Bike Politics: हार्ले-डेविडसन से शुरू हुआ विवाद: क्यों भड़के ट्रंप और भारत ने कैसे दिया जवाब

???? हक़ीक़त यह है कि पहले भारत में हार्ले पर 100% टैरिफ़ था, जिसे 2018 में घटाकर 50% कर दिया गया। यानी ट्रंप का 200% वाला दावा पूरी तरह सही नहीं था, लेकिन राजनीत

नई दिल्ली। अंतरराष्ट्रीय राजनीति में अक्सर हथियारों और सीमाओं की बात होती है, लेकिन कभी-कभी एक मोटरसाइकिल भी दो देशों के रिश्तों में भूचाल ला सकती है। जी हाँ, हम बात कर रहे हैं हार्ले-डेविडसन और अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के उस गुस्से की, जिसने भारत-अमेरिका रिश्तों पर सवाल खड़े कर दिए।

ट्रंप ने भारत पर आरोप लगाया कि उसने अमेरिकी उत्पादों पर “दुनिया का सबसे ऊँचा टैरिफ़” लगाया है और खासतौर पर हार्ले-डेविडसन का उदाहरण दिया। सवाल यह है – क्या ट्रंप का गुस्सा जायज़ था? और क्यों यह विवाद बार-बार सुर्ख़ियों में लौट आता है?


हार्ले-डेविडसन: सिर्फ़ बाइक नहीं, अमेरिकी गौरव

1903 में मिलवॉकी (विस्कॉन्सिन) से शुरू हुई हार्ले-डेविडसन दुनिया की सबसे मशहूर मोटरसाइकिल ब्रांड है। यह कंपनी दोनों विश्व युद्धों में अमेरिकी सेना को हज़ारों मोटरसाइकिलें दे चुकी है।

आज भी हार्ले सिर्फ़ बाइक नहीं, बल्कि अमेरिकी ताक़त और स्टेटस सिंबल मानी जाती है। यही कारण है कि जब भारत में इस पर भारी टैरिफ़ लगाया गया, तो ट्रंप का गुस्सा फूट पड़ा।


ट्रंप का आरोप: “भारत ने हमें लूटा”

ट्रंप ने पत्रकारों से कहा:
“भारत ने हम पर दुनिया का सबसे ऊँचा टैरिफ़ लगाया है। रिश्ता हमेशा एकतरफ़ा रहा है। भारत में हार्ले पर 200% टैक्स था। इसी वजह से कंपनी को भारत में प्लांट खोलना पड़ा।”

???? हक़ीक़त यह है कि पहले भारत में हार्ले पर 100% टैरिफ़ था, जिसे 2018 में घटाकर 50% कर दिया गया। यानी ट्रंप का 200% वाला दावा पूरी तरह सही नहीं था, लेकिन राजनीतिक बयानबाज़ी का असर कहीं ज़्यादा होता है।


तेल और टैरिफ़ की सियासत

हार्ले-डेविडसन विवाद यहीं तक सीमित नहीं रहा। ट्रंप ने भारत के रूस से तेल ख़रीदने पर भी नाराज़गी जताई और भारतीय उत्पादों पर 25% अतिरिक्त टैरिफ़ लगा दिया।

उनके सलाहकार पीटर नवारो ने साफ कहा:
“अगर भारत रूस से तेल ख़रीदना बंद कर दे, तो यह अतिरिक्त टैरिफ़ हट सकता है।”

भारत ने इसे अमेरिकी दबाव की राजनीति बताया। विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने दो टूक कहा कि “अमेरिका ने ही हमें रूस से तेल खरीदने की सलाह दी थी।”


भारत की प्रतिक्रिया

भारत ने अमेरिकी टैरिफ़ को “अनुचित और अव्यवहारिक” कहा।
केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि भारत द्विपक्षीय व्यापार समझौते पर बातचीत कर रहा है। विपक्ष की ओर से अरविंद केजरीवाल ने तीखा हमला बोला – “अगर अमेरिका ने 50% टैक्स लगाया है तो भारत को भी 100% जवाबी टैरिफ़ लगाना चाहिए।”


विवाद का भविष्य

हार्ले-डेविडसन का मुद्दा 2018 से ही भारत-अमेरिका रिश्तों में बार-बार लौटता रहा है। अमेरिकी अदालत ने ट्रंप के कुछ टैरिफ़ को अवैध भी ठहराया है, लेकिन मामला अभी सुप्रीम कोर्ट में लंबित है।

भविष्य की तस्वीर साफ है – भारत और अमेरिका अगर व्यापक व्यापार समझौते पर सहमत हो जाते हैं, तो यह विवाद शांत हो सकता है।


हार्ले-डेविडसन के नाम से शुरू हुआ यह विवाद दिखाता है कि कूटनीति में अब टैरिफ़ और टैक्स भी हथियार बन चुके हैं।

भारत आज दुनिया की सबसे बड़ी उभरती हुई अर्थव्यवस्था है और अमेरिका सबसे बड़ी ताक़त। दोनों के रिश्ते कभी मीठे, कभी कड़वे, लेकिन हमेशा अहम रहेंगे।

ट्रंप का गुस्सा सुर्ख़ियाँ बना, लेकिन भारत का संदेश साफ़ है –
हमारी नीतियाँ हमारे राष्ट्रीय हित से तय होंगी, चाहे सामने हार्ले-डेविडसन हो या व्हाइट हाउस।