Rajasthan: सिरोही में खनन परियोजना के खिलाफ जन आंदोलन को मिला माली समाज का समर्थन, 28 जनवरी को महाआंदोलन का ऐलान

सिरोही जिले की पिण्डवाड़ा तहसील में प्रस्तावित खनन परियोजना के विरोध में चल रहे आंदोलन को माली समाज रोई भीतरोट परगना ने पूर्ण समर्थन दिया है। आगामी 28 जनवरी को क्षेत्र के 36 कौम के लोग मिलकर एक विशाल जन आंदोलन करेंगे।

सिरोही खनन विरोध माली समाज समर्थन

सिरोही | राजस्थान के सिरोही जिले में स्थित पिण्डवाड़ा तहसील के अंतर्गत प्रस्तावित एक बड़ी खनन परियोजना के खिलाफ स्थानीय ग्रामीणों का आक्रोश लगातार बढ़ता जा रहा है। कमलेश मेटाकास्ट प्राइवेट लिमिटेड की इस विवादास्पद परियोजना के विरोध में अब माली समाज रोई भीतरोट परगना ने भी अपना पूर्ण समर्थन देने की घोषणा कर दी है। मंगलवार को ग्राम भारजा में आयोजित एक महत्वपूर्ण सामाजिक बैठक में समाज के प्रबुद्ध जनों ने सर्वसम्मति से निर्णय लिया कि वे इस जन आंदोलन का हिस्सा बनेंगे और क्षेत्र के भविष्य को बचाने के लिए हर संभव संघर्ष करेंगे।

सिरोही में खनन परियोजना के खिलाफ एकजुट हुआ माली समाज

इस महत्वपूर्ण बैठक का आयोजन 30 दिसंबर को ग्राम भारजा में किया गया था जिसमें माली समाज के पंच-पटेलों, वरिष्ठ नागरिकों और युवा प्रतिनिधियों ने बड़ी संख्या में हिस्सा लिया। बैठक के दौरान वक्ताओं ने स्पष्ट किया कि यह प्रस्तावित खनन परियोजना क्षेत्र के पर्यावरण और जनजीवन के लिए एक बड़ा खतरा बनकर उभरी है। समाज के पदाधिकारियों ने कहा कि जब क्षेत्र के 12 गांवों का अस्तित्व दांव पर लगा हो तो माली समाज चुप नहीं बैठ सकता। समाज ने निर्णय लिया है कि आगामी 28 जनवरी को होने वाले महाआंदोलन में समाज का प्रत्येक व्यक्ति अपनी भागीदारी सुनिश्चित करेगा।

12 गांवों का तीन महीने से जारी संघर्ष

पिण्डवाड़ा तहसील के वाटेरा, भीमाना, भारजा और रोहिड़ा ग्राम पंचायतों के अंतर्गत आने वाले लगभग 12 गांव पिछले तीन महीनों से लगातार कमलेश मेटाकास्ट प्राइवेट लिमिटेड की खनन परियोजना का विरोध कर रहे हैं। ग्रामीणों का आरोप है कि इस परियोजना के आने से उनकी उपजाऊ भूमि बंजर हो जाएगी और क्षेत्र का प्राकृतिक संतुलन पूरी तरह बिगड़ जाएगा। अब तक ग्रामीणों ने कई बार शांतिपूर्ण तरीके से धरना प्रदर्शन किया है और जिला प्रशासन के माध्यम से सरकार को ज्ञापन भी सौंपे हैं। हालांकि सरकार की ओर से कोई संतोषजनक कार्रवाई नहीं होने के कारण अब आंदोलन को और तेज करने की रणनीति बनाई गई है।

पर्यावरण और आजीविका पर मंडराता गंभीर संकट

खनन परियोजना को लेकर ग्रामीणों की मुख्य चिंता क्षेत्र के जल स्रोतों और कृषि भूमि को लेकर है। अरावली की पहाड़ियों के पास स्थित इन गांवों में खेती ही जीविकोपार्जन का मुख्य साधन है। प्रस्तावित खनन कार्य से न केवल भूमिगत जल स्तर में भारी गिरावट आने की आशंका है बल्कि खनन से उड़ने वाली धूल और प्रदूषण के कारण फसलों की गुणवत्ता भी प्रभावित होगी। स्थानीय विशेषज्ञों का मानना है कि भारी मशीनों के उपयोग और विस्फोटों के कारण क्षेत्र की पारिस्थितिकी को अपूरणीय क्षति पहुंच सकती है। इसके अलावा भारी वाहनों की निरंतर आवाजाही से स्थानीय सड़कों की स्थिति खराब होगी और ग्रामीणों के स्वास्थ्य पर भी बुरा असर पड़ेगा।

प्रशासनिक अनदेखी से बढ़ा जन आक्रोश

बैठक में मौजूद वक्ताओं ने प्रशासन के ढुलमुल रवैये पर कड़ी नाराजगी व्यक्त की। उनका कहना था कि जनता की भावनाओं को नजरअंदाज कर निजी कंपनियों को लाभ पहुंचाने के प्रयास किए जा रहे हैं। ग्रामीणों ने स्पष्ट किया कि उन्होंने पहले भी कई बार शांतिपूर्ण संवाद की कोशिश की लेकिन उनकी मांगों को अनसुना कर दिया गया। इसी अनदेखी का परिणाम है कि अब यह विरोध एक जन आंदोलन का रूप ले चुका है। ग्रामीणों का कहना है कि वे किसी भी कीमत पर अपनी जमीन और पर्यावरण के साथ समझौता नहीं करेंगे और इसके लिए कानूनी लड़ाई के साथ-साथ सड़क पर उतरकर भी संघर्ष करेंगे।

28 जनवरी को महाआंदोलन की व्यापक तैयारी

सरकार और प्रशासन की चुप्पी को तोड़ने के लिए क्षेत्र की सभी 36 कौमों ने मिलकर 28 जनवरी 2025 को एक विशाल महाआंदोलन का आह्वान किया है। यह आंदोलन सरगामाता मंदिर परिसर के पास आयोजित किया जाएगा जिसमें हजारों की संख्या में किसान, महिलाएं, युवा और विभिन्न समाजों के प्रतिनिधि शामिल होंगे। माली समाज रोई भीतरोट परगना ने इस आंदोलन को सफल बनाने के लिए विशेष कमेटियों का गठन किया है जो गांव-गांव जाकर लोगों को जागरूक करेंगी। समाज के अध्यक्ष ने आधिकारिक घोषणा करते हुए कहा कि यह लड़ाई केवल वर्तमान की नहीं बल्कि आने वाली पीढ़ियों के सुरक्षित भविष्य की है।

क्षेत्रीय एकता और भविष्य की रणनीति

माली समाज के इस समर्थन से आंदोलन को एक नई शक्ति मिली है। समाज के प्रतिनिधियों ने कहा कि वे अन्य सामाजिक संगठनों के साथ मिलकर एक संयुक्त मोर्चा बनाएंगे ताकि सरकार पर दबाव बनाया जा सके। वक्ताओं ने सरकार से पुरजोर मांग की है कि जनहित को सर्वोपरि रखते हुए इस खनन परियोजना के पट्टे को तत्काल प्रभाव से निरस्त किया जाए। यदि 28 जनवरी तक सरकार कोई ठोस कदम नहीं उठाती है तो आंदोलन को और अधिक उग्र किया जाएगा जिसकी समस्त जिम्मेदारी शासन और प्रशासन की होगी। क्षेत्र के युवाओं ने सोशल मीडिया के माध्यम से भी इस अभियान को तेज कर दिया है ताकि राज्य स्तर तक उनकी आवाज पहुंच सके।