पूर्व NSG कमांडो ड्रग्स तस्करी में गिरफ्तार: 26/11 मुंबई हमले का हीरो, पूर्व NSG कमांडो बजरंग सिंह ड्रग्स तस्करी में गिरफ्तार, 25 हजार का था इनाम

26/11 मुंबई हमले में शामिल रहे पूर्व एनएसजी कमांडो बजरंग सिंह को ड्रग्स तस्करी के आरोप में चूरू से गिरफ्तार किया गया है। उस पर 25 हजार का इनाम था और वह दो साल से फरार था। एटीएस और एएनटीएफ की टीम ने उसके कुक के जरिए उसे पकड़ा।

पूर्व NSG कमांडो ड्रग्स तस्करी में गिरफ्तार

चूरू: देश की सेवा में अपना जीवन समर्पित करने वाले एक पूर्व एनएसजी कमांडो को अब ड्रग्स तस्करी के आरोप में गिरफ्तार किया गया है। आतंकवाद निरोधी दस्ता (एटीएस) और एंटी नारकोटिक्स टास्क फोर्स (एएनटीएफ) की संयुक्त टीम ने बड़ी कार्रवाई करते हुए पूर्व एनएसजी कमांडो बजरंग सिंह को चूरू जिले के रतनगढ़ से धर दबोचा है। बजरंग सिंह पर 25 हजार रुपये का इनाम घोषित था और वह पिछले दो साल से फरार चल रहा था। उसकी गिरफ्तारी में उसके एक कट्टर दुश्मन से मिली जानकारी और उसके विश्वसनीय कुक तक पहुंचने की रणनीति ने अहम भूमिका निभाई।

26/11 मुंबई हमले का हिस्सा

बजरंग सिंह का नाम उस जांबाज कमांडो टीम में भी शामिल था, जिसने साल 2008 में मुंबई के होटल ताज पर हुए भीषण आतंकवादी हमले (26/11) से लोहा लिया था। देश के लिए इतना महत्वपूर्ण योगदान देने के बाद उसका ड्रग्स तस्करी जैसे जघन्य अपराध में लिप्त होना चौंकाने वाला है। वह तेलंगाना और ओडिशा से भारी मात्रा में गांजा की तस्करी कर राजस्थान लाता था। फिलहाल, एएनटीएफ की टीम गिरफ्तार आरोपी से गहन पूछताछ कर रही है ताकि इस पूरे नेटवर्क का भंडाफोड़ किया जा सके।

2 क्विंटल गांजा तस्करी में हैदराबाद में हुआ था गिरफ्तार

पुलिस महानिरीक्षक (एटीएस) विकास कुमार ने इस गिरफ्तारी की पुष्टि करते हुए बताया कि शेखावटी फतेहपुर सीकर निवासी कुख्यात ड्रग्स तस्कर बजरंग सिंह (45) को गिरफ्तार किया गया है। बजरंग सिंह दो साल से पुलिस की गिरफ्त से बच रहा था। वह तेलंगाना और ओडिशा से गांजे की बड़ी खेप राजस्थान लाकर उसके छोटे-छोटे हिस्से कर सप्लाई करता था। वर्ष 2023 में तेलंगाना के हैदराबाद के पास 2 क्विंटल गांजा तस्करी के एक बड़े मामले में भी बजरंग सिंह गिरफ्तार हो चुका है। उसके खिलाफ सीकर में भी कई क्विंटल गांजा बरामदगी का एक और मामला दर्ज है, जिसमें वह वांछित था।

बीएसएफ से एनएसजी कमांडो तक का सफर

बजरंग सिंह की शुरुआती जिंदगी भी काफी दिलचस्प रही है। उसने 10वीं तक की पढ़ाई के बाद मन नहीं लगने पर स्कूल छोड़ दी थी। हालांकि, उसकी अच्छी कद-काठी और शारीरिक दक्षता ने उसे बीएसएफ में कॉन्स्टेबल के पद पर नौकरी दिला दी। बीएसएफ में रहते हुए उसने पंजाब, असम, पश्चिम बंगाल, ओडिशा और राजस्थान जैसे संवेदनशील क्षेत्रों में देश की सीमाओं की सुरक्षा और नक्सलवाद से निपटने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। अपनी पहलवान जैसी कद-काठी और बहादुरी के चलते वह जल्द ही अधिकारियों की नजर में आ गया और उसका चयन आतंकवाद से निपटने वाली शीर्ष एनएसजी कमांडो टीम में हो गया। उसने लगभग 7 साल तक कमांडो के रूप में देश की सेवा की, जिसमें 26/11 मुंबई हमले में उसकी भागीदारी भी शामिल है।

रिटायरमेंट के बाद अपराध की दुनिया में प्रवेश

साल 2021 में अर्द्धसैन्य सेवा बलों से रिटायर्ड होने के बाद बजरंग सिंह अपने गांव लौट गया। इसके बाद उसने राष्ट्रीय दल की राजनीतिक गतिविधियों में भी हिस्सा लेना शुरू कर दिया। उसने अपनी पत्नी को प्रधान का चुनाव भी लड़ाया, लेकिन वह जीत नहीं सकी। इसी दौरान एक परिचित ने बजरंग को तेलंगाना से गांजे की तस्करी से होने वाले भारी आर्थिक लाभ के बारे में बताया। ओडिशा में पहले नौकरी करने के कारण बजरंग को उस क्षेत्र की पूरी जानकारी थी, जिसका उसने फायदा उठाया। कुछ दोस्तों को साथ लेकर, महज दो साल में ही वह ड्रग्स तस्करी का एक कुख्यात सरगना बन गया और क्विंटलों में गांजा की तस्करी करने लगा।

कुक के जरिए मिला ठिकाने का पता

कुख्यात तस्कर बजरंग सिंह की तलाश में एएनटीएफ की टीम पिछले करीब 2 महीने से जुटी हुई थी। इस दौरान टीम को बजरंग के एक कट्टर दुश्मन से महत्वपूर्ण जानकारी मिली। दुश्मन ने बताया कि बजरंग सिंह खाना बनाने के लिए हमेशा एक विश्वसनीय उड़िया कुक को अपने साथ रखता है। इस कुक का तस्करी से कोई लेना-देना नहीं था, लेकिन वह बजरंग सिंह का बेहद वफादार सेवक था। एएनटीएफ टीम ने इस कुक के रिश्तेदारों के संपर्क नंबर निकाले और जांच की दिशा चूरू के रतनगढ़ तक जा पहुंची। एटीएस और एएनटीएफ की संयुक्त टीम को रतनगढ़ में तलाश के दौरान बजरंग सिंह एक बुलेट बाइक पर जाते हुए दिखा। टीम ने उसका पीछा किया और उसके छिपने के ठिकाने पर दबिश देकर उसे सफलतापूर्वक धर दबोचा।