमकी देकर यौन संबंध बनाने के लिए मजबूर करता था, जिससे उनका शारीरिक और मानसिक शोषण होता था।
इस पूरे घिनौने काम में एपस्टीन की गर्लफ्रेंड और पार्टनर, गिस्लेन मैक्सवेल, उसका सक्रिय रूप से साथ देती थी। वह लड़कियों को फंसाने और एपस्टीन तक पहुंचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती थी। हालांकि, शुरुआती जांच और इतने गंभीर आरोपों के बावजूद, एपस्टीन को लंबे समय तक जेल नहीं हुई।
उसका रसूख और प्रभाव इतना था कि 2008 में उसे सिर्फ 13 महीने की सजा सुनाई गई, जिसमें भी उसे जेल से बाहर जाकर काम करने की अनुमति थी। यह एक बेहद विवादास्पद फैसला था जिसने न्याय प्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े किए और पीड़ितों को न्याय से वंचित रखा।
'मी टू' मूवमेंट और वर्जीनिया गिफ्रे का चौंकाने वाला खुलासा
हार्वे वाइंस्टीन स्कैंडल और वैश्विक 'मी टू' लहर
साल 2009 में जेल से आने के बाद एपस्टीन ने कुछ समय के लिए लो प्रोफाइल रहना शुरू कर दिया था। लेकिन ठीक 8 साल बाद, 2017 में, अमेरिका में 'मी टू' मूवमेंट (MeToo Movement) शुरू हुआ, जिसने यौन शोषण के मामलों को वैश्विक पटल पर ला दिया।
साल 2017 में अमेरिकी अखबार न्यूयॉर्क टाइम्स ने हॉलीवुड प्रोड्यूसर हार्वे वाइंस्टीन के खिलाफ कई रिपोर्ट्स छापीं। इसमें बताया गया कि वाइंस्टीन ने दशकों तक अभिनेत्रियों, मॉडल्स और कर्मचारियों का यौन शोषण किया।
इस घटना ने पूरी दुनिया में सनसनी पैदा कर दी और 80 से ज्यादा महिलाओं ने वाइंस्टीन के खिलाफ सोशल मीडिया पर 'मी टू' (मेरे साथ भी शोषण हुआ) के आरोप लगाए। इसमें एंजेलीना जोली, सलमा हायेक, उमा थरमन और एश्ले जुड जैसे बड़े नाम शामिल थे, जिसके बाद लाखों महिलाओं ने सोशल मीडिया पर '#MeToo' लिखकर अपने शोषण की कहानियां साझा कीं।
वर्जीनिया गिफ्रे के गंभीर आरोप और ट्रम्प के क्लब से कनेक्शन
इसी 'मी टू' लहर में वर्जीनिया गिफ्रे नाम की युवती भी सामने आई, जिसने एपस्टीन के खिलाफ कई गंभीर आरोप लगाए। उसने दावा किया कि उसके साथ 3 साल तक यौन शोषण हुआ था, जब वह नाबालिग थी।
इसके बाद करीब 80 महिलाओं ने उसके खिलाफ शिकायत की, जिससे एपस्टीन पर दबाव और बढ़ गया। गिफ्रे ने आरोप लगाया कि वह सिर्फ 16 साल की थी, जब वह डोनाल्ड ट्रम्प के फ्लोरिडा स्थित क्लब मार-ए-लागो में काम कर रही थी।
वहीं पर उसकी मुलाकात गिस्लेन मैक्सवेल से हुई थी। मैक्सवेल ने उसे मसाज थेरेपी का ऑफर दिया और झांसा देकर उसे एपस्टीन के पास ले गई, जहां उसका शोषण शुरू हुआ।
गिफ्रे ने दावा किया कि उसे एपस्टीन के घर ले जाया गया, जहां उसे 'मालिश' देने को कहा गया, जो वास्तव में यौन शोषण का एक बहाना था। गिफ्रे ने बताया कि करीब 3 साल तक वह एपस्टीन और मैक्सवेल के लिए काम करती रही, जिसके दौरान उसे भयानक अनुभवों से गुजरना पड़ा।
शाही परिवार पर आरोप और गिफ्रे की रहस्यमयी मौत
इस दौरान वर्जीनिया गिफ्रे को एपस्टीन के प्राइवेट जेट से दुनियाभर की जगहों पर भेजा गया और वहां उसे प्रभावशाली लोगों के साथ 'यौन संबंध' बनाने को मजबूर किया गया। उसके आरोपों में ब्रिटिश शाही परिवार के प्रिंस एंड्रयू का नाम भी शामिल था।
