Uttar Pradesh: यूपी में भीषण कोहरा: 4 दिन में 28 मौतें, एक्सप्रेस-वे सबसे खतरनाक, जानिए वजह और बचाव

उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) में पिछले चार दिनों में भीषण कोहरे के कारण 28 लोगों की जान चली गई और 150 से अधिक वाहन दुर्घटनाग्रस्त हुए हैं। एक्सप्रेस-वे (Expressway) पर स्थिति सबसे खतरनाक है, जहाँ 5-10 मीटर की दृश्यता जानलेवा साबित हो रही है। मौसम वैज्ञानिकों (Meteorologists) ने कोहरे के कारण, सड़क हादसों में बढ़ोतरी की वजहों और बचाव के तरीकों पर विस्तृत जानकारी दी है।

यूपी में कोहरे का कहर: 28 मौतें, 150+ हादसे

लखनऊ | उत्तर प्रदेश इस समय भीषण कोहरे की चपेट में है, जिसने जनजीवन को अस्त-व्यस्त कर दिया है। पिछले चार दिनों में राज्य में कोहरे से जुड़ी दुर्घटनाओं में 28 लोगों की जान चली गई है, जबकि 150 से अधिक वाहन आपस में टकरा गए। एक्सप्रेस-वे पर स्थिति सबसे ज्यादा खतरनाक बनी हुई है, जहां 5-10 मीटर की दृश्यता भी जानलेवा साबित हो रही है। अचानक सामने आ रही धुंध और धीमी गति पर पीछे से वाहनों के टकराने की घटनाएं आम हो गई हैं। हाईवे और अन्य सड़कों पर भी ऐसे ही हालात देखे जा रहे हैं।

यूपी में कोहरे का कहर: आंकड़े और चुनौतियां

प्रदेश में अचानक बढ़े कोहरे ने सड़क सुरक्षा पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। गाजियाबाद (Ghaziabad) जैसी जगहों पर तो थोड़ी दूरी पर भी देखना मुश्किल हो रहा है। मौसम वैज्ञानिक मोहम्मद दानिश (Mohammad Danish) बताते हैं कि यूपी के लगभग सभी प्रमुख एक्सप्रेस-वे पर घने कोहरे का असर है। सुबह और देर रात के समय दृश्यता बेहद कम होने से यातायात बुरी तरह प्रभावित है। खुले और समतल इलाके होने के कारण एक्सप्रेस-वे पर कोहरा अधिक समय तक टिका रहता है।

एक्सप्रेस-वे पर क्यों ज्यादा घना होता है कोहरा?

स्काईमेट वेदर (Skymet Weather) के वरिष्ठ मौसम वैज्ञानिक डॉ. महेश पलावत (Dr. Mahesh Palawat) के अनुसार, एक्सप्रेस-वे और खुले मैदानों में कोहरे का असर आम इलाकों की तुलना में ज्यादा होता है। खुले क्षेत्रों में जमीन जल्दी ठंडी हो जाती है और उसके ऊपर की हवा भी ठंडी हो जाती है। हवा में मौजूद नमी ठंडी सतह के संपर्क में आते ही संघनित होकर घना कोहरा बनाती है। यह प्रक्रिया खुले इलाकों में अधिक प्रभावी होती है।

कोहरे में सड़क हादसे क्यों बढ़ जाते हैं?

घने कोहरे के दौरान सड़क हादसों में बढ़ोतरी की कई प्रमुख वजहें हैं:

  • अचानक कम विजिबिलिटी: सामने का रास्ता साफ न दिखने पर वाहन चालकों को समय पर ब्रेक लगाने या दिशा बदलने का मौका नहीं मिलता।
  • तेज रफ्तार: कई चालक 10-20 मीटर से आगे कुछ न दिखने के बावजूद सामान्य रफ्तार से वाहन चलाते हैं, जिससे खतरा बढ़ जाता है।
  • गलत हेडलाइट का इस्तेमाल: हाई बीम लाइट कोहरे से टकराकर आंखों में वापस रोशनी भेजती है, जिससे देखने की क्षमता और घट जाती है। लो बीम और फॉग लाइट का उपयोग करना चाहिए।
  • अन्य कारण: सड़क के डिवाइडर, लेन मार्किंग और साइन बोर्ड धुंधले हो जाते हैं। सुबह के समय नींद या थकान की स्थिति में ड्राइविंग भी हादसों की आशंका बढ़ा देती है। अचानक ब्रेक लगने से एक के बाद एक कई वाहन टकरा जाते हैं।

मोहम्मद दानिश बताते हैं कि कोहरे में धीमी गति, सुरक्षित दूरी और सही लाइट का इस्तेमाल ही सड़क हादसों से बचाव का सबसे प्रभावी तरीका है। डॉ. महेश पलावत के अनुसार, सुरक्षित गाड़ी चलाने के लिए कम से कम 100-200 मीटर विजिबिलिटी होनी चाहिए। हाईवे और एक्सप्रेस-वे पर यह दूरी 200-300 मीटर तक होनी जरूरी है। यदि विजिबिलिटी 50-100 मीटर से कम हो तो वाहन चालकों को धीरे चलाने या सुरक्षित स्थान पर गाड़ी रोकने की सलाह दी जाती है।

उत्तर प्रदेश में इतना घना कोहरा क्यों?

