राजस्थान विश्वविद्यालय में लाठीचार्ज : शिक्षण संस्थान को राजनीति का केंद्र बनाना दुर्भाग्यपूर्ण : सचिन पायलट

कांग्रेस महासचिव सचिन पायलट ने राजस्थान विश्वविद्यालय में एनएसयूआई कार्यकर्ताओं पर हुए लाठीचार्ज की निंदा की है। उन्होंने शिक्षण संस्थानों को राजनीति का केंद्र बनाने को दुर्भाग्यपूर्ण बताया और आरएसएस के शस्त्र पूजा कार्यक्रम को अनुचित करार दिया।

Sachin Pilot

जयपुर, 30 सितम्बर। कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव एवं पूर्व उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट ने राजस्थान विश्वविद्यालय में एनएसयूआई के कार्यकर्ताओं पर हुए बर्बरतापूर्वक लाठीचार्ज की कड़ी निंदा की है। उन्होंने इस घटना को दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए कहा कि शिक्षण संस्थानों को राजनीति का केंद्र बनाया जाना किसी भी सूरत में उचित नहीं है। पायलट ने जोर देकर कहा कि शिक्षा के मंदिर का राजनीतिकरण करना समाज के भविष्य के लिए घातक है।

आरएसएस के शस्त्र पूजा कार्यक्रम पर सवाल

पायलट ने राजस्थान विश्वविद्यालय में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) द्वारा आयोजित शस्त्र पूजा कार्यक्रम पर भी गंभीर सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि शिक्षा के मंदिर में इस तरह के राजनीतिकरण के उद्देश्य से कार्यक्रम आयोजित करना पूरी तरह से अनुचित है। पायलट के अनुसार, इस कार्यक्रम की अनुमति प्रदान करने का एनएसयूआई के कार्यकर्ता शांतिपूर्ण तरीके से विरोध कर रहे थे। उन्होंने कहा कि विद्यार्थियों को अपनी बात रखने का लोकतांत्रिक अधिकार है, और इस अधिकार का हनन लाठीचार्ज के माध्यम से किया गया, जो अत्यंत निंदनीय है।

लोकतंत्र में आवाज दबाने का प्रयास

पूर्व उप मुख्यमंत्री ने पुलिस कार्रवाई को लोकतंत्र में छात्रों की आवाज दबाने का प्रयास बताया। उन्होंने कहा कि शांतिपूर्वक प्रदर्शन कर रहे छात्रों पर लाठीचार्ज करना उनकी भावनाओं को आहत करने के साथ-साथ लोकतांत्रिक मूल्यों का भी अपमान है। पायलट ने इस बात पर भी चिंता व्यक्त की कि पुलिस की मौजूदगी में आरएसएस के कार्यकर्ताओं द्वारा एनएसयूआई के कार्यकर्ताओं से मारपीट की गई। उन्होंने कहा कि यह घटना प्रदेश में कानून व्यवस्था की स्थिति पर गंभीर सवाल खड़े करती है और दर्शाता है कि कानून का इकबाल खत्म हो गया है।

कानून व्यवस्था पर उठाए सवाल

सचिन पायलट ने प्रदेश सरकार से इस पूरे मामले की निष्पक्ष जांच कराने और दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने की मांग की। उन्होंने कहा कि छात्रों को भयभीत कर उनकी आवाज को दबाने का प्रयास नहीं किया जाना चाहिए। शिक्षण संस्थान ज्ञान और शिक्षा के केंद्र होते हैं, न कि राजनीतिक गतिविधियों के अखाड़े। उन्होंने सभी संबंधित पक्षों से अपील की कि वे शिक्षण संस्थानों की पवित्रता बनाए रखें और उन्हें राजनीतिक खींचतान से दूर रखें, ताकि छात्र बिना किसी दबाव के अपनी पढ़ाई पर ध्यान केंद्रित कर सकें। इस तरह की घटनाएँ छात्रों के भविष्य और शैक्षिक माहौल पर नकारात्मक प्रभाव डालती हैं।