Highlights
- जयपुर में नकली नोट छापने वाले 6 लोगों का गिरोह पकड़ा गया।
- गिरोह में पटवारी-SI की तैयारी कर रहे युवा और एक वकील भी शामिल।
- मास्टरमाइंड मनोज ने यूट्यूब से सीखा नकली नोट बनाने का तरीका।
- आरोपियों ने करोड़ों के नकली नोट बाजार में खपाए, 43 लाख बरामद।
जयपुर: जयपुर (Jaipur) में नकली नोट छापने वाले एक बड़े गिरोह का पर्दाफाश हुआ है, जिसमें पटवारी-SI की तैयारी कर रहे युवा और एक वकील (Lawyer) भी शामिल हैं। मास्टरमाइंड (Mastermind) 12वीं पास है, जिसने करोड़ों की फेक करेंसी (Fake Currency) छापी।
नकली नोट छापने वाला गिरोह गिरफ्तार
जयपुर पुलिस ने नकली नोट तैयार करने वाले छह सदस्यीय गिरोह का भंडाफोड़ किया है।
इस गिरोह में विभिन्न शैक्षणिक पृष्ठभूमि के लोग शामिल हैं, जिनमें 10वीं से लेकर 12वीं पास तक के सदस्य हैं।
चौंकाने वाली बात यह है कि दो आरोपी जयपुर में प्रतियोगी परीक्षाओं जैसे पटवारी और पुलिस सब इंस्पेक्टर की तैयारी कर रहे थे।
इन्होंने अपनी लग्जरी लाइफस्टाइल की चाहत में अपराध का रास्ता चुना।
नारायण विहार थाना पुलिस ने इन बदमाशों से 43.24 लाख रुपये के नकली नोट बरामद किए हैं।
पुलिस का अनुमान है कि गिरोह पिछले एक साल में करोड़ों रुपये के नकली नोट बाजार में खपा चुका है।
मास्टरमाइंड और तैयारी करने वाले युवा
गिरोह का 12वीं पास मास्टरमाइंड मनोज बिश्नोई उर्फ गणपति बीकानेर का निवासी है, जो पहले मोबाइल शॉप चलाता था।
वह दो बार पहले भी नकली नोट छापने के आरोप में जेल जा चुका है, लेकिन हर बार छूटने के बाद इसी काम में फिर से जुट जाता था।
एसओजी से मिली सूचना के आधार पर नारायण विहार थाना पुलिस ने 17 अक्टूबर को एक फ्लैट पर दबिश दी।
वहां से राजेंद्र चौधरी और शंकर को पकड़ा गया, जो प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी के बहाने किराए के कमरे में रह रहे थे।
इनके पास से 43 लाख 24 हजार रुपये की नकली करेंसी जब्त की गई।
इसके बाद 18 अक्टूबर को बीकानेर से गिरोह के अन्य सदस्य मनोज, बलकरण और मदन को गिरफ्तार किया गया।
अजमेर के वैशाली नगर से उत्तर प्रदेश निवासी एक वकील विशाल उर्फ अंकित को भी पकड़ा गया, जो इस गिरोह का हिस्सा था।
यूट्यूब और इंस्टाग्राम से सीखा तरीका
पुलिस पूछताछ में सामने आया कि गिरोह का मास्टरमाइंड मनोज बिश्नोई ने यूट्यूब पर "घर पर नकली नोट कैसे बनाएं?" जैसे वीडियो अपलोड कर रखे थे।
राजेंद्र और शंकर ने इन वीडियो को देखकर मनोज से संपर्क किया और बीकानेर जाकर उससे मिले।
मनोज ने उन्हें अपने गिरोह में शामिल कर लिया, और फिर अपने चचेरे भाई बलकरण और मदन लाल को भी जोड़ लिया।
इसी दौरान, यूट्यूब चैनल पर प्रयागराज के विशाल उर्फ अंकित ने कमेंट कर संपर्क मांगा और वह भी गिरोह का हिस्सा बन गया।
मास्टरमाइंड मनोज अपने इंस्टाग्राम पेज पर भी नकली करेंसी छापने के तरीके बताने का दावा करता था।
मोबाइल रिपेयरिंग छोड़ नकली नोट छापने लगा
गिरोह में सभी सदस्यों की जिम्मेदारी तय की गई थी।
प्रयागराज निवासी विशाल ने नोट छापने के लिए फोटोस्टेट वाले पेज के बीच थ्रेड लगाने का काम संभाला।
