Team India: क्या गंभीर की गलतियों से भारत को नुकसान? एक्सपर्ट बोले- टेस्ट कोच बदलो
भारत (India) गुवाहाटी टेस्ट (Guwahati Test) में हार की कगार पर है। गौतम गंभीर (Gautam Gambhir) की कोचिंग पर सवाल उठ रहे हैं। अतुल वासन (Atul Wasan) ने उन्हें हटाकर राहुल द्रविड़ (Rahul Dravid) को वापस लाने की सलाह दी है।
गुवाहाटी: भारत (India) गुवाहाटी टेस्ट (Guwahati Test) में हार की कगार पर है। गौतम गंभीर (Gautam Gambhir) की कोचिंग पर सवाल उठ रहे हैं। अतुल वासन (Atul Wasan) ने उन्हें हटाकर राहुल द्रविड़ (Rahul Dravid) को वापस लाने की सलाह दी है।
भारतीय क्रिकेट टीम इस समय टेस्ट क्रिकेट में एक मुश्किल दौर से गुजर रही है। साउथ अफ्रीका के खिलाफ गुवाहाटी में खेले जा रहे दूसरे टेस्ट मैच में भारत हार की कगार पर खड़ा है। कोलकाता में पहला टेस्ट गंवाने के बाद, अगर टीम इंडिया यह मैच भी हार जाती है, तो साउथ अफ्रीका सीरीज में 2-0 से क्लीन स्वीप कर लेगी। यह गौतम गंभीर की कोचिंग में भारत के लिए 13 महीने के भीतर घरेलू परिस्थितियों में दूसरी बार क्लीन स्वीप होगा। इससे पहले, 2024 में न्यूजीलैंड ने भारत को घर में 3-0 से हराया था। टेस्ट क्रिकेट में टीम के इस बेहद खराब प्रदर्शन के बाद कोच गंभीर की जमकर आलोचना हो रही है। कई पूर्व भारतीय क्रिकेटर और विशेषज्ञ उनके टेस्ट कोचिंग के तरीकों पर सवाल उठा रहे हैं और बदलाव की मांग कर रहे हैं।
गंभीर की कोचिंग में भारत की टेस्ट में 4 बड़ी गलतियां
गौतम गंभीर के हेड कोच बनने के बाद से भारतीय टेस्ट टीम कई मोर्चों पर संघर्ष करती दिख रही है। विशेषज्ञों का मानना है कि उनकी कोचिंग रणनीति में कुछ बड़ी खामियां हैं, जिनका खामियाजा टीम को भुगतना पड़ रहा है।
गलती-1: सिर्फ 3 स्पेशलिस्ट बैटर पर निर्भरता
गौतम गंभीर की कोचिंग में टीम इंडिया ने व्हाइट बॉल क्रिकेट के साथ-साथ रेड बॉल क्रिकेट में भी ऑलराउंडर्स पर अत्यधिक जोर देना शुरू कर दिया है। इसका सीधा असर टीम के बल्लेबाजी संतुलन पर पड़ा है, जहां अब केवल 3 या 4 स्पेशलिस्ट बल्लेबाजों को ही अंतिम एकादश में मौका मिल पा रहा है। साउथ अफ्रीका के खिलाफ मौजूदा सीरीज में तो भारत ने दोनों टेस्ट मैचों में सिर्फ 3-3 स्पेशलिस्ट बल्लेबाजों को ही खिलाया। यशस्वी जायसवाल और केएल राहुल ने दोनों टेस्ट खेले, जबकि पहले मैच में शुभमन गिल और दूसरे में साई सुदर्शन को मौका मिला।
पहले टेस्ट में, भारत के ये तीन बल्लेबाज स्पिन पिच पर कुछ खास प्रदर्शन नहीं कर पाए। वहीं, दूसरे मुकाबले की पहली पारी में इन तीनों ने मिलकर 95 रन बनाए, लेकिन नंबर 4 से 7 तक के बल्लेबाज सिर्फ 23 रन ही जोड़ सके। ऋषभ पंत और ध्रुव जुरेल जैसे खिलाड़ी जोखिम भरे शॉट खेलने की कोशिश में अपना विकेट गंवा बैठे, जबकि टेस्ट फॉर्मेट में ऐसे शॉट्स की अक्सर कोई खास जरूरत नहीं होती। यह रणनीति टीम की बल्लेबाजी गहराई को कमजोर कर रही है और शीर्ष क्रम पर अधिक दबाव डाल रही है।
