राजस्थान में वोटर लिस्ट का गहन पुनरीक्षण: राजस्थान में SIR: 70% वोटर्स को नहीं देने होंगे दस्तावेज

राजस्थान में SIR: 70% वोटर्स को नहीं देने होंगे दस्तावेज
राजस्थान में वोटर लिस्ट का गहन पुनरीक्षण
Ad

Highlights

  • 70.55% मतदाताओं को दस्तावेज देने की आवश्यकता नहीं होगी।
  • बीएलओ घर-घर जाकर तीन बार फॉर्म भरवाएंगे।
  • पुरानी एसआईआर सूची से मिलान के बाद ही दस्तावेज मांगे जाएंगे।
  • स्थानीय निकाय और पंचायतीराज चुनाव टलना लगभग तय है।

जयपुर: राजस्थान (Rajasthan) में मतदाता सूची (Voter List) के विशेष गहन पुनरीक्षण (Special Intensive Revision - SIR) की प्रक्रिया शुरू हो गई है, जिसमें 70.55 प्रतिशत मतदाताओं (Voters) को कोई दस्तावेज नहीं देना होगा।

राजस्थान में विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) की शुरुआत

राज्य के मुख्य निर्वाचन अधिकारी नवीन महाजन ने मीडिया को यह जानकारी दी है।

उन्होंने बताया कि बिहार में पहले चरण में दस्तावेज लेने से मिली सीख के बाद राजस्थान में यह प्रक्रिया अपनाई गई है।

राज्य में पहले ही वोटर्स की मैपिंग शुरू कर दी गई थी।

इस कारण 70 प्रतिशत से अधिक मतदाताओं को एसआईआर की घोषणा के दिन से ही कोई दस्तावेज देने की जरूरत नहीं होगी।

महाजन ने उम्मीद जताई कि जब बीएलओ (बूथ लेवल ऑफिसर) घर-घर जाकर फॉर्म भरवाएंगे, तब तक यह आंकड़ा 80 प्रतिशत को पार कर सकता है।

27 अक्टूबर तक राजस्थान में कुल 5,48,84,570 मतदाता पंजीकृत हैं।

एसआईआर क्या है और क्यों?

विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) मतदाता सूची की गहन जांच प्रक्रिया है।

यह सुनिश्चित करने के लिए किया जाता है कि मतदाता सूची में कोई गलत व्यक्ति न हो और किसी का नाम एक से अधिक जगह न हो।

राजस्थान में आखिरी बार एसआईआर 2003-04 में हुआ था, यानी लगभग 22 साल बाद यह प्रक्रिया दोहराई जा रही है।

इस प्रक्रिया में हर मतदाता का सत्यापन किया जाएगा।

दस्तावेजों की आवश्यकता और नियम

नवीन महाजन ने स्पष्ट किया कि 2002 से 2005 की वोटर लिस्ट के बाद 70.55 प्रतिशत वोटर्स की मैपिंग हो चुकी है।

इसका अर्थ है कि उनके नाम पिछली एसआईआर से मेल खा चुके हैं।

जिनके नाम पिछली एसआईआर की वोटर लिस्ट में हैं, उन्हें कोई दस्तावेज नहीं देना होगा।

यदि किसी के माता-पिता या दादा-दादी के नाम पिछली एसआईआर में हैं, तो उन्हें पहचान का एक दस्तावेज देना होगा।

ऐसे मामलों में नाम सीधे मेल नहीं खाएंगे और ईआरओ (इलेक्टोरल रजिस्ट्रेशन ऑफिसर) नोटिस जारी कर दस्तावेज जमा करवाने के लिए कहेंगे।

आयु वर्ग के अनुसार दस्तावेज

साल 2003 की मतदाता सूची में नाम होने पर कोई दस्तावेज नहीं देना होगा।

1 जुलाई 1987 से पहले जन्मे व्यक्तियों को स्वयं का जन्म प्रमाण पत्र देना होगा।

1 जुलाई 1987 से 2 दिसंबर 2004 के बीच जन्मे व्यक्तियों को माता-पिता के जन्म या नागरिकता के दस्तावेज दिखाने होंगे।

2 दिसंबर 2004 के बाद जन्मे लोगों को यह साबित करना होगा कि उनके माता-पिता में से कम से कम एक भारतीय नागरिक है और दूसरा गैर-कानूनी प्रवासी नहीं है; इसके लिए उन्हें अपने माता-पिता के दस्तावेज दिखाने होंगे।

