Rajasthan: प्रसिद्ध कथावाचक इंद्रेश उपाध्याय जयपुर में करेंगे शादी

प्रसिद्ध कथावाचक इंद्रेश उपाध्याय (Indresh Upadhyay) 5 दिसंबर को जयपुर (Jaipur) में हरियाणा (Haryana) की शिप्रा (Shipra) के साथ विवाह करेंगे। वृंदावन (Vrindavan) में उनकी निकासी धूमधाम से निकली। इस शाही शादी में देश-विदेश के संत-महंत और बॉलीवुड हस्तियां शामिल होंगी।

कथावाचक इंद्रेश उपाध्याय की शादी

जयपुर: प्रसिद्ध कथावाचक इंद्रेश उपाध्याय (Indresh Upadhyay) 5 दिसंबर को जयपुर (Jaipur) में हरियाणा (Haryana) की शिप्रा (Shipra) के साथ विवाह करेंगे। वृंदावन (Vrindavan) में उनकी निकासी धूमधाम से निकली। इस शाही शादी में देश-विदेश के संत-महंत और बॉलीवुड हस्तियां शामिल होंगी।

वृंदावन के प्रसिद्ध कथावाचक इंद्रेश उपाध्याय, जो अपनी मधुर वाणी और सरल कथा शैली के लिए जाने जाते हैं, अपने जीवन के एक नए अध्याय की शुरुआत करने जा रहे हैं। वे 5 दिसंबर को राजस्थान की राजधानी जयपुर के भव्य होटल ताज आमेर में हरियाणा की शिप्रा के साथ सात फेरे लेंगे।

यह विवाह समारोह देशभर के साधु-संतों, आध्यात्मिक गुरुओं और गणमान्य व्यक्तियों की मौजूदगी में संपन्न होगा, जो इसे एक ऐतिहासिक और पवित्र अवसर बना देगा। 5 दिसंबर को सुबह 10 बजे से दोपहर 1 बजे तक शुभ मुहूर्त में फेरे की रस्में निभाई जाएंगी, जिसके बाद रात को इसी होटल में भव्य रिसेप्शन का आयोजन किया जाएगा, जिसमें मेहमानों के लिए शानदार व्यवस्थाएं की गई हैं।

वृंदावन में निकली शाही निकासी और पारंपरिक रस्में

विवाह से पहले, इंद्रेश उपाध्याय के पैतृक निवास, वृंदावन के रमणरेती में स्थित उनके घर पर हल्दी, संगीत और अन्य विवाह पूर्व रस्में धूमधाम और पारंपरिक उत्साह के साथ निभाई गईं।

इन रस्मों में परिवार के सदस्यों और करीबी रिश्तेदारों ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया, जिससे पूरे घर में खुशी का माहौल छा गया।

बुधवार को दूल्हा बने इंद्रेश उपाध्याय की शाही निकासी निकाली गई, जिसने वृंदावन की गलियों में एक अद्भुत दृश्य प्रस्तुत किया।

इस अवसर पर इंद्रेश उपाध्याय ने ऑफ व्हाइट कलर की आकर्षक शेरवानी पहनी थी, जो उन पर खूब फब रही थी। उनके सिर पर सजी पगड़ी और हाथों में शोभा बढ़ा रही चांदी की छड़ी उनके शाही अंदाज को और भी निखार रही थी।

घोड़ी पर उनके साथ उनकी भतीजी भी बैठी थी, जो इस पल को और भी खास बना रही थी और परिवार के स्नेह को दर्शा रही थी। बारात में हाथी और घोड़े शामिल थे, जिससे पूरे वातावरण में एक उत्सव का माहौल बन गया था और देखने वाले मंत्रमुग्ध हो रहे थे।

यह बारात वृंदावन से जयपुर के लिए रवाना हुई और रात को जयपुर पहुंची। बाराती घोड़ों पर सवार होकर हाथों में बांके बिहारी का निशान थामे हुए थे, जिससे भक्ति और उल्लास का अद्भुत संगम देखने को मिला। 'जय श्री राधे' और 'जय श्री कृष्णा' के जयघोष से पूरा मार्ग गूंज उठा।

हाथियों पर इंद्रेश उपाध्याय के रिश्तेदार सवार थे, जो इस शाही आयोजन का हिस्सा बन रहे थे और इसकी भव्यता में चार चांद लगा रहे थे।

देश-विदेश से पहुंचे प्रमुख मेहमान और आध्यात्मिक हस्तियां

इंद्रेश उपाध्याय की शादी में देश-विदेश से कई प्रमुख हस्तियों को आमंत्रित किया गया है, जो इस समारोह को और भी गरिमामय बना रहे हैं।

परिवार के सदस्यों के साथ-साथ बागेश्वर धाम के पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री, मूलक पीठाधीश्वर राजेंद्र दास महाराज, प्रसिद्ध कथावाचक पुंडरीक गोस्वामी, कथावाचक देवकीनंदन ठाकुर और बॉलीवुड सिंगर बी प्राक जैसे कई प्रसिद्ध लोग जयपुर पहुंच रहे हैं। यह समारोह आध्यात्मिक और सांस्कृतिक हस्तियों के मिलन का एक बड़ा मंच बनेगा, जहां सभी मिलकर इस शुभ अवसर का जश्न मनाएंगे।

जयपुर के प्रमुख संत-महंत भी इस विवाह संस्कार में अपनी उपस्थिति दर्ज कराएंगे, जिससे स्थानीय आध्यात्मिक परंपराओं का भी सम्मान होगा। इनमें गोविंददेवजी मंदिर के महंत अंजन गोस्वामी और श्री सरस निकुंज के बड़े भैया जी सहित कई प्रमुख चेहरे शामिल हैं। विवाह वैदिक रीति-रिवाजों के अनुसार संपन्न होगा, जो भारतीय संस्कृति की समृद्ध परंपरा को दर्शाता है और इसे एक पवित्र संस्कार का रूप देता है।

विशिष्ट आमंत्रण पत्र और वृंदावन का प्रसाद

इंद्रेश और शिप्रा के विवाह के लिए एक अत्यंत विशेष और अनूठा आमंत्रण पत्र तैयार कराया गया है। इस कार्ड की सबसे बड़ी खासियत यह है कि इसके साथ वृंदावनधाम के विभिन्न प्रसिद्ध मंदिरों का प्रसाद भी भेजा गया है। इसमें राधारमणजी से मिश्री-इलायची और तुलसी, जबकि अन्य मंदिरों से स्वादिष्ट लड्डू शामिल हैं। यह प्रसाद मेहमानों के लिए केवल एक उपहार नहीं, बल्कि एक आध्यात्मिक अनुभव है, जो उन्हें वृंदावन की पवित्रता और भक्ति का अहसास कराता है।

शादी के कार्ड पर नाथद्वारा के श्रीनाथजी की भी मनमोहक तस्वीर है, जो इस आमंत्रण पत्र को और भी दिव्य बना रही है। यह दर्शाता है कि इंद्रेश उपाध्याय अपनी आध्यात्मिक जड़ों से कितने गहराई से जुड़े हुए हैं और वे अपने विवाह जैसे महत्वपूर्ण अवसर पर भी इन पवित्र परंपराओं और आस्थाओं को कितना महत्व दे रहे हैं।

जयपुर में शुरू हुए विवाह पूर्व कार्यक्रम और सांस्कृतिक प्रस्तुतियां

इंद्रेश उपाध्याय और उनका परिवार वृंदावन से जयपुर पहुंच चुका है और विवाह पूर्व के कार्यक्रम आज से ही शुरू हो गए हैं। सबसे पहले मायरा भात का पारंपरिक कार्यक्रम होटल ताज आमेर के कुंदन वन में आयोजित किया गया। इस संगीतमय कार्यक्रम को मान्या अरोड़ा ने अपनी मधुर आवाज और मनमोहक प्रस्तुति से और भी खास बना दिया। मान्या ने भजन और लोक गीतों के साथ मायरा भात की विशेष प्रस्तुति तैयार की है, जो इस पारंपरिक रस्म को जीवंत कर रही है। वे शादियों में मायरा भात और म्यूजिकल फेरे की प्रस्तुति देने के लिए काफी प्रसिद्ध हैं और उनकी कला ने माहौल को भक्तिमय बना दिया।

यह आयोजन बिल्कुल पारंपरिक अंदाज में किया जा रहा है, जिसमें भारतीय संस्कृति की झलक साफ दिखाई दे रही है। होटल प्रबंधन ने सभी कर्मचारियों को निर्देश दिए हैं कि वे आयोजन से जुड़े फोटो और वीडियो किसी से साझा न करें, ताकि इस निजी और पवित्र अवसर की गरिमा बनी रहे। मान्या का प्रमुख गाना 'चुनड़ लेकर आज बीरा आए हैं' इस मायरा-भात की कहानी को बखूबी बयां करता है, जिसमें बहन के लिए भाई लाल साड़ी-चुनड़ी लेकर आता है और भात भरता है। इस गाने में भाभी, भतीजे-भतीजी के आने का भी जिक्र है, जो भारतीय परिवार के भावनात्मक जुड़ाव और रीति-रिवाजों को दर्शाता है। बॉलीवुड सिंगर बी प्राक भी इस समारोह में अपनी उपस्थिति दर्ज कराने जयपुर पहुंच चुके हैं, जिससे मनोरंजन का स्तर और भी बढ़ गया है।

कथावाचक का जयपुर से विशेष आध्यात्मिक लगाव

इंद्रेश उपाध्याय का जयपुर से गहरा और आध्यात्मिक लगाव है। वे अपनी भागवत कथाओं के दौरान कई बार जयपुर को 'छोटा वृंदावन' कहकर संबोधित करते हैं। जयपुर के आराध्य गोविंददेवजी के वे परम भक्त हैं और अक्सर उनके दर्शन के लिए आते रहते हैं। जयपुर में वृंदावन से लाए गए श्रीकृष्ण के चार विग्रह - गोविंददेवजी, गोपीनाथ जी, राधा दामोदरजी और राधा विनोदी लाल जी - स्थापित हैं, यही वजह है कि इंद्रेश उपाध्याय इस शहर को वृंदावन के समान पवित्र और भक्तिमय मानते हैं। उनका जयपुर में विवाह करने का निर्णय भी इसी गहरे संबंध और आस्था को दर्शाता है, जिससे यह आयोजन और भी खास हो गया है।

इंद्रेश उपाध्याय का पारिवारिक परिचय और हास्य विनोद

इंद्रेश उपाध्याय स्वयं एक प्रसिद्ध कथावाचक हैं और वे प्रसिद्ध कथावाचक श्रीकृष्णचंद्र शास्त्री के सुपुत्र हैं। उनके परिवार में आध्यात्मिक परंपराओं का गहरा प्रभाव है और वे बचपन से ही भक्तिमय वातावरण में पले-बढ़े हैं। निकासी से पहले इंद्रेश ने अपनी मां नरवादा शर्मा से ब्रज भाषा में हास्यपूर्वक कहा था, 'मैया ब्याहने जारो हूं, दो बहू लाऊंगो। एक मेरे लाऊंगो, एक लाला के लाऊंगो।' उनके इस व्यंग्य पर वहां मौजूद सभी महिलाएं हंस पड़ीं, जिससे माहौल और भी खुशनुमा हो गया। यहां 'लाला' से उनका तात्पर्य ठाकुर जी की छवि से था, जिन्हें वे अपने साथ रखते हैं और प्यार से 'लालजी' कहते हैं। विवाह रस्म के दौरान लालजी की छवि भी उनके साथ ही थी, जो उनकी गहरी आस्था और ठाकुर जी के प्रति अटूट प्रेम को दर्शाती है।

होटल ताज आमेर की भव्य सजावट और व्यवस्थाएं

जयपुर के दिल्ली रोड पर स्थित होटल ताज आमेर इस भव्य विवाह समारोह के लिए पूरी तरह से तैयार है। होटल को विशेष रूप से वैदिक आध्यात्मिक थीम पर सजाया जा रहा है, जो पूरे वातावरण में एक पवित्र और शांत आभा बिखेरेगा और मेहमानों को एक अनूठा अनुभव प्रदान करेगा।

दिन में फेरे के बाद रात को यहीं पर रिसेप्शन का भी आयोजन किया जाएगा, जिसमें मेहमानों के लिए शानदार भोजन और मनोरंजन की विशेष व्यवस्थाएं की गई हैं। यह स्थान इस दिव्य विवाह का साक्षी बनेगा, जहां आध्यात्मिक और सामाजिक दोनों तरह की हस्तियां एक साथ आकर इस शुभ अवसर का जश्न मनाएंगी, जिससे यह शादी एक यादगार घटना बन जाएगी।