मोहम्मद दानिश बताते हैं कि राज्य के मैदानी इलाकों में नमी अधिक, तापमान कम और हवाएं धीमी होने की वजह से कोहरा लगातार बढ़ रहा है। गंगा-यमुना (Ganga-Yamuna) के मैदान, नदियों की नमी और हिमालय (Himalaya) से आने वाली ठंडी हवाओं के कारण प्रदेश के कई जिलों में सुबह के समय विजिबिलिटी बेहद कम हो रही है। कई इलाकों में विजिबिलिटी 10-50 मीटर तक सीमित है। पश्चिमी विक्षोभ (Western Disturbance) और प्रदूषण (Pollution) भी कोहरे को और घना बना रहे हैं। प्रदेश के कई जिलों में यलो (Yellow) और ऑरेंज (Orange) अलर्ट जारी किया गया है। यलो अलर्ट तब जारी होता है जब दृश्यता 200 से 500 मीटर के बीच होती है, जबकि ऑरेंज अलर्ट तब जारी होता है जब कोहरा खतरनाक स्तर पर पहुंच जाता है और विजिबिलिटी 50 से 200 मीटर या उससे कम होती है।

कोहरा, धुंध और कुहासा: जानिए अंतर और विजिबिलिटी का महत्व

कोहरा-धुंध क्या है?: हवा में मौजूद पानी की भाप जब जमीन के पास ही बहुत छोटी बूंदों में बदल जाती है और बादल की तरह फैल जाती है, तो उसे कोहरा कहते हैं। यह जमीन की सतह के ठीक ऊपर रहता है। जब कोहरा बहुत घना होता है, तो सामने की चीजें साफ दिखाई नहीं देतीं और दृश्यता एक किलोमीटर से भी कम हो जाती है।

कोहरा-कुहासा में अंतर, विजिबिलिटी होती क्या है?: मोहम्मद दानिश के अनुसार, कोहरा और कुहासा हवा में नमी से बनते हैं, लेकिन इनकी घनता और असर अलग-अलग होता है। कोहरा बहुत घना होता है, जबकि कुहासा हल्का होता है और इसमें चीजें धुंधली-धुंधली दिखाई देती हैं। विजिबिलिटी दिन के समय यह मापने का तरीका है कि कोई व्यक्ति खुली आंखों से कितनी दूर तक डार्क ऑब्जेक्ट को देख पा रहा है, और रात में कितनी दूर तक लाइट ऑब्जेक्ट को।

विजिबिलिटी मापने का तरीका: एक्सपर्ट्स बताते हैं कि विजिबिलिटी मापने के लिए 'दृष्टि' (Drishti) नामक एक खास इंस्ट्रूमेंट का इस्तेमाल होता है। मौसम विभाग (Meteorological Department) इसे एयरपोर्ट (Airport) पर लगाता है ताकि सामने की तरफ क्षैतिज (Horizontal) दृश्यता मापी जा सके।

यूपी में कोहरे की मौजूदा स्थिति और आगे का अनुमान

मोहम्मद दानिश बताते हैं कि यूपी में इस समय कोहरे का असर तेजी से बढ़ा है। सुबह और देर रात के घंटों में कई जिलों में घना से बहुत घना कोहरा देखने को मिल रहा है। पश्चिमी और मध्य यूपी के कई जिलों में विजिबिलिटी बेहद कम है। डॉ. महेश पलावत के मुताबिक, 13 और 14 दिसंबर को पूर्वी हवाएं, कम तापमान और कमजोर हवाएं कोहरा बनने के लिए अनुकूल थीं, जिससे 15 दिसंबर को घना कोहरा देखा गया। 16 दिसंबर को हवाओं की दिशा बदलने (पश्चिमी हवाएं) और रफ्तार बढ़ने से राजस्थान (Rajasthan), हरियाणा (Haryana) और दिल्ली (Delhi) की ओर बना कोहरा अब उत्तर प्रदेश, खासकर पूर्वी उत्तर प्रदेश (Eastern Uttar Pradesh) की तरफ शिफ्ट हो गया है। एनवायरमेंट एक्सपर्ट प्रो. अजय आर्य (Prof. Ajay Arya) बताते हैं कि अभी जो दिख रहा है, वह फॉग और प्रदूषण का मिश्रण है, जिसे प्राकृतिक कुहासा नहीं कहा जा सकता क्योंकि तापमान अभी इतना कम नहीं हुआ है। अनुमान है कि 25 दिसंबर के बाद ओस गिरनी शुरू होगी, जिससे स्थिति में और बदलाव आ सकता है।