यूनिफॉर्म सहायता में कटौती पर जूली का तंज: टीकाराम जूली का सरकार पर हमला: स्कूली यूनिफॉर्म सहायता में कटौती गलत
नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली (Leader of Opposition Tika Ram Jully) ने स्कूली छात्रों की यूनिफॉर्म सहायता में कटौती पर सरकार पर तंज कसा है। उन्होंने कहा कि सरकार बच्चों को सुरक्षित इमारतें और शिक्षक नहीं दे पा रही, अब ड्रेस में भी भेदभाव कर रही है।
जयपुर: नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली (Leader of Opposition Tika Ram Jully) ने स्कूली छात्रों की यूनिफॉर्म सहायता में कटौती पर सरकार पर तंज कसा है। उन्होंने कहा कि सरकार बच्चों को सुरक्षित इमारतें और शिक्षक नहीं दे पा रही, अब ड्रेस में भी भेदभाव कर रही है।
यूनिफॉर्म सहायता में कटौती पर जूली का सरकार पर हमला
नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली ने स्कूली छात्रों की यूनिफॉर्म के लिए दी जाने वाली सहायता राशि में कटौती करने पर राज्य सरकार पर तीखा तंज कसा है।
जूली ने आरोप लगाया कि सरकार न तो बच्चों को सुरक्षित स्कूली इमारतें उपलब्ध करवा पा रही है और न ही आवश्यकतानुसार शिक्षक ही दे पा रही है।
उन्होंने कहा कि अब सरकार नन्हें-मुन्ने स्कूली बच्चों को दी जा रही स्कूली ड्रेस में भी भेदभाव कर रही है, जो अत्यंत निंदनीय है।
भाजपा के संकल्प पत्र की अनदेखी
जूली ने याद दिलाया कि भारतीय जनता पार्टी ने चुनाव से पूर्व अपने संकल्प पत्र में आर्थिक रूप से कमजोर परिवारों के छात्रों को स्कूल बैग, किताबें और यूनिफॉर्म खरीदने के लिए ₹1200 की वार्षिक सहायता देने की घोषणा की थी।
उन्होंने बताया कि चुनाव के बाद भाजपा सरकार ने स्कूली छात्रों की यूनिफॉर्म पर कैंची चलाते हुए इस राशि में कटौती कर इसे ₹600 कर दिया है।
इस ₹600 की राशि में कपड़ा और सिलाई दोनों की लागत शामिल है, जिससे बच्चों को पर्याप्त सहायता नहीं मिल पाएगी।
सामान्य और ओबीसी वर्ग के बच्चों के साथ अन्याय
कांग्रेस शासनकाल में स्कूली बच्चों को दो जोड़ी स्कूल ड्रेस का कपड़ा और ₹200 सिलाई के लिए दिए जा रहे थे।
तब भारतीय जनता पार्टी ने कांग्रेस सरकार की इस योजना की आलोचना करते हुए कहा था कि ₹200 में स्कूल ड्रेस की सिलाई कैसे होगी।
जूली ने सवाल उठाया कि क्या सामान्य और ओबीसी वर्ग में गरीब बच्चे नहीं हैं, और सरकार उनका हक कैसे छीन सकती है।
उन्होंने कहा कि कांग्रेस राज में सभी बच्चों के लिए स्कूल ड्रेस की व्यवस्था की जाती थी, लेकिन भाजपा सरकार ने ईडब्ल्यूएस और ओबीसी के गरीब बच्चों को छोड़ दिया है।
जूली ने पूछा कि क्या सामान्य श्रेणी के ब्राह्मण, वैश्य, राजपूत और अन्य जातियों और ओबीसी वर्ग में गरीब बच्चे नहीं हैं, और क्या उनके प्रति सरकार की कोई जवाबदेही या जिम्मेदारी नहीं है।
सरकार की सोच पर सवाल
जूली ने कहा कि संविधान के अनुरूप ही ईडब्ल्यूएस का आरक्षण दिया गया है, लेकिन इस सरकार की सोच गरीब को मारने और अमीर को और बड़ा करने की है।
उन्होंने "सबका साथ, सबका विकास" का नारा देने वाली डबल इंजन सरकार की सच्चाई पर सवाल उठाया।
एक ओर सरकार कहती है कि पैसे की कोई कमी नहीं है, और दूसरी ओर इन छोटी-छोटी योजनाओं पर कैंची चलाकर बच्चों के भविष्य से खिलवाड़ कर रही है।
जूली ने मांग की कि सरकार स्कूली ड्रेस का पैसा पहले जितना करे और ओबीसी तथा ईडब्ल्यूएस के बच्चों को पहले की तरह लाभ दिया जाए।