गलती-2: बैटिंग ऑर्डर में अत्यधिक प्रयोग
गंभीर की कोचिंग में टीम इंडिया की नंबर-3 की बल्लेबाजी पोजिशन स्थिर नहीं हो पा रही है। साउथ अफ्रीका टेस्ट सीरीज को ही देखें तो पहले मुकाबले में वॉशिंगटन सुंदर ने और दूसरे में साई सुदर्शन ने नंबर-3 पर बल्लेबाजी की। इस पोजिशन पर करुण नायर को भी मौका दिया गया, लेकिन किसी भी खिलाड़ी को लंबे समय तक यह पोजिशन नहीं मिल पाई।
गंभीर के कोच बनने से पहले, भारत को लगभग 25 सालों तक इस महत्वपूर्ण पोजिशन की चिंता नहीं करनी पड़ी थी। पहले राहुल द्रविड़ और बाद में चेतेश्वर पुजारा ने इस पोजिशन को बखूबी संभाला और कई मुश्किल परिस्थितियों में टीम को बिखरने से बचाया। नंबर-5 की पोजिशन भी टीम के लिए परेशानी का सबब बनी हुई है। यहां ऋषभ पंत, ध्रुव जुरेल और रवींद्र जडेजा जैसे खिलाड़ियों को आजमाया जा रहा है। इस पोजिशन को वीवीएस लक्ष्मण और अजिंक्य रहाणे जैसे दिग्गजों ने संभाले रखा था, लेकिन अब यहां भी बहुत ज्यादा प्रयोग हो रहे हैं, जिससे टीम में स्थिरता नहीं आ पा रही है और खिलाड़ियों को अपनी भूमिका समझने में मुश्किल हो रही है।
गलती-3: स्ट्राइक फिंगर स्पिनर की कमी
भारतीय टेस्ट टीम में विकेट लेने वाले फिंगर स्पिनरों की कमी भी एक बड़ी चिंता का विषय बन गई है। 2013 से 2023 तक एशियाई परिस्थितियों में भारत के दबदबे की एक बड़ी वजह रविचंद्रन अश्विन और रवींद्र जडेजा की शानदार स्पिन जोड़ी रही थी। न्यूजीलैंड से पिछले साल घर में क्लीन स्वीप के बाद भारत के दूसरे सबसे ज्यादा विकेट लेने वाले गेंदबाज रविचंद्रन अश्विन ने संन्यास ले लिया।
ऑस्ट्रेलिया दौरे पर अश्विन की जगह ऑफ स्पिन ऑलराउंडर वॉशिंगटन सुंदर को प्राथमिकता दी गई, जिसके बाद अश्विन ने आगे खेलना जारी नहीं रखा। अश्विन टीम के स्ट्राइक बॉलर थे और उनके जाने के बाद जडेजा अकेले पड़ गए हैं। नए कप्तान भी जडेजा की गेंदबाजी का उतने बेहतर तरीके से इस्तेमाल नहीं कर पा रहे हैं, जिस तरीके से एमएस धोनी और विराट कोहली करते थे। टीम मैनेजमेंट अब सुंदर और अक्षर पटेल जैसे स्पिन ऑलराउंडर्स पर फोकस कर रही है, लेकिन उनमें अश्विन जैसी विकेट लेने की क्षमता नजर नहीं आती। घरेलू क्रिकेट में साई किशोर, सारांश जैन और सौरभ कुमार जैसे स्ट्राइक फिंगर स्पिनर्स मौजूद हैं, लेकिन उन्हें अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मौके नहीं मिल रहे हैं, जिससे टीम को नुकसान हो रहा है।
