विधानसभा चुनाव 2023: क्या राजेंद्र राठौड़ हैं राजस्थान सीएम की रेस में सबसे आगे

सवाई माधोपुर में केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत द्वारा ईआरसीपी के लिए धन दिए जाने के बहाने की गयी टिप्पणी भले ही हलके फुल्के अंदाज में की गयी हो। जानकर इसके पीछे एक सोची समझी रणनीति की और इशारा कर रहे हैं।

Rajendra Rathore

जयपुर | सवाई माधोपुर में केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत द्वारा "ईआरसीपी" के लिए धन दिए जाने के बहाने की गयी टिप्पणी भले ही हलके फुल्के अंदाज में की गयी हो। जानकर इसके पीछे एक सोची समझी रणनीति की और इशारा कर रहे हैं।

रणनीति यह कि क्यों नहीं जरूरत पड़ने पर सीएम की रेस में राजेंद्र सिंह राठौड़ के ही नाम को आगे कर दिया जाए। केंद्रीय जलशक्ति मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल होने के साथ ही कांग्रेस ने शेखावत पर भले ही निशाना साध दिया हो ,बीजेपी में सत्ता आने पर मुख्यमंत्री बनने को आतुर नेताओं में बेचैनी बढ़ गयी है।

यह बेचैनी उस सूरत में काबिले-गौर है, जब शेखावत और राठौड़ की सियासी प्रतिस्पर्धा किसी से छिपी नहीं हो।

भारतीय जनता पार्टी के केंद्रीय कार्यालय से जुड़े सूत्र से मिली जानकारी और अब तक के घटनाक्रम को देखें तो पार्टी इस बार का चुनाव किसी एक चेहरे के भरोसे नहीं, कमल के निशान पर और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम पर लड़ने को उत्सुक है।

वह भी तब जब कर्नाटक में तमाम कोशिश के बावजूद बीजेपी चुनाव हार चुकी है। बिहार-पटना में सभी गैर बीजेपी दलों ने एक साथ 2024 का चुनाव लड़ने की मुनादी कर दी है। मध्यप्रदेश में चुनावी सर्वे बीजेपी की हालत ख़राब होने के संकेत कर रहे हैं।

छत्तीसगढ़ में बिना रमन सिंह सत्ता वापसी मुश्किल बताई जा रही है। और राजस्थान में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने चुनावी लिहाज से चुनावी पिटारा खोल मुफ्त का चंदन घिस मेरे नंदन वाला खेल शुरू कर दिया है।

राजस्थान की लगभग सभी सीटों पर हर किसी के दम पर टिकट की उम्मीद में बढ़ी दावेदारी, कहीं पे निगाहें-कहीं पे निशाना की मुद्रा में काम करते नेताओं के बीच मोदी -शाह की चुनाव जीतने की कश्मकश बीजेपी में उम्मीदें भी बढ़ाती हैं तो कइयों की उम्मीदों को आसमां से जमीन पर भी ला रही हैं।

ऐसे में मुख्यमंत्री के प्रबल दावेदार माने जाते रहे गजेंद्र सिंह शेखावत का यह बयान हलके फुल्के अंदाज में ही सही, आने वाली सियासत की और ईशारा भी कर रहा है। ईशारा यह कि जरूरत पड़ी तो वह 1990 से लगातार सात बार विधानसभा का चुनाव जीत चुके राजेंद्र राठौड़ की दावेदारी के भी पक्ष में आ सकते हैं।

शेखावत का यह हल्का सा इशारा वायरल वीडियो के जरिये उस वक्त आया है। जब पार्टी के प्रदेशाध्यक्ष सीपी जोशी और नेता प्रतिपक्ष राठौड़ को लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला के रबर स्टैम्प के तौर पर प्रचारित कर बिड़ला को राजस्थान में सीएम का सबसे बड़ा दावेदार बताया और जताया जा रहा है।

दिल्ली तक पहुंची खबरों की माने तो बिड़ला की इस दावेदारी के पीछे जयपुर में कुछ मीडियाकर्मियों ,पुलिस -प्रशासन के अधिकारीयों द्वारा बाकायदा बनायी जा रही रणनीति सबसे बड़ी वजह है। सूचना यह भी पहुंची है कि जोशी -राठौड़ की जोड़ी बिड़ला जी की इच्छाओं से आगे नहीं बढ़ पा रही।

जबकि निवर्तमान बीजेपी अध्यक्ष सतीश पूनिया इस तरह की छवि में बंधे कभी नहीं।  भले ही उन्हें बड़े दिगज्जों की नाराजगी ही क्यों न झेलनी पड़ी हो।

राजस्थान भाजपा ही नहीं, देश भर में पार्टी में होगा वही जो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय ग्रह मंत्री अमित शाह की टीम चाहेगी।  बावजूद इसके मुख्यमंत्री पद को लेकर फेहरिस्त इतनी बड़ी है कि टिकटों के दावेदार किसके यहाँ दस्तक दें, समझ ही नहीं पा रहे।

हर बार जीत के साथ बड़ा बहुमत देने वाली वसुंधरा राजे दो बार की सीएम होने और गाँव -गलियारों तक पकड़ के बूते जनता की निगाह में मुख्यमंत्री पद की स्वाभाविक दावेदार हैं। लेकिन मोदी—शाह की पार्टी अध्यक्ष के लिए पसंद रहे गजेन्द्रसिंह शेखावत की राह में राजे गुट ने जो कांटे बोये थे, उन्हीं को पूर्व सीएम की राह में बिछा पार्टी हाईकमान अपना इकबाल बुलंद करने के मूड में हैं।

स्वाभाविक है कि पसंद भी शेखावत ही है। लेकिन शेखावत ने राजेंद्र राठौड़ की दावेदारी को ताकत दे इशारा कर दिया है कि उन्हें इस पद पर आने की उतनी जल्दबाजी भी नहीं, जिसे रोकने के लिए कांग्रेस भाजपा में मौजूद उनके विरोधी पूरी हरकत में हैं।