गिफ्रे ने प्रिंस एंड्रयू पर आरोप लगाया कि उन्होंने उसके साथ जबरदस्ती की, जब वह नाबालिग थी। यह मामला ब्रिटिश मीडिया में बहुत बड़ा विवाद बना और प्रिंस एंड्रयू को अपने शाही कर्तव्यों से पीछे हटना पड़ा।
गिफ्रे ने यह नहीं कहा कि ट्रम्प ने उसका शोषण किया, लेकिन यह बात सामने आई कि मार-ए-लागो क्लब ही वह जगह थी, जहां से उसे "भर्ती" किया गया था और एपस्टीन के नेटवर्क में फंसाया गया।
इसी साल अप्रैल 2025 में वर्जीनिया गिफ्रे की रहस्यमयी मौत हो गई। इसे आधिकारिक तौर पर आत्महत्या बताया गया, लेकिन कई लोगों ने इस पर सवाल उठाए और इसने एक बार फिर इस केस को चर्चा में ला दिया, जिससे साजिश की अटकलें तेज हो गईं।
एपस्टीन की गिरफ्तारी और जेल में रहस्यमयी मौत: एक अनसुलझा रहस्य
यौन तस्करी के गंभीर आरोप और संदिग्ध घटनाक्रम
एपस्टीन के खिलाफ सार्वजनिक दबाव और नए सबूतों के कारण 6 जुलाई 2019 को न्यूयॉर्क में उसे फिर से यौन तस्करी के गंभीर आरोपों में गिरफ्तार किया गया। इस बार उस पर नाबालिग लड़कियों की तस्करी और शोषण का आरोप था।
गिरफ्तारी के कुछ ही हफ्तों बाद, 23 जुलाई को उसे अपनी सेल में बेहोश पाया गया। उसके गले पर निशान थे, जिसे देखकर यह माना गया कि किसी ने उसकी जान लेने की कोशिश की थी या उसने खुद आत्महत्या का प्रयास किया था।
इस घटना के बाद उसकी सुरक्षा बढ़ा दी गई, लेकिन चौंकाने वाली बात यह थी कि कुछ ही समय बाद उसकी सुरक्षा फिर से हटा दी गई, जिससे कई सवाल खड़े हुए। 10 अगस्त 2019 को, उसी हाई-सिक्योरिटी जेल में एपस्टीन मरा हुआ मिला, जिससे पूरी दुनिया में हड़कंप मच गया।
आत्महत्या या हत्या? पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट और गायब फुटेज
आधिकारिक रिपोर्ट में कहा गया कि जेफ्री एपस्टीन ने फांसी लगाकर आत्महत्या की, लेकिन कई मेडिकल और कानूनी एक्सपर्ट्स ने इस रिपोर्ट पर गंभीर सवाल उठाए। उनकी मौत की परिस्थितियों को लेकर कई विसंगतियां सामने आईं।
पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में कहा गया कि एपस्टीन की गर्दन की कुछ हड्डियां टूटी हुई थीं। ये चोटें आमतौर पर गला घोंटने से जुड़ी होती हैं, न कि फांसी लगाकर की गई आत्महत्या से। यह तथ्य उसकी मौत को और भी रहस्यमयी बनाता है।
जिस दिन एपस्टीन की मौत हुई, उस दिन उसकी सेल के बाहर लगे सुरक्षा कैमरे काम नहीं कर रहे थे और महत्वपूर्ण फुटेज गायब हो गए थे। यह भी एक बड़ा सवालिया निशान खड़ा करता है कि क्या यह एक सुनियोजित हत्या थी।
चूंकि एपस्टीन की क्लाइंट लिस्ट में दुनिया के कई बड़े और प्रभावशाली नाम शामिल थे, ऐसे में व्यापक रूप से यह माना गया कि राज खुलने के डर से उसकी हत्या कराई गई है ताकि उसके साथ जुड़े शक्तिशाली लोगों के नाम सामने न आ सकें। एपस्टीन की मौत के बाद एफबीआई और जस्टिस डिपार्टमेंट ने इसकी जांच शुरू की, लेकिन कई सवालों के जवाब आज भी अनसुलझे हैं।
ट्रम्प और एपस्टीन का संबंध: दोस्ती से कड़वाहट तक
विवादास्पद बयान और 1992 की पार्टी फुटेज
डोनाल्ड ट्रम्प और जेफ्री एपस्टीन की मुलाकात एक पार्टी में हुई थी, जिसके बाद वे कुछ समय के लिए दोस्त बने रहे। 2002 में ट्रम्प ने एक मैगजीन को दिए इंटरव्यू में एपस्टीन के बारे में एक बेहद विवादास्पद बयान दिया था।