शंकर और राजेंद्र ने पेपर को प्रिंटर से छापने और कटिंग करने का जिम्मा लिया।
मास्टरमाइंड मनोज ने तैयार नोटों की मार्केटिंग और बिक्री की जिम्मेदारी संभाली।
बलकरण को प्रिंट हो चुके नोटों की गड्डियां बनाने का काम दिया गया, जबकि मदन गैंग में डिलीवरी बॉय का काम करता था।
गिरोह के सदस्यों की पहचान
मनोज बिश्नोई उर्फ गणपति (30)
बीकानेर के मिस्त्री मार्केट का रहने वाला मनोज फेक करेंसी छापने के मामले में दो बार पकड़ा जा चुका है और उसके खिलाफ कुल सात मुकदमे दर्ज हैं।
वह रातोंरात अमीर बनने के लिए नकली नोट बनाने के तरीके सीखता था और फिर खुद वीडियो बनाकर यूट्यूब व इंस्टाग्राम पर अपलोड करता था।
बलकरण उर्फ बलदेव (31)
बीकानेर के बज्जू खालसा का रहने वाला बलकरण मनोज का चचेरा भाई है और 10वीं पास है।
वह मनोज के आपराधिक रिकॉर्ड को जानने के बावजूद इस काम में उसका पार्टनर बन गया।
मदन लाल सिंवार (28)
बीकानेर के बज्जू खालसा का निवासी मदन गैंग में डिलीवरी बॉय का काम करता था और उसके खिलाफ पहले से दो मुकदमे दर्ज हैं।
राजेंद्र चौधरी (27)
जयपुर के सांभर का रहने वाला ग्रेजुएट राजेंद्र प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी के लिए जयपुर आया था, लेकिन गलत तरीके से पैसा कमाने में लग गया।
शंकरलाल चौधरी (23)
जयपुर के नरैना का निवासी शंकरलाल भी प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी के लिए जयपुर आया था और राजेंद्र का रूममेट था।
विशाल उर्फ अंकित (34)
प्रयागराज, उत्तर प्रदेश का निवासी विशाल पेशे से वकील है और नकली नोट छापने के लिए राजस्थान आया था।
वह नकली नोटों के बीच चमकीला थ्रेड लगाने का जिम्मा संभालता था।
नकली नोटों की छपाई और वितरण
केवल 500 के नोट
यह गिरोह केवल 500 रुपये के नकली नोट छापता था।
शुरुआत में कागज की सही जानकारी न होने के कारण छपे हुए नोट हल्के हो जाते थे, जिन्हें जयपुर में ही जलाना पड़ा।
कई प्रयोगों के बाद सही मोटाई का पेपर मिलने पर 500-500 के नोटों की फोटोकॉपी कर नकली नोट छापने शुरू किए गए।
वितरण का तरीका
गिरोह सोशल मीडिया के जरिए ग्राहकों को झांसा देता था।
ऑर्डर मिलने पर वे एक लाख रुपये के असली नोट लेकर चार लाख रुपये मूल्य के नकली नोट डिलीवर करते थे।
पुलिस अब गिरोह के अन्य संपर्कों और सर्कुलेट की गई फेक करेंसी की जांच कर रही है।
एसओजी की कार्रवाई और बरामदगी
एसओजी ने इस गिरोह पर पिछले 15 दिनों से नजर रखी हुई थी।
जयपुर में 43 लाख रुपये के नकली नोट पकड़े गए, जिनमें वाटर मार्क और सिक्योरिटी फीचर भी उभरे हुए दिखाई दे रहे थे।
बरामद 43 लाख रुपये में से 26 लाख के नोटों की गड्डियां थीं, जबकि 18 लाख रुपये के नोटों की शीट अभी कटिंग नहीं हुई थी।
यह नोटों की शीट बाहरी जगहों से जयपुर लाई गई थी, जिसे अलग-अलग जगहों पर बांटा जाना था।
निष्कर्ष
इस गिरफ्तारी से त्योहारों के मौसम में नकली नोटों के चलन पर लगाम लगने की उम्मीद है।
पुलिस का दावा है कि गिरोह से पूछताछ में और भी बड़े खुलासे हो सकते हैं।
यह घटना युवाओं को त्वरित धन कमाने के लालच से बचने और सही मार्ग पर चलने की प्रेरणा देती है।
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