प्राचीन ज्ञान से आधुनिक शासन: प्राचीन ज्ञान से आधुनिक शासन और रक्षा को नई दिशा: ब्रिगेडियर शेखावत

बीकानेर (Bikaner) में आयोजित "सेवा परमॊ धर्मः" कार्यशाला में ब्रिगेडियर जितेन्द्र सिंह शेखावत (Brigadier Jitendra Singh Shekhawat) ने प्राचीन भारतीय ज्ञान को आधुनिक शासन और रक्षा के लिए मार्गदर्शक बताया।

Brigediar Jitendra Singh Shekhawat in UGPF Event Bikaner

बीकानेर: बीकानेर (Bikaner) में आयोजित "सेवा परमॊ धर्मः on HR CSR" कार्यशाला में ब्रिगेडियर जितेन्द्र सिंह शेखावत (Brigadier Jitendra Singh Shekhawat) ने प्राचीन भारतीय ज्ञान को आधुनिक शासन और रक्षा के लिए मार्गदर्शक बताया।

प्राचीन ज्ञान: आधुनिक भारत का पथ प्रदर्शक

लक्ष्मी निवास पैलेस, बीकानेर में यूनाइटेड ग्लोबल पीस फाउंडेशन की ओर से आयोजित "सेवा परमॊ धर्मः" कार्यशाला में देश के वरिष्ठ सैन्य अधिकारी ब्रिगेडियर जितेन्द्र सिंह शेखावत (शौर्य चक्र) ने "प्राचीन ज्ञान का शासन और सैन्य पर प्रभाव" विषय पर प्रेरक सम्बोधन दिया।

इस अवसर पर उन्होंने कहा कि भारत का प्राचीन ज्ञान केवल इतिहास नहीं, बल्कि आधुनिक शासन और रक्षा के लिए मार्गदर्शक सिद्धांत है।

उन्होंने बल दिया कि "राजधर्म", "धर्मयुद्ध", "सुशासन" और "नैतिक युद्धनीति" जैसे सिद्धांत आज भी राष्ट्र-निर्माण के लिए उतने ही प्रासंगिक हैं जितने हजारों वर्ष पहले थे।

राजधर्म: जनता का हित सर्वोपरि

अपने सम्बोधन में ब्रिगेडियर शेखावत ने कहा कि कौटिल्य, मनुस्मृति, महाभारत और तिरुक्कुरल जैसे ग्रंथों में शासन की मूल भावना "प्रजाहित" में निहित है।

उन्होंने संस्कृत श्लोक "प्रजानां हितमेवाभूत् राज्ञः परम् धर्मतः" का उल्लेख करते हुए कहा कि राजा का सर्वोच्च धर्म अपनी प्रजा का हित है, यही सच्चे शासन का आधार है।

यह सिद्धांत आज भी किसी भी सुशासन प्रणाली की नींव होना चाहिए।

नैतिक युद्धनीति और धर्मयुद्ध की भावना

ब्रिगेडियर शेखावत ने भारतीय सैन्य परंपरा की चर्चा करते हुए कहा कि युद्ध केवल विजय के लिए नहीं, बल्कि धर्म और न्याय की रक्षा के लिए लड़े जाते थे।

उन्होंने भगवद्गीता के "धर्मक्षेत्रे कुरुक्षेत्रे..." श्लोक को उद्धृत करते हुए कहा कि भारतीय सेना आज भी उसी नैतिक युद्धनीति की परंपरा को आगे बढ़ा रही है, जिसमें नागरिकों और संपत्ति की रक्षा सर्वोपरि मानी जाती है।

यह भारतीय सैन्य दर्शन की एक अनूठी विशेषता है जो इसे विश्व की अन्य सेनाओं से अलग करती है।

कौटिल्य का अर्थशास्त्र: रणनीति का शाश्वत स्रोत

उन्होंने कौटिल्य के षड्गुण्य नीति सिद्धांत (संधि, विग्रह, आसन, यान, संश्रय, द्वैधभाव) को आधुनिक कूटनीति और रक्षा रणनीति से जोड़ा।

ब्रिगेडियर शेखावत ने कहा कि आज की बदलती भू-राजनीतिक परिस्थितियों में, इन प्राचीन सिद्धांतों की व्याख्या नयी दृष्टि से की जानी चाहिए ताकि भारत आत्मनिर्भर और रणनीतिक रूप से सशक्त बन सके।

कौटिल्य के विचार आज भी अंतरराष्ट्रीय संबंधों और राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण सबक प्रदान करते हैं।

भारतीय सेना का 'प्रोजेक्ट उद्भव'

ब्रिगेडियर शेखावत ने सेना की पहल "प्रोजेक्ट उद्भव" का उल्लेख करते हुए बताया कि यह अभियान भारतीय रक्षा चिंतन में अर्थशास्त्र, थिरुक्कुरल और प्राचीन सैन्य ग्रंथों के अध्ययन को पुनर्जीवित कर रहा है।

उन्होंने कहा कि हमारा लक्ष्य केवल आधुनिक तकनीक नहीं, बल्कि उस नैतिक और बौद्धिक शक्ति को पुनः जागृत करना है जिसने भारत को सदियों तक विश्वगुरु बनाया।

यह परियोजना भारतीय सेना को उसकी जड़ों से जोड़ते हुए भविष्य के लिए तैयार कर रही है।

आत्मनिर्भर भारत: ज्ञान और नीति से सशक्तिकरण

कार्यशाला के समापन पर उन्होंने कहा कि 'आत्मनिर्भर भारत' केवल आर्थिक अवधारणा नहीं, बल्कि सांस्कृतिक और बौद्धिक स्वावलंबन की दिशा में कदम है।

भारत का प्राचीन ज्ञान हमें यह सिखाता है कि सच्ची विजय केवल धर्म से ही संभव है।

ज्ञान और नीति ही राष्ट्र की असली शक्ति हैं, जो हमें विश्वगुरु के रूप में हमारी सही जगह दिलाएंगी।

कार्यशाला का प्रभाव

इस कार्यशाला में देशभर से शिक्षाविद्, रक्षा विशेषज्ञ, सामाजिक कार्यकर्ता और युवा शामिल हुए।

सत्र का संचालन यूनाइटेड ग्लोबल पीस फाउंडेशन के प्रतिनिधियों ने किया, जबकि समापन पर प्रतिभागियों ने "सेवा परमॊ धर्मः" के मंत्र को आत्मसात करने का संकल्प लिया।

यह आयोजन प्राचीन भारतीय मूल्यों को आधुनिक संदर्भ में समझने का एक महत्वपूर्ण मंच साबित हुआ।