Sirohi Rajasthan: जालोर-सिरोही सांसद ने लोकसभा में पेश किए 3 प्राइवेट मेंबर बिल
जालोर-सिरोही (Jalore-Sirohi) सांसद लुंबाराम चौधरी (Lumbaram Chaudhary) ने लोकसभा (Lok Sabha) में स्वदेशी गौ और गौ-संतति संरक्षण बोर्ड 2024 सहित 3 प्राइवेट मेंबर बिल पेश किए। उन्होंने देसी गायों के घटते महत्व पर चिंता जताई।
जालोर: जालोर-सिरोही (Jalore-Sirohi) सांसद लुंबाराम चौधरी (Lumbaram Chaudhary) ने लोकसभा (Lok Sabha) में स्वदेशी गौ और गौ-संतति संरक्षण बोर्ड 2024 सहित 3 प्राइवेट मेंबर बिल पेश किए। उन्होंने देसी गायों के घटते महत्व पर चिंता जताई।
सांसद चौधरी द्वारा पेश किए गए विधेयकों में 'स्वदेशी गौ और गौ-संतति संरक्षण बोर्ड 2024', 'चारा भंडारण बोर्ड 2025' और 'दुग्ध एवं दुग्ध उत्पाद लाभकारी मूल्य—2025' शामिल हैं। इन विधेयकों का मुख्य उद्देश्य भारत की ग्रामीण अर्थव्यवस्था और धर्म-संस्कृति का अभिन्न अंग रही देसी गायों का संरक्षण करना है।
देसी गायों का घटता अस्तित्व: एक गंभीर चिंता
सांसद चौधरी ने लोकसभा में अपनी बात रखते हुए इस बात पर गहरी चिंता व्यक्त की कि भारत में देसी गायों की संख्या तेजी से घट रही है। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि इस पर ध्यान नहीं दिया गया, तो अगले 10 वर्षों में भारतीय गायों की आम मौजूदगी खत्म होने का खतरा पैदा हो सकता है।
उन्होंने बताया कि गायें शताब्दियों से भारतीय परिवारों की धर्म-संस्कृति और अर्थव्यवस्था का महत्वपूर्ण हिस्सा रही हैं। उनका संरक्षण न केवल सांस्कृतिक धरोहर के लिए, बल्कि ग्रामीण आजीविका के लिए भी अत्यंत आवश्यक है।
देसी गौदुग्ध का वैज्ञानिक एवं पोषण महत्व
चौधरी ने देसी गौदुग्ध के वैज्ञानिक महत्व पर भी प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि वैज्ञानिकों ने देसी गाय के दूध को 'संपूर्ण आहार' माना है, जिसमें मानव शरीर के लिए आवश्यक सभी पोषक तत्व मौजूद होते हैं। विशेष रूप से, देसी गाय के दूध में विटामिन ए-2 पाया जाता है, जिसे कैंसरनाशक माना जाता है।
भारत में पारंपरिक तौर पर साहीवाल जैसी विविध नस्लों की गायें मौजूद हैं, जो सूखे दिनों में भी दूध देने की क्षमता रखती हैं। ये सभी नस्लें देश की ग्रामीण अर्थव्यवस्था की रीढ़ रही हैं, जो किसानों और पशुपालकों के लिए आय का एक महत्वपूर्ण स्रोत हैं।
गौमूत्र और गोबर के बहुआयामी लाभ
आयुर्वेद में गौमूत्र के ढेरों प्रयोग बताए गए हैं, इसे विषनाशक, रसायन और त्रिदोषनाशक माना गया है। वैज्ञानिक विश्लेषण में गौमूत्र में 24 ऐसे तत्व पाए गए हैं जो शरीर के विभिन्न रोगों को ठीक करने की क्षमता रखते हैं। यह इसे एक महत्वपूर्ण औषधीय घटक बनाता है।
इसके अतिरिक्त, देसी गाय के गोबर से जैविक खाद का निर्माण होता है, जो जमीन की उर्वरा शक्ति को बढ़ाता है और रासायनिक खादों पर निर्भरता कम करता है। यह पर्यावरण के अनुकूल कृषि पद्धतियों को बढ़ावा देता है और किसानों की लागत को भी कम करता है।
भारत: विश्व का सबसे बड़ा दुग्ध उत्पादक
सांसद चौधरी ने यह भी बताया कि 10.2 करोड़ टन वार्षिक दूध उत्पादन के साथ भारत दुनिया का सबसे बड़ा दूध उत्पादक देश है। इस उपलब्धि में देसी गायों का योगदान अविस्मरणीय है। इन सभी कारणों से देश की अर्थव्यवस्था में देसी गायों की भूमिका को किसी भी कीमत पर नकारा नहीं जा सकता। इन विधेयकों का उद्देश्य इसी महत्वपूर्ण योगदान को बनाए रखना और बढ़ाना है।