Highlights
- श्योपुर में अखिल भारतीय क्षत्रिय महासभा के विजयादशमी मिलन समारोह का आयोजन।
- मेघराज सिंह रॉयल ने रोजगारोन्मुखी और आत्मनिर्भर समाज बनाने का आह्वान किया।
- शक्तिसिंह बांदीकुई ने युवाओं को शिक्षा और तकनीक से जुड़ने पर जोर दिया।
- ग्वालियर की महापौर शोभा सिकरवार ने समावेशी विकास और लैंगिक समानता का संदेश दिया।
श्योपुर | नगरपालिका ऑडिटोरियम में शुक्रवार को आयोजित अखिल भारतीय क्षत्रिय महासभा के विजयादशमी मिलन समारोह ने समाज में एक नई चेतना का संचार किया। इस गरिमामय अवसर पर यूनाइटेड ग्लोबल पीस फाउंडेशन (UGPF) के अध्यक्ष मेघराज सिंह रॉयल और युवा क्षत्रिय नेता शक्तिसिंह बांदीकुई ने मुख्य वक्ता के रूप में अपने विचार रखे। इस समारोह का मुख्य उद्देश्य क्षत्रिय समाज को उसके गौरवशाली इतिहास से प्रेरणा लेते हुए वर्तमान चुनौतियों का सामना करने और भविष्य के लिए एक आत्मनिर्भर एवं रोजगारोन्मुखी मार्ग प्रशस्त करने के लिए प्रेरित करना था।
रोजगारोन्मुखी समाज का संकल्प: मेघराज सिंह रॉयल का उद्बोधन
मेघराज सिंह रॉयल ने अपने प्रभावशाली उद्बोधन में कहा कि क्षत्रिय समाज ने आदिकाल से देश और समाज के लिए अनगिनत बलिदान दिए हैं, लेकिन अब समय की मांग है कि समाज केवल संघर्ष और बलिदान की गाथाओं तक सीमित न रहे, बल्कि संघर्ष से आगे बढ़कर एक रोजगारोन्मुखी और आत्मनिर्भर समाज का निर्माण करे। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि केवल इतिहास पर गर्व करना ही पर्याप्त नहीं है, बल्कि हमें भविष्य की चुनौतियों के लिए तैयार रहना होगा।
रॉयल ने बताया कि उनकी संस्था यूनाइटेड ग्लोबल पीस फाउंडेशन (UGPF) का मुख्य उद्देश्य समाज को शिक्षा, पर्यावरण संरक्षण, गौसंरक्षण, बालिकाओं के विवाह में सहयोग और प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कराने जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों में मजबूत बनाना है। उन्होंने स्पष्ट किया कि ये ऐसे क्षेत्र हैं जो समाज के समग्र विकास और युवाओं के सशक्तिकरण के लिए अत्यंत आवश्यक हैं।
अपने संबोधन में उन्होंने युवाओं को एक महत्वपूर्ण संदेश दिया, "आज हमारे युवाओं को तलवार और बंदूक के साथ-साथ कलम और कंप्यूटर भी थामना होगा। इतिहास की धरोहर पर गर्व करते हुए हमें भविष्य की तैयारी करनी होगी। रोजगार, शिक्षा और तकनीक में दक्षता ही हमें वैश्विक स्तर पर स्थापित करेगी।" यह कथन समाज को आधुनिकता और प्रगति की ओर बढ़ने के लिए प्रेरित करता है, जहाँ पारंपरिक शौर्य के साथ-साथ बौद्धिक और तकनीकी कौशल भी उतना ही महत्वपूर्ण है।
मेघराज सिंह रॉयल ने समाज को यह भी याद दिलाया कि क्षत्रियों ने अंग्रेजों के खिलाफ स्वतंत्रता संग्राम में अपने प्राण न्योछावर किए और आजादी के बाद भी भारतीय सेना में अपना पराक्रम दिखाया है। उन्होंने आह्वान किया कि वही ऊर्जा और समर्पण अब सामाजिक सुधार, शिक्षा के प्रसार और आत्मनिर्भरता प्राप्त करने में लगाना होगा। उनका मानना था कि यह बदलाव ही समाज को सही मायने में सशक्त करेगा।
युवा जोश और दूरदर्शिता: शक्तिसिंह बांदीकुई का संबोधन
