Rajasthan: जोधपुर-उदयपुर के बीच 250 किमी कम होगी दूरी, पहाड़ काटकर बिछेगी नई रेल लाइन, रेल मंत्री के हस्तक्षेप से सर्वे शुरू

जोधपुर और उदयपुर के बीच रेल कनेक्टिविटी को लेकर बड़ी खबर है। मारवाड़ जंक्शन से नाथद्वारा के बीच पहाड़ काटकर रास्ता बनाया जाएगा जिससे दोनों शहरों के बीच की दूरी 250 किलोमीटर तक कम हो जाएगी।

जोधपुर-उदयपुर रेल प्रोजेक्ट अपडेट

जोधपुर | राजस्थान के रेल नेटवर्क में एक क्रांतिकारी बदलाव की तैयारी शुरू हो चुकी है। जोधपुर और उदयपुर के बीच की भौगोलिक दूरियां अब कम होने वाली हैं। उत्तर पश्चिम रेलवे ने एक ऐसे प्रोजेक्ट पर काम शुरू किया है जो न केवल दो ऐतिहासिक शहरों को करीब लाएगा बल्कि पूरे मारवाड़ क्षेत्र की आर्थिक तस्वीर बदल देगा। इस परियोजना के तहत मारवाड़ जंक्शन से नाथद्वारा के बीच के दुर्गम पहाड़ी रास्तों को काटकर नई रेल लाइन बिछाई जाएगी। महाप्रबंधक अमिताभ के जोधपुर दौरे के दौरान इस योजना की विस्तृत रूपरेखा सामने आई है जिससे क्षेत्र के लोगों में भारी उत्साह है।

पहाड़ काटकर बनेगा रास्ता और घटेगी दूरी

जोधपुर और उदयपुर के बीच वर्तमान रेल मार्ग काफी लंबा और घुमावदार है। इसे छोटा करने के लिए रेलवे ने मारवाड़ जंक्शन से नाथद्वारा के बीच मौजूद पुराने मीटर गेज रूट को ब्रॉड गेज में बदलने का निर्णय लिया है। इस मार्ग में सबसे बड़ी चुनौती अरावली की पहाड़ियां और सघन वन क्षेत्र थे। पूर्व में वन विभाग की आपत्तियों और तकनीकी कठिनाइयों के कारण इस सर्वे को रोक दिया गया था।

लेकिन अब रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव के विशेष हस्तक्षेप के बाद इस पर फिर से काम शुरू हुआ है। पहाड़ों को काटकर रास्ता बनाने की योजना बनाई गई है जिससे दोनों शहरों के बीच का सफर लगभग 250 किलोमीटर कम हो जाएगा। यह दूरी कम होने से यात्रा समय में 4 से 5 घंटे की बचत होने की संभावना है। यह प्रोजेक्ट रेलवे के इंजीनियरिंग विभाग के लिए एक बड़ी चुनौती है लेकिन इससे पूरे राजस्थान की रेल कनेक्टिविटी सुदृढ़ होगी।

व्यापार और पर्यटन के लिए गेम चेंजर

यह नई रेल लाइन राजस्थान के पर्यटन मानचित्र पर एक बड़ा बदलाव लाएगी। जोधपुर का मेहरानगढ़ और उदयपुर की पिछोला झील अब एक दूसरे के काफी करीब आ जाएंगे। विदेशी पर्यटकों के लिए यह सर्किट काफी सुविधाजनक हो जाएगा। इसके अलावा व्यापारिक दृष्टिकोण से भी यह मार्ग अत्यंत महत्वपूर्ण है। जोधपुर के हैंडीक्राफ्ट उद्योग और उदयपुर के मार्बल उद्योग के बीच माल की आवाजाही सस्ती और तेज हो जाएगी।

कम दूरी का मतलब है कम माल भाड़ा और कम समय जिससे स्थानीय व्यापारियों को वैश्विक बाजार में प्रतिस्पर्धा करने में मदद मिलेगी। इस मार्ग के जुड़ने से न केवल बड़े शहरों को लाभ होगा बल्कि मारवाड़ और मेवाड़ के ग्रामीण इलाकों में भी रोजगार के नए अवसर पैदा होंगे। रेलवे का मानना है कि यह प्रोजेक्ट अगले कुछ वर्षों में राज्य की अर्थव्यवस्था को नई गति प्रदान करेगा।

भगत की कोठी में बनेगा आधुनिक कोचिंग टर्मिनल

जोधपुर रेलवे स्टेशन पर बढ़ते दबाव को कम करने के लिए भगत की कोठी स्टेशन को एक बड़े कोचिंग टर्मिनल के रूप में विकसित किया जा रहा है। महाप्रबंधक ने बताया कि इसके लिए लगभग 450 करोड़ रुपये का बजट प्रस्तावित है। इस टर्मिनल में ट्रेनों के रखरखाव और स्टेबलिंग की आधुनिक सुविधाएं होंगी। वर्तमान में जोधपुर से दक्षिण भारत या अन्य लंबी दूरी की नई ट्रेनें न चल पाने का मुख्य कारण मेंटेनेंस स्लॉट की कमी है।

