सेलवाड़ा: अवैध खनन का तांडव: सिरोही के सेलवाड़ा में अवैध खनन और ब्लास्टिंग से मचा हाहाकार

सिरोही (Sirohi) के सेलवाड़ा (Selwara) में अवैध खनन और ब्लास्टिंग से ग्रामीण परेशान। जिला कलेक्टर (Collector) को तीन पट्टा धारकों के खिलाफ शिकायत मिली, जाँच के आदेश दिए गए।

सिरोही: सिरोही (Sirohi) के सेलवाड़ा (Selwara) में अवैध खनन और ब्लास्टिंग से ग्रामीण परेशान। जिला कलेक्टर (Collector) को तीन पट्टा धारकों के खिलाफ शिकायत मिली, जाँच के आदेश दिए गए।

अवैध खनन का बढ़ता दायरा: सेलवाड़ा की दर्दनाक कहानी

राजस्थान के सिरोही जिले में स्थित रेवदर तहसील का सेलवाड़ा गाँव, जो कभी अपने मार्बल की खदानों के लिए प्रसिद्ध था, अब अवैध खनन और विनाशकारी ब्लास्टिंग का गढ़ बन गया है।

धरती की गहराइयों से निकलने वाला हर कण, हर पत्थर, अपने साथ एक गहरा राज़ समेटे होता है।

आज यही राज़, कुछ हाथों में सत्ता और पैसे की भूख बनकर, पूरे गाँव के सुकून को निगल रहा है।

यह एक ऐसा खेल है जिसकी गूँज दूर-दूर तक सुनाई दे रही है, लेकिन प्रशासन के कानों तक यह आवाज़ क्यों नहीं पहुँच पा रही, यह एक बड़ा सवाल है।

नियमों की अनदेखी और गंभीर आरोप

हमें मिली शिकायतों के अनुसार, सेलवाड़ा क्षेत्र की खदानों में खुलेआम अवैध रूप से खनन किया जा रहा है और धड़ल्ले से ब्लास्टिंग हो रही है।

इस मामले की गंभीरता को समझते हुए, कुछ शिकायतकर्ताओं ने सीधे जिला कलेक्टर तक अपनी आवाज़ पहुँचाई है।

उन्होंने तीन प्रमुख खनन पट्टा धारकों पर गंभीर आरोप लगाए हैं, जिनकी लापरवाही ने न सिर्फ़ ज़मीन को, बल्कि वहाँ रहने वाले लोगों के जीवन को भी खतरे में डाल दिया है।

इन खनन माफियाओं पर सिर्फ़ अवैध खनन का ही नहीं, बल्कि सरकारी ज़मीन पर खनिज अपशिष्ट और मलबा डालने का भी आरोप है।

जिस ज़मीन पर कभी हरियाली होती थी, जहाँ गाँव के मवेशी चरते थे, आज वो बंजर और ज़हरीले मलबे के ढेर में बदल रही है।

यह सीधे तौर पर सरकारी संपत्ति को नुक़सान पहुँचाना है और यह सब खुलेआम कैसे चल रहा है, यह एक बड़ा प्रश्न है।

कौन हैं इस विनाश के गुनहगार?

ग्रामीणों द्वारा दिए गए ज्ञापन में साफ़-साफ़ बताया गया है कि ओम माइंस एंड मिनरल्स (ML/20/1998), योगेश गुप्ता (ML/197/1989), और श्रीमती सीमा अग्रवाल (ML/198/1989) नामक माइंस अपने निर्धारित खनन क्षेत्र से बाहर जाकर काम कर रही हैं।

यह सिर्फ़ कागज़ों का उल्लंघन नहीं, बल्कि उस भरोसे का उल्लंघन है जो किसी भी व्यवस्था की रीढ़ होता है।

अवैध ब्लास्टिंग के कारण जो कंपन पैदा हो रहे हैं, वे आसपास के घरों की नींव हिला रहे हैं।

पर्यावरणीय संतुलन का गड़बड़ाना भी सबसे ज़्यादा चिंता का विषय है।

शिकायतकर्ता ने ज़ोरदार ढंग से मांग की है कि इस पूरे मामले की निष्पक्ष जाँच हो और दोषी खनन पट्टा धारकों पर सख्त से सख्त कार्रवाई की जाए।

प्रशासन की भूमिका पर सवाल

ग्रामीणों की शिकायत के बाद, जिला कलेक्टर ने तुरंत कार्रवाई करते हुए एक संयुक्त कमेटी गठित कर जाँच के निर्देश दिए हैं।

यह एक उम्मीद की किरण है, लेकिन सबसे बड़ा सवाल तो अभी भी वहीं का वहीं खड़ा है।

सेलवाड़ा क्षेत्र में मार्बल की खदानों में अवैध ब्लास्टिंग और निर्धारित से बाहर जाकर खनन किए जाने की शिकायतें अक्सर सामने आती रहती हैं।

यह कोई इक्का-दुक्का घटना नहीं, बल्कि एक स्थापित पैटर्न है।

दुखद बात यह है कि इस सब के बावजूद, खनिज विभाग पर आरोप है कि वह इन सब पर मूकदर्शक बना हुआ है।

क्या विभाग की आँखें बंद हैं, या किसी गहरे दबाव में उसे कुछ दिख ही नहीं रहा, यह वो सवाल है जिसका जवाब पूरा समाज जानना चाहता है।

आगे क्या?

सेलवाड़ा की कहानी सिर्फ़ पत्थरों और ब्लास्टिंग की नहीं है, ये कहानी उस लालच की है जो इंसान को अंधा कर देता है।

ये कहानी उन लोगों की है जो अपनी ज़मीन और जीवन को बचाने के लिए जूझ रहे हैं।

क्या जिला कलेक्टर की बनाई कमेटी इस चुप्पी को तोड़ पाएगी?

क्या खनिज विभाग अपनी नींद से जागेगा?

या सेलवाड़ा यूँ ही विनाश की गर्त में धकेला जाता रहेगा?

ये सवाल आज भी हवा में तैर रहे हैं, और इनका जवाब सिर्फ़ एक गहरी जाँच और निष्पक्ष कार्रवाई ही दे सकती है।

क्योंकि जब प्रकृति का सीना छलनी होता है, तो उसका दर्द सिर्फ़ एक गाँव तक सीमित नहीं रहता, वो पूरे समाज को महसूस होता है।

आने वाला समय बताएगा कि क्या सेलवाड़ा के लोग फिर से सुकून की साँस ले पाएंगे, या यह सिर्फ़ एक और अधूरी दास्तान बनकर रह जाएगी।