ट्रम्प ने कहा था, "मैं जेफ को 15 साल से जानता हूं, कमाल का आदमी है। हम दोनों को कम उम्र की खूबसूरत लड़कियां पसंद हैं।" यह बयान बाद में ट्रम्प के लिए एक बड़ी मुसीबत बन गया और उनके आलोचकों ने इसे उनके चरित्र पर सवाल उठाने के लिए इस्तेमाल किया।
1992 में ट्रम्प ने फ्लोरिडा स्थित अपने मार-ए-लागो रिसॉर्ट में एपस्टीन और चीयरलीडर्स के साथ एक पार्टी की थी। 2019 में एनबीसी ने इसका एक फुटेज जारी किया था, जिसमें ट्रम्प और एपस्टीन की निकटता स्पष्ट रूप से दिख रही थी।
इस फुटेज में ट्रम्प, एपस्टीन को एक महिला की ओर इशारा करते दिखते हैं और झुककर कहते हैं, "देखो वह बहुत हॉट है।" मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया गया था कि ट्रम्प ने 7 बार एपस्टीन के प्राइवेट जेट से ट्रैवल किया था, जिससे उनके संबंधों की गहराई का पता चलता है।
न्यूयॉर्क टाइम्स के मुताबिक, ट्रम्प ने ये सफर 1993 से 1997 के बीच किया था। हालांकि, ये उड़ानें ज्यादातर पाम बीच और न्यूयॉर्क के बीच थीं। ट्रम्प ने बाद में कहा था कि उन्होंने कभी एपस्टीन के प्राइवेट आइलैंड का टूर नहीं किया और न ही कोई गलत काम किया, लेकिन उनके बयानों और फुटेज ने कई सवाल खड़े किए।
जमीन विवाद ने तोड़ी दोस्ती की डोर
ट्रम्प और एपस्टीन की दोस्ती के बीच दरार 2004 में फ्लोरिडा के पाम बीच पर स्थित एक महंगी प्रॉपर्टी 'हाउस ऑफ फ्रेंडशिप' के कारण आई। यह संपत्ति नर्सिंग होम मैग्नेट एबे गोस्मैन की थी, जो दिवालियापन की वजह से नीलाम हो रही थी।
ट्रम्प और एपस्टीन दोनों इस 6 एकड़ की प्राइम प्रॉपर्टी को खरीदना चाहते थे। ट्रम्प ने इसे अमेरिका में सबसे बेहतरीन जमीन बताया था और उनका इरादा इसे खरीदकर नए तरह से ट्रांसफॉर्म करना और फिर ऊंचे दामों पर बेचने का था, जबकि एपस्टीन वहां रहना चाहता था।
15 नवंबर, 2004 को वेस्ट पाम बीच में इस प्रॉपर्टी की नीलामी हुई। ट्रम्प इसमें सीधे तौर पर शामिल नहीं हो पाए, लेकिन उन्होंने टेलीफोन से बोली में हिस्सा लिया। एपस्टीन की ओर से तीन वकीलों ने बोली लगाई, जिससे यह एक जबरदस्त बोली युद्ध बन गया। अंततः, ट्रम्प ने 356 करोड़ रुपये की बोली के साथ प्रॉपर्टी हासिल कर ली थी, जिससे एपस्टीन काफी नाराज हुआ।
ट्रम्प ने एपस्टीन को दोस्त मानने से किया इनकार
इस रियल एस्टेट विवाद के बाद ट्रम्प और एपस्टीन के बीच बातचीत का कोई पब्लिक रिकॉर्ड नहीं है, जिससे यह स्पष्ट होता है कि उनकी दोस्ती में दरार आ गई थी। ट्रम्प ने बाद में 2019 में कहा था कि उनके और एपस्टीन के बीच मनमुटाव हो गया था और उन्होंने 15 सालों से एक-दूसरे से बात नहीं की थी।
ट्रम्प ने साफ कहा था कि वह अब एपस्टीन को अपना दोस्त नहीं मानते और उन्होंने एपस्टीन के अपराधों की निंदा की थी। अब इन फाइलों के खुलने से कई और गहरे राज सामने आने की उम्मीद है, जो दुनिया के कई शक्तिशाली लोगों को मुश्किल में डाल सकते हैं और इस पूरे स्कैंडल की सच्चाई को उजागर कर सकते हैं। यह देखना दिलचस्प होगा कि इन खुलासों का वैश्विक राजनीति और व्यापार पर क्या प्रभाव पड़ता है।