इस नए टर्मिनल के बनने के बाद जैसलमेर और बाड़मेर जैसे सीमावर्ती क्षेत्रों से भी नई ट्रेनें चलाना संभव होगा। यह टर्मिनल न केवल पार्किंग की जगह देगा बल्कि ट्रेनों के पूर्ण संचालन का केंद्र बनेगा। इससे यात्री सुविधाओं में विस्तार होगा और जोधपुर स्टेशन पर होने वाली भीड़भाड़ से भी छुटकारा मिलेगा। अधिकारियों के अनुसार इस टर्मिनल का काम प्राथमिकता के आधार पर पूरा किया जाएगा।

मालगाड़ियों के लिए बनेगा बाईपास रूट

जोधपुर शहर के निवासियों के लिए एक और बड़ी राहत की खबर है। शहर के बीचों-बीच से गुजरने वाली मालगाड़ियों के कारण अक्सर यात्री ट्रेनों को आउटर पर रुकना पड़ता है और शहर के फाटकों पर जाम की स्थिति बनी रहती है। इस समस्या के समाधान के लिए रेलवे ने जोधपुर को बाईपास करने वाली एक नई लाइन की योजना तैयार की है।

इस लाइन के बनने के बाद मालगाड़ियां शहर के मुख्य स्टेशन पर आए बिना ही बाहर से निकल जाएंगी। इससे जोधपुर मुख्य स्टेशन पर प्लेटफॉर्म खाली रहेंगे और यात्री ट्रेनों का संचालन समय पर हो सकेगा। महाप्रबंधक ने स्पष्ट किया कि इस बाईपास लाइन के अलाइनमेंट पर तेजी से काम चल रहा है। यह कदम शहर के भीतर यातायात व्यवस्था को सुधारने में भी मददगार साबित होगा।

वंदे भारत मेंटेनेंस डिपो और विजन 2030

भगत की कोठी में स्थापित किया जा रहा वंदे भारत मेंटेनेंस डिपो तकनीकी रूप से भारत का सबसे उन्नत डिपो होगा। यह वैश्विक मानकों पर आधारित है और इसे अंतरराष्ट्रीय टेक्नोलॉजी पार्टनर्स के सहयोग से बनाया जा रहा है। यह डिपो भविष्य की हाई-स्पीड ट्रेनों के रखरखाव के लिए तैयार किया जा रहा है जिससे राजस्थान में वंदे भारत ट्रेनों का जाल बिछाने में मदद मिलेगी।

इसके साथ ही विजन 2030 के तहत जोधपुर स्टेशन की क्षमता को 100 प्रतिशत बढ़ाने का लक्ष्य है। 2030 तक यहां एक नया प्लेटफॉर्म संख्या 7 तैयार हो जाएगा। हालांकि यह प्लेटफॉर्म छोटी दूरी की ट्रेनों के लिए होगा लेकिन इससे मुख्य प्लेटफॉर्म्स पर बोझ कम होगा। जोधपुर और भगत की कोठी के बीच तीसरी रेल लाइन बिछाने का काम भी इसी समय सीमा में पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है।

विकास कार्यों का निरीक्षण और भविष्य की योजनाएं

महाप्रबंधक अमिताभ ने अपने दौरे के दौरान जोधपुर स्टेशन के सेकंड एंट्री गेट और चल रहे पुनर्विकास कार्यों का बारीकी से निरीक्षण किया। उन्होंने डीआरएम अनुराग त्रिपाठी और अन्य वरिष्ठ अधिकारियों के साथ मैप और ड्राइंग के जरिए हर प्रोजेक्ट की प्रगति की जानकारी ली। रेलवे का मुख्य फोकस अब यात्री सुविधाओं को अंतरराष्ट्रीय स्तर का बनाने पर है।

स्टेशन पर एस्केलेटर लिफ्ट और आधुनिक वेटिंग हॉल के साथ-साथ डिजिटल सूचना प्रणालियों को बेहतर बनाया जा रहा है। इन सभी प्रयासों का उद्देश्य जोधपुर को उत्तर पश्चिम रेलवे का एक प्रमुख और सुविधायुक्त केंद्र बनाना है। आने वाले समय में जोधपुर न केवल अपनी संस्कृति बल्कि अपने आधुनिक रेलवे बुनियादी ढांचे के लिए भी पहचाना जाएगा। रेलवे बोर्ड ने इन सभी परियोजनाओं के लिए पर्याप्त बजट और संसाधनों की उपलब्धता सुनिश्चित की है।