गलती-4: ऑलराउंडर्स का बेदम प्रदर्शन
वॉशिंगटन सुंदर, अक्षर पटेल, रवींद्र जडेजा और नीतीश रेड्डी जैसे ऑलराउंडर्स की क्षमताओं पर बहुत ज्यादा भरोसा दिखाया जा रहा है। ज्यादातर मुकाबलों में इन चार में से कम से कम तीन खिलाड़ी तो प्लेइंग-11 का हिस्सा रहते ही हैं। उनकी व्यक्तिगत काबिलियत अच्छी है, लेकिन टेस्ट क्रिकेट में टीम इंडिया के लिए उनका प्रदर्शन उतना प्रभावी साबित नहीं हो रहा है। सुंदर और अक्षर बल्लेबाजी से कुछ प्रभाव छोड़ पा रहे हैं, लेकिन टेस्ट टीम में ऑफ स्पिनर का काम नहीं कर पा रहे हैं, यानी विकेट लेने में उतने सफल नहीं हैं।
जडेजा कई बार विकेट झटक ले रहे हैं, लेकिन एशियाई परिस्थितियों में उनकी बल्लेबाजी फ्लॉप ही साबित हो रही है। नीतीश रेड्डी को तो भारतीय परिस्थितियों में प्लेइंग-11 में शामिल करने का कोई मतलब ही नजर नहीं आ रहा है। न तो उनके बल्ले से रन आ रहे हैं और न ही वे अपनी गेंदबाजी में कोई कमाल कर पा रहे हैं। उन्हें ज्यादा गेंदबाजी के मौके भी नहीं दिए जा रहे हैं। उनकी जगह किसी स्पेशलिस्ट बल्लेबाज को मौका देकर टीम ज्यादा फायदा हासिल कर सकती है, जिससे बल्लेबाजी क्रम में गहराई और स्थिरता आ सके।
13 महीने में दूसरी घरेलू सीरीज हार का खतरा
गौतम गंभीर को जुलाई 2024 में भारत का हेड कोच बनाया गया था। उनकी कोचिंग में भारत ने बांग्लादेश को 2-0 से सीरीज हराई थी, जो एक अच्छी शुरुआत थी। हालांकि, इसके बाद टेस्ट क्रिकेट में टीम का प्रदर्शन चिंताजनक रहा है। न्यूजीलैंड ने 36 साल से भारत में कोई टेस्ट सीरीज नहीं जीती थी, लेकिन गंभीर की कोचिंग में न्यूजीलैंड ने न सिर्फ एक मुकाबला जीता, बल्कि सीरीज में 3-0 से क्लीन स्वीप भी कर लिया। यह भारत को घरेलू परिस्थितियों में 12 साल बाद सीरीज हार का सामना करना पड़ा था, जो एक बड़ा झटका था।
न्यूजीलैंड के खिलाफ उस हार के 13 महीने के अंदर ही भारत को साउथ अफ्रीका ने कोलकाता में पहला टेस्ट हरा दिया। साउथ अफ्रीका को भारत में आखिरी जीत 15 साल पहले मिली थी। इतना ही नहीं, साउथ अफ्रीका के पास अब 25 साल बाद भारत में टेस्ट सीरीज जीतने का भी मौका है, जो भारतीय क्रिकेट के लिए एक शर्मनाक रिकॉर्ड होगा। यह दिखाता है कि गंभीर की कोचिंग में टीम घरेलू परिस्थितियों में भी अपना दबदबा खो रही है, जहां वह पहले अजेय मानी जाती थी।
घरेलू टेस्ट हारने का पुराना रिकॉर्ड और गंभीर का दौर
गौतम गंभीर अपने 18 महीने के कोचिंग करियर में अब तक 4 घरेलू टेस्ट मैच हार चुके हैं। अगर साउथ अफ्रीका गुवाहाटी में जीत जाती है, तो गंभीर की कोचिंग में यह 5वीं हार होगी। यह आंकड़ा तब और भी चौंकाने वाला लगता है जब हम पिछले रिकॉर्ड्स पर नजर डालते हैं। इससे पहले, भारत को घर में 4 टेस्ट मैच हारने में 12 साल लग गए थे।