आधार कार्ड अनिवार्य नहीं है, लेकिन 12 मान्य दस्तावेजों में से एक है।

बीएलओ की भूमिका और प्रक्रिया

बूथ लेवल ऑफिसर (बीएलओ) घर-घर जाकर गणना फॉर्म (EF) भरवाएंगे।

प्रत्येक वोटर को यह फॉर्म दिया जाएगा।

यदि कोई परिवार घर पर नहीं मिलता है, तो बीएलओ तीन बार घर पर जाएंगे।

इसके बाद भी न मिलने पर बीएलओ फॉर्म घर पर डालकर नोटिस चस्पा करेंगे।

पहले चरण में बीएलओ कोई दस्तावेज नहीं मांगेंगे, बल्कि मैपिंग और लिंकिंग पर जोर रहेगा।

केवल उन्हीं मतदाताओं को नोटिस देकर दस्तावेज मांगे जाएंगे, जो इस तरह की लिंकेज साबित नहीं कर पाएंगे।

वोटर मैपिंग में राजस्थान सबसे आगे

नवीन महाजन ने बताया कि एसआईआर वाले राज्यों में मतदाता मैपिंग में राजस्थान सबसे आगे है।

राजस्थान में कुल मैपिंग 49.37 प्रतिशत हो चुकी है।

अन्य राज्यों जैसे गुजरात में 5.73 प्रतिशत, यूपी में 13.41 प्रतिशत, एमपी में 20.09 प्रतिशत, तमिलनाडु में 21.62 प्रतिशत और छत्तीसगढ़ में 24.27 प्रतिशत वोटर्स की ही मैपिंग हुई है।

40 साल से ज्यादा उम्र के 79.32 प्रतिशत वोटर्स बीएलओ ऐप के माध्यम से फीड हो चुके हैं।

40 साल से कम उम्र के 22.22 प्रतिशत वोटर्स की मैपिंग हुई है।

सभी राज्यों की वोटर लिस्ट पोर्टल https://voters.eci.gov.in/ पर उपलब्ध है, जिससे मिलान आसान हो गया है।

दोहरी प्रविष्टि पर सख्त कार्रवाई

नवीन महाजन ने चेतावनी दी कि मतदाता सूची में जानबूझकर दो जगह नाम रखने पर एक साल की सजा का प्रावधान है।

पूरे देश की वोटर लिस्ट का डेटा अब मशीन रीडिंग फॉर्मेट में उपलब्ध है।

इससे दोहरे नाम वाले मतदाताओं को आसानी से पहचाना और हटाया जा सकेगा।

ड्राफ्ट लिस्ट में मृत वोटर्स, डुप्लीकेट नाम वाले वोटर्स और स्थायी रूप से बाहर बस चुके वोटर्स के नाम हटाए जाएंगे।

हटाए जाने वाले नामों को वेबसाइट पर सार्वजनिक किया जाएगा।

घुमंतू परिवारों और बूथों पर प्रभाव

एसआईआर में घुमंतू परिवारों को भी फॉर्म दिए जाएंगे।

इन परिवारों तक फॉर्म पहुंचाने के लिए बीएलओ के साथ वॉलंटियर्स की सहायता ली जाएगी।

एसआईआर के बाद एक बूथ पर औसतन 890 वोटर रह जाएंगे।

इससे प्रदेश में 8819 नए पोलिंग बूथ बनेंगे, जिससे कुल बूथों की संख्या 61309 हो जाएगी।

स्थानीय चुनावों और तबादलों पर असर

मतदाता सूची के फ्रीज होने के कारण स्थानीय निकाय और पंचायतीराज संस्थाओं के चुनाव टलना लगभग तय है।

जब तक एसआईआर की प्रक्रिया पूरी नहीं हो जाती और फाइनल वोटर लिस्ट का प्रकाशन नहीं हो जाता, तब तक चुनाव नहीं हो सकेंगे।

फरवरी तक एसआईआर प्रक्रिया से जुड़े कलेक्टर, एसडीएम, एडीएम, तहसीलदार और बीएलओ जैसे कर्मचारी-अधिकारियों के तबादलों पर रोक रहेगी।

विशेष परिस्थितियों में तबादले के लिए चुनाव आयोग से मंजूरी लेनी होगी।

विधानसभा उपचुनाव की प्रक्रिया के चलते अंता में एसआईआर नहीं होगा।

राजस्थान में 22 साल बाद हो रहा यह विशेष गहन पुनरीक्षण मतदाता सूची की सटीकता और पारदर्शिता सुनिश्चित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

यह प्रक्रिया मतदाताओं के लिए सहूलियत भरी होगी, क्योंकि अधिकांश को दस्तावेज देने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी।

Must Read: फोन कर खुद को बताया, लॉरेंस गैंग का रोहित गोदारा

पढें राज्य खबरें, ताजा हिंदी समाचार (Latest Hindi News) के लिए डाउनलोड करें thinQ360 App.

  • Follow us on :