खनन परियोजना का विरोध: सिरोही: खनन परियोजना के विरोध में ग्रामीणों का प्रदर्शन

सिरोही (Sirohi) के पिण्डवाड़ा (Pindwara) उपखंड क्षेत्र में प्रस्तावित चूना पत्थर खनन परियोजना के विरोध में ग्रामीणों ने भीमाना (Bhimana) में ग्रामीण सेवा शिविर का बहिष्कार किया। विधायक समाराम गरासिया (MLA Samaram Garasia) ने मुख्यमंत्री से मुलाकात का आश्वासन दिया।

सिरोही: सिरोही (Sirohi) के पिण्डवाड़ा (Pindwara) उपखंड क्षेत्र में प्रस्तावित चूना पत्थर खनन परियोजना के विरोध में ग्रामीणों ने भीमाना (Bhimana) में ग्रामीण सेवा शिविर का बहिष्कार किया। विधायक समाराम गरासिया (MLA Samaram Garasia) ने मुख्यमंत्री से मुलाकात का आश्वासन दिया।

खनन परियोजना के विरोध में ग्रामीणों का आक्रोश

पिण्डवाड़ा उपखंड क्षेत्र में मेसर्स कमलेश मेटाकास्ट प्राइवेट लिमिटेड की चूना पत्थर खनन परियोजना का विरोध लगातार जारी है।

ग्रामीणों का आक्रोश थमने का नाम नहीं ले रहा है, जिससे क्षेत्र में तनाव बना हुआ है।

ग्रामीण सेवा शिविर का बहिष्कार

गुरुवार को भीमाना गांव में आयोजित ग्रामीण सेवा शिविर का ग्रामीणों ने सामूहिक रूप से बहिष्कार किया।

इस बहिष्कार के माध्यम से ग्रामीणों ने प्रस्तावित खनन परियोजना के प्रति अपनी गहरी नाराजगी व्यक्त की।

सूचना मिलने पर विधायक समाराम गरासिया, उपखण्ड अधिकारी नरेंद्र कुमार और तहसीलदार शंकरलाल परिहार मौके पर पहुंचे।

उन्होंने ग्रामीणों से संवाद स्थापित कर उन्हें समझाने का प्रयास किया।

विधायक की समझाइश और आश्वासन

विधायक गरासिया ने ग्रामीणों को आश्वस्त किया कि 10 नवम्बर के बाद उनके प्रतिनिधिमंडल की मुख्यमंत्री से मुलाकात करवाई जाएगी।

उन्होंने बताया कि वर्तमान में चुनावी व्यस्तताओं के कारण मुख्यमंत्री से समय नहीं मिल पाया है।

विधायक ने भरोसा दिलाया कि इस मामले को जल्द ही सर्वोच्च स्तर पर उठाया जाएगा।

ग्रामीणों की प्रमुख मांगें

बैठक में ग्रामीणों ने विधायक के समक्ष अपनी एक ही प्रमुख मांग रखी।

ग्रामीणों ने एक स्वर में कहा कि यह प्रस्तावित खनन परियोजना पूर्ण रूप से रद्द होनी चाहिए।

परियोजना निरस्त करने की अपील

ग्रामीणों ने सरकार से अनुरोध किया कि वह इस परियोजना को निरस्त करवाने के लिए राज्य और केंद्र सरकार के पर्यावरण एवं वन मंत्रालयों से संवाद करे।

इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि परियोजना के लिए पर्यावरणीय स्वीकृति जारी न हो सके।

अन्य महत्वपूर्ण मांगें

इसके साथ ही ग्रामीणों ने जनसुनवाई की प्रक्रिया को भी निरस्त करने की मांग की।

उन्होंने सरकार से कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दाखिल करने का भी आग्रह किया।

ग्रामीणों ने राज्य सरकार द्वारा कंपनी के साथ किए गए 1700 करोड़ रुपये के एमओयू (MOU) को तत्काल निरस्त करने की भी मांग रखी।

विधायक ने ग्रामीणों को भरोसा दिलाया कि वे जनता के साथ हैं और मुख्यमंत्री से मुलाकात के दौरान जनभावनाओं के अनुरूप क्षेत्रहित की बात रखी जाएगी।

इस दौरान भाजपा नेता भुवनेश राजपुरोहित, जिला महामंत्री नरपत सिंह राणावत और भीमाना प्रशासक हेमेंद्र सिंह भी मौजूद रहे।

सांसद खेल महोत्सव का भी बहिष्कार

वाटेरा, भीमाना और भारजा गांवों में गुरुवार से शुरू हुए सांसद खेल महोत्सव का भी ग्रामीणों ने पूर्ण बहिष्कार किया।

यह बहिष्कार ग्रामीणों के बढ़ते आक्रोश और जनप्रतिनिधियों के प्रति उनकी नाराजगी को दर्शाता है।

सांसद की अनुपस्थिति पर नाराजगी

ग्रामीणों ने आरोप लगाया कि क्षेत्र के सांसद लुम्बाराम चौधरी अब तक आंदोलनरत जनता के बीच नहीं पहुंचे हैं।

उन्होंने बताया कि पिछले दो माह से किसान, आदिवासी और आमजन सड़कों पर आंदोलन कर रहे हैं।

ग्रामीणों का कहना है कि जब क्षेत्र की जनता खनन परियोजना के विरोध में संघर्षरत है, तब सांसद संवाद करने तक क्षेत्र में नहीं पहुँचे।

इस स्थिति से जनता में भारी नाराजगी है।

जनभावनाओं के विपरीत सरकारी कार्यक्रम

ग्रामीणों का मानना है कि ऐसे में किसी भी सरकारी कार्यक्रम में भाग लेना जनभावनाओं के विपरीत होगा।

हालांकि, अजारी गांव के मार्कंडेश्वर धाम में भाजपा के आत्मनिर्भर भारत कार्यक्रम के दौरान क्षेत्र की जनता वहां पहुंची थी।

उस दौरान जनता ने जनप्रतिनिधियों के समक्ष अपना आक्रोश प्रकट किया था, और सांसद भी वहां मौजूद थे।

लेकिन आंदोलनरत गांवों में अभी तक सिरोही-जालौर सांसद एक भी बार नहीं पहुँचे हैं।

वे न तो भीमाना धरने में और न ही एसडीएम घेराव के दौरान जनसभा में मौजूद थे।

क्षेत्र में बढ़ता जन आक्रोश और भविष्य की रणनीति

क्षेत्र के भारजा, वाटेरा, रोहिड़ा और भीमाना सहित करीब दर्जनभर गांवों में विरोध लगातार तेज होता जा रहा है।

पर्यावरण और जलस्रोतों पर खतरा

जनता का कहना है कि यह प्रस्तावित खनन परियोजना खेती, पर्यावरण और जलस्रोतों के लिए विनाशकारी साबित होगी।

ग्रामीण अपनी आजीविका और प्राकृतिक संसाधनों को बचाने के लिए दृढ़ संकल्पित हैं।

राजकीय कार्यक्रमों का निरंतर बहिष्कार

ग्रामीणों ने दोहराया कि जब तक यह प्रस्तावित खनन परियोजना पूर्ण रूप से निरस्त नहीं होती, तब तक हर राजकीय कार्यक्रम का बहिष्कार जारी रहेगा।

यह आंदोलन क्षेत्र के लोगों की एकता और उनके अधिकारों के प्रति जागरूकता को दर्शाता है।