2012 में डंकन फ्लेचर की कोचिंग में इंग्लैंड के खिलाफ भारत को 2-1 की सीरीज हार मिली थी। इसके बाद अनिल कुंबले की कोचिंग में ऑस्ट्रेलिया और रवि शास्त्री की कोचिंग में इंग्लैंड ने 1-1 बार हराया। वहीं, राहुल द्रविड़ की कोचिंग में टीम को 2 घरेलू हार मिलीं। यानी, 12 सालों में 3 अलग-अलग कोच रखने के बावजूद टीम को केवल 4 टेस्ट में हार मिली, इस दौरान टीम ने 40 मैच जीते। इसके विपरीत, गंभीर की कोचिंग में न्यूजीलैंड और साउथ अफ्रीका ने सिर्फ 13 महीने में ही 4 टेस्ट हरा दिए हैं। इस दौरान टीम ने ऑस्ट्रेलिया और इंग्लैंड जैसी मजबूत टीमों का तो अब तक घर में सामना भी नहीं किया है, जिससे यह सवाल उठता है कि क्या गंभीर की रणनीति भारतीय परिस्थितियों के लिए उपयुक्त है।
ऑस्ट्रेलिया और इंग्लैंड में भी गंभीर की कोचिंग का प्रदर्शन
गंभीर की कोचिंग में भारत अब तक 19 टेस्ट मैच खेल चुका है। इनमें से 5 ऑस्ट्रेलिया में, 5 इंग्लैंड में और बाकी घर में खेले गए। घर में टीम ने बांग्लादेश और वेस्टइंडीज को 4 मैच हराए, लेकिन बाकी 4 मैच गंवा दिए। ऑस्ट्रेलिया में भी भारत ने कुछ खास प्रदर्शन नहीं किया। पर्थ में जसप्रीत बुमराह की कप्तानी में पहला टेस्ट जीता, लेकिन कप्तान रोहित शर्मा के लौटने के बाद सीरीज 3-1 से गंवा दी।
इसी ऑस्ट्रेलिया सीरीज में रविचंद्रन अश्विन ने संन्यास लिया था। वहीं, सीरीज के बाद मई में कप्तान रोहित शर्मा और दिग्गज विराट कोहली ने टेस्ट क्रिकेट को अलविदा कह दिया। इंग्लैंड में युवा कप्तान शुभमन गिल की अगुवाई में भारत ने 5 टेस्ट मैचों की सीरीज 2-2 से ड्रॉ कराई, जो एक सम्मानजनक प्रदर्शन था। लेकिन अब साउथ अफ्रीका से सीरीज हार के हालात बन गए हैं, जिससे गंभीर की टेस्ट कोचिंग पर एक बार फिर सवाल उठ रहे हैं, खासकर जब टीम के वरिष्ठ खिलाड़ी संन्यास ले चुके हैं और युवा टीम को मार्गदर्शन की सख्त जरूरत है।
टी-20 और वनडे में गंभीर का सफल कार्यकाल
जहां गौतम गंभीर टेस्ट क्रिकेट में एक असफल कोच साबित हो रहे हैं, वहीं टी-20 फॉर्मेट में उनका प्रदर्शन उतना ही बेहतरीन रहा है। वनडे में उनका प्रदर्शन मिलाजुला रहा है। टी-20 फॉर्मेट में भारत ने 1 जुलाई 2024 से गंभीर की कोचिंग में 32 मैच खेले हैं। इनमें से 26 जीते और महज 4 गंवाए, जबकि 2 मैच बेनतीजा रहे। टीम ने इस दौरान एशिया कप का खिताब जीता और टूर्नामेंट में पाकिस्तान को लगातार 3 मैचों में भी हराया, जो एक बड़ी उपलब्धि थी।
