राजस्थान सरकार का आश्वासन दर्ज किया: नगर निकाय चुनाव अप्रैल 2026 से आगे नहीं टलेंगे
नगर निकाय चुनाव 30 अप्रैल 2026 तक करा लिए जाएंगे।
सिरोही। राजस्थान में शहरी स्थानीय निकायों के चुनावों को लेकर चल रही कानूनी प्रक्रिया पर शुक्रवार को सर्वोच्च न्यायालय ने स्थिति स्पष्ट करते हुए राज्य सरकार के उस आश्वासन को रिकॉर्ड पर ले लिया, जिसमें कहा गया है कि नगर निकाय चुनाव अप्रैल 2026 से आगे टाले नहीं जाएंगे। न्यायालय ने साथ ही राजस्थान उच्च न्यायालय के आदेश में किसी भी प्रकार के हस्तक्षेप से इनकार कर दिया, जिसमें राज्य को निर्धारित समय-सीमा के भीतर चुनाव कराने की अनुमति दी गई थी।
यह मामला संयम लोढ़ा बनाम राजस्थान राज्य (एसएलपी (सी) संख्या 36874/2025) से संबंधित है। कांग्रेस नेता एवं पूर्व विधायक संयम लोढ़ा की ओर से दायर विशेष अनुमति याचिका पर सुनवाई भारत के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति सूर्यकांत, न्यायमूर्ति जॉयमाल्य बागची और न्यायमूर्ति विपुल पंचोली की पीठ के समक्ष हुई। याचिका में लोढ़ा ने राजस्थान उच्च न्यायालय के उस आदेश को चुनौती दी थी, जिसमें राज्य सरकार को अप्रैल 2026 तक नगर निगम व अन्य शहरी निकाय चुनाव संपन्न कराने की छूट दी गई थी। याचिकाकर्ता का आरोप था कि चुनाव प्रक्रिया में अनुचित देरी की जा रही है और लोकतांत्रिक व्यवस्था को कमजोर किया जा रहा है, इसलिए तत्काल चुनाव कराए जाएं।
सुनवाई के दौरान मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि नगर निगम वार्डों के परिसीमन का कार्य लगभग पूरा हो चुका है और उच्च न्यायालय पहले ही 15 अप्रैल 2026 तक पूरी प्रक्रिया संपन्न करने के निर्देश दे चुका है। पीठ ने टिप्पणी की कि जब परिसीमन लगभग पूरा है और समय-सीमा भी तय है, तब सर्वोच्च न्यायालय के हस्तक्षेप की कोई आवश्यकता प्रतीत नहीं होती।
हालांकि, याचिकाकर्ता की ओर से आशंका जताई गई कि उच्च न्यायालय के निर्देशों के बावजूद चुनाव में फिर से देरी हो सकती है। इस पर राज्य सरकार की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल के.एम. नटराज ने न्यायालय को आश्वासन दिया कि पूरी प्रक्रिया समय पर पूरी की जाएगी और नगर निकाय चुनाव 30 अप्रैल 2026 तक करा लिए जाएंगे।
न्यायालय ने इस आश्वासन को दर्ज करते हुए कहा कि यदि तय समय-सीमा से अधिक देरी होती है, तो दोनों पक्षों को उच्च न्यायालय में उचित राहत के लिए जाने की स्वतंत्रता रहेगी। इन टिप्पणियों के साथ सर्वोच्च न्यायालय ने याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया।