संसद में पीपी चौधरी अव्वल: संसद में सवाल पूछने में पाली सांसद पीपी चौधरी अव्वल: पूछे सबसे ज्यादा 26 प्रश्न
पाली सांसद पीपी चौधरी ने लोकसभा में 26 प्रश्न पूछकर राजस्थान के सभी सांसदों को पीछे छोड़ दिया है। उनकी सदन में शत-प्रतिशत उपस्थिति और सक्रिय भागीदारी ने उन्हें चर्चा में ला दिया है।
पाली | राजस्थान के पाली लोकसभा क्षेत्र से भारतीय जनता पार्टी के सांसद पीपी चौधरी ने एक बार फिर संसदीय कार्यों में अपनी सक्रियता का लोहा मनवाया है। हाल ही में संपन्न हुए संसदीय सत्र के दौरान जनहित के मुद्दों पर सवाल करने के मामले में चौधरी पूरे राजस्थान में अव्वल रहे हैं। उन्होंने सदन की कार्यवाही में भाग लेते हुए कुल 26 प्रश्न पूछे जो प्रदेश के किसी भी अन्य सांसद की तुलना में सबसे अधिक हैं। इसके साथ ही सदन में उनकी उपस्थिति 100 प्रतिशत दर्ज की गई जो उनके संसदीय दायित्वों के प्रति गंभीरता को दर्शाती है। पीपी चौधरी ने न केवल प्रश्न पूछे बल्कि 4 महत्वपूर्ण राष्ट्रीय और क्षेत्रीय मुद्दों पर हुई बहस में भी सक्रिय रूप से हिस्सा लिया।
राजस्थान के सांसदों का तुलनात्मक प्रदर्शन
लोकसभा सचिवालय द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार राजस्थान के कुल सांसदों ने इस सत्र में कुल 327 प्रश्न पूछे। इन 327 प्रश्नों में से अकेले पीपी चौधरी के नाम 26 प्रश्न दर्ज हैं। उनके बाद भीलवाड़ा से सांसद दामोदर अग्रवाल का स्थान आता है जिन्होंने 25 प्रश्न पूछकर अपनी सक्रियता दिखाई। इसी कड़ी में राजसमंद की सांसद महिमा कुमारी मेवाड़ भी पीछे नहीं रहीं और उन्होंने 23 प्रश्न पूछकर तीसरा स्थान हासिल किया। यह आंकड़े बताते हैं कि राजस्थान के सांसद सदन में प्रदेश की समस्याओं और विकास कार्यों को लेकर काफी सजग हैं।
सदन में बहस और चर्चा की स्थिति
संसदीय लोकतंत्र में केवल प्रश्न पूछना ही पर्याप्त नहीं होता बल्कि विधेयकों और नीतियों पर बहस करना भी उतना ही महत्वपूर्ण है। इस मोर्चे पर नागौर के सांसद हनुमान बेनीवाल सबसे आगे रहे हैं। उन्होंने बिलों पर बहस ध्यानाकर्षण प्रस्ताव और अन्य विधायी माध्यमों से 12 बार सदन में अपनी बात रखी। उनके बाद बांसवाड़ा-डूंगरपुर से भारत आदिवासी पार्टी के सांसद राजकुमार रोत का नाम आता है जिन्होंने 9 बार विभिन्न मुद्दों को सदन के पटल पर रखा। पीपी चौधरी ने भी 4 बार महत्वपूर्ण चर्चाओं में भाग लेकर नीति निर्माण की प्रक्रिया में अपना योगदान दिया।
पीपी चौधरी का राजनीतिक और प्रशासनिक परिचय
पीपी चौधरी केवल एक सांसद ही नहीं बल्कि एक वरिष्ठ वकील और अनुभवी राजनीतिज्ञ भी हैं। वे वर्तमान में पाली लोकसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं। इससे पहले वे भारत सरकार में कॉर्पोरेट मामलों के राज्य मंत्री के साथ-साथ कानून और न्याय मंत्रालय तथा इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय में राज्य मंत्री के रूप में अपनी सेवाएं दे चुके हैं। उनके पास प्रशासनिक कार्यों और कानूनी बारीकियों का गहरा अनुभव है जिसका लाभ उन्हें संसदीय चर्चाओं के दौरान मिलता है। वे भारतीय जनता पार्टी के एक निष्ठावान सदस्य के रूप में जाने जाते हैं।
संसदीय समितियों में महत्वपूर्ण भूमिका
अपने लंबे राजनीतिक करियर के दौरान पीपी चौधरी ने कई महत्वपूर्ण संसदीय समितियों की अध्यक्षता की है। उन्होंने विदेश मामलों की स्थायी समिति के अध्यक्ष के रूप में कार्य किया है। इसके अलावा वे जन विश्वास प्रावधानों का संशोधन विधेयक 2022 और व्यक्तिगत डेटा संरक्षण विधेयक 2019 जैसी महत्वपूर्ण संयुक्त समितियों के अध्यक्ष भी रहे हैं। लाभ के पदों पर बनी संयुक्त समिति की कमान भी उनके हाथों में रह चुकी है। वर्तमान में वे लोक लेखा समिति और गृह मंत्रालय की सलाहकार समिति जैसे महत्वपूर्ण निकायों के सदस्य के रूप में अपनी भूमिका निभा रहे हैं।
पारिवारिक पृष्ठभूमि और शिक्षा
पीपी चौधरी का जन्म राजस्थान के जोधपुर जिले के भावी गांव में एक साधारण किसान परिवार में हुआ था। उनके पिता प्रभु राम चौधरी और माता धाकु देवी ने उन्हें समाज सेवा के संस्कारों से ओतप्रोत किया। उनका प्रारंभिक जीवन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की शाखाओं में बीता जहां उन्होंने राष्ट्र सेवा का संकल्प लिया। शिक्षा की बात करें तो उन्होंने जय नारायण व्यास विश्वविद्यालय जोधपुर से विज्ञान और कानून में स्नातक की डिग्रियां प्राप्त कीं। 1978 में उन्होंने जोधपुर उच्च न्यायालय में वकालत शुरू की और कानून के क्षेत्र में अपनी विशिष्ट पहचान बनाई। उनका विवाह वीणा पाणि चौधरी से हुआ और उनके दो बच्चे हैं।
संसदीय उत्कृष्टता और सम्मान
पीपी चौधरी की लोकप्रियता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि उन्होंने 2014 के आम चुनाव में 4 लाख से अधिक मतों के अंतर से जीत हासिल की थी। 2019 में यह अंतर बढ़कर 5 लाख हो गया और 2024 में भी उन्होंने 2.5 लाख वोटों के बड़े अंतर से जीत की हैट्रिक लगाई। उनके उत्कृष्ट संसदीय प्रदर्शन और सदन में उनकी सक्रियता को देखते हुए उन्हें 2015 और 2016 में लगातार दो वर्षों तक प्रतिष्ठित सांसद रत्न पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। यह सम्मान उन सांसदों को दिया जाता है जो सदन की कार्यवाही में सबसे प्रभावी तरीके से भाग लेते हैं।