वनडे क्रिकेट में भी गंभीर की कोचिंग में भारत ने इंग्लैंड को सीरीज हराई और प्रतिष्ठित चैंपियंस ट्रॉफी का खिताब भी जीता। हालांकि, टीम श्रीलंका और ऑस्ट्रेलिया में वनडे सीरीज नहीं जीत सकी, जो उनके वनडे कोचिंग करियर में कुछ कमियां दिखाती हैं। कुल मिलाकर, गंभीर की कोचिंग सफेद गेंद के क्रिकेट में काफी सफल रही है, लेकिन लाल गेंद के क्रिकेट में टीम का प्रदर्शन लगातार गिरता जा रहा है, जिससे उनकी टेस्ट कोचिंग क्षमताओं पर गंभीर सवाल खड़े हो रहे हैं।
विशेषज्ञों की राय: गंभीर को टेस्ट से हटाओ
भारतीय टीम के टेस्ट क्रिकेट में लगातार खराब प्रदर्शन के बाद, कई पूर्व क्रिकेटर और विशेषज्ञ गौतम गंभीर को टेस्ट कोच के पद से हटाने की मांग कर रहे हैं। उनकी राय में, टीम को टेस्ट फॉर्मेट के लिए एक अलग दृष्टिकोण और नेतृत्व की आवश्यकता है।
अतुल वासन का बयान
पूर्व भारतीय क्रिकेटर अतुल वासन ने गंभीर की कोचिंग पर कड़ी टिप्पणी करते हुए कहा, "हमारे बल्लेबाज स्पिन खेलना भूल गए हैं। बड़े-बड़े शॉट्स खेलने की आदत ने उन्हें टेस्ट खेलना भूला दिया है। न्यूजीलैंड, साउथ अफ्रीका जैसी टीमें तक घर में हरा दे रही हैं। हर सीरीज में हमारे बैटिंग कोच बदल जाते हैं, सरफराज खान, हनुमा विहारी जैसे टेस्ट बल्लेबाजों को मौका ही नहीं मिल पा रहा।"
उन्होंने आगे कहा, "वनडे, टी-20 के खिलाड़ियों को ही टेस्ट में खिला दे रहे हैं। ऑलराउंडर्स को खिलाने की दिक्कत नहीं है, लेकिन टेस्ट में आपके टॉप-5 स्पेशलिस्ट बैटर्स ही होने चाहिए। स्पिन पिच पर जल्दी आउट हो गए, अब अच्छी पिच मिली तो पेसर्स को विकेट दे दिए। इससे यही साबित होता है कि आप टेस्ट को सीरियसली नहीं ले रहे। इसे सुधारने के लिए टेस्ट में तो कोच बदलना ही होगा। द्रविड़ को फिर लेकर आइए, पुजारा जैसे खिलाड़ियों को प्लेइंग-11 में लाइए।" वासन का यह बयान गंभीर की रणनीति और टीम चयन पर सीधा सवाल उठाता है।
सबा करीम का बयान
पूर्व इंडियन सिलेक्टर सबा करीम ने भी टीम के बल्लेबाजी दृष्टिकोण पर चिंता व्यक्त की। उन्होंने कहा, "भारत के टेस्ट बल्लेबाज पार्टनरशिप करने पर ध्यान ही नहीं दे रहे। पता नहीं बल्लेबाज टेस्ट में बड़े-बड़े शॉट्स पर क्यों फोकस कर रहे हैं। टेस्ट में पूरा दिन बैटिंग करने पर ध्यान दिया जाता है। साउथ अफ्रीका ने इसे बखूबी किया, लेकिन हमारी टीम पता नहीं किस सोच से खेल रही है।" करीम का बयान टीम की मानसिकता और टेस्ट क्रिकेट की मूल समझ पर सवाल खड़े करता है, जो गंभीर की कोचिंग में विकसित हुई है।
कुल मिलाकर, गौतम गंभीर की कोचिंग में भारतीय टेस्ट टीम का प्रदर्शन लगातार निराशाजनक रहा है, खासकर घरेलू परिस्थितियों में। विशेषज्ञों और पूर्व खिलाड़ियों की मांग है कि टेस्ट फॉर्मेट के लिए एक अलग कोच नियुक्त किया जाए, ताकि टीम को इस मुश्किल दौर से बाहर निकाला जा सके और पारंपरिक टेस्ट क्रिकेट के मूल्यों को फिर से स्थापित किया जा सके।