युवा वक्ता शक्तिसिंह बांदीकुई ने अपने भाषण में मेघराज सिंह रॉयल की दूरदर्शी सोच और उनके द्वारा किए जा रहे कार्यों की जमकर सराहना की। उन्होंने कहा, "आज अगर समाज को एक नई दिशा मिल रही है तो उसका श्रेय मेघराज सिंह रॉयल जैसे नेतृत्वकर्ताओं को जाता है, जो अपने व्यक्तिगत हितों से ऊपर उठकर समाजहित में कार्य कर रहे हैं।" उन्होंने UGPF के माध्यम से युवाओं को शिक्षा और रोजगार से जोड़ने के मेघराज सिंह रॉयल के प्रयासों को सराहा और कहा कि यह पहल आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा का स्रोत बनेगी।
शक्तिसिंह ने आगे कहा कि विजयादशमी का यह पर्व बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। उन्होंने भगवान राम के अन्याय के खिलाफ युद्ध का उदाहरण देते हुए कहा कि जैसे राम ने बुराई का अंत किया, वैसे ही आज हमें अज्ञानता, बेरोजगारी और समाज में व्याप्त अन्य सामाजिक बुराइयों के खिलाफ एकजुट होकर लड़ाई लड़नी होगी। उनका संदेश था कि हमें केवल प्रतीकात्मक रूप से रावण दहन नहीं करना है, बल्कि अपने भीतर और समाज में व्याप्त बुराइयों को भी खत्म करना है।
इतिहास और वर्तमान का संगम: समावेशी विकास की ओर
समारोह में वक्ताओं ने यह भी याद दिलाया कि क्षत्रिय समाज की परंपरा केवल पराक्रम और युद्ध कौशल तक सीमित नहीं रही है। यह समाज हमेशा से समावेशी विकास में विश्वास करता रहा है। महाराणा प्रताप और दुर्गादास राठौड़ जैसे महान वीरों का संघर्ष केवल स्वाधीनता के लिए नहीं था, बल्कि जन-जन की रक्षा और न्याय की स्थापना के लिए भी था। उनका बलिदान केवल अपनी रियासत के लिए नहीं, बल्कि पूरे समाज के कल्याण के लिए था।
आज वही परंपरा आगे बढ़ाते हुए UGPF समाज को शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार के क्षेत्र में नई राह दिखा रहा है। इस अवसर पर उपस्थित समाजजनों ने संकल्प लिया कि वे सामाजिक एकता को मजबूत करेंगे और बेटा-बेटी में किसी भी प्रकार का भेदभाव मिटाकर नई पीढ़ी को बराबरी का अवसर देंगे। यह संकल्प लैंगिक समानता और सामाजिक न्याय की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
महापौर शोभा सिकरवार का आह्वान: सबको साथ लेकर चलें
ग्वालियर की महापौर शोभा सिकरवार ने भी विजयादशमी मिलन समारोह में अपनी उपस्थिति दर्ज कराई और राजपूत समाज को सबको साथ लेकर चलने वाला समाज बताया। उन्होंने समावेशी विकास पर जोर देते हुए कहा कि सभी समाजों को एक साथ आगे बढ़ना चाहिए और किसी को भी पीछे नहीं छोड़ना चाहिए। महापौर ने समाज से बेटे-बेटियों में भेदभाव खत्म करने और बेटियों को भी बेटों के समान अवसर प्रदान करने का आह्वान किया। उन्होंने देश के विकास में पूर्वजों के योगदान को याद करते हुए कहा कि आज भी क्षत्रिय समाज का योगदान विशेष रूप से पर्यटन के क्षेत्र में महत्वपूर्ण है, जहाँ उनके किले, महल और ऐतिहासिक स्थल देश की शान हैं।
शोभायात्रा और एकता का संकल्प
समारोह से पहले, अखिल भारतीय क्षत्रिय महासभा ने शहर में एक भव्य शोभायात्रा निकाली, जो मेला ग्राउंड से शुरू होकर नगरपालिका ऑडिटोरियम में समाप्त हुई। इस शोभायात्रा में शामिल सजातीय लोगों ने पूरे जोश के साथ 'महाराणा प्रताप अमर रहें' और 'जय राजपूताना' के जयकारे लगाए। इस दौरान सभी ने सामाजिक एकता को मजबूत करने और समाज के उत्थान के लिए मिलकर कार्य करने का संकल्प लिया। यह शोभायात्रा समाज की एकजुटता और अपने गौरवशाली इतिहास के प्रति सम्मान का प्रतीक थी।
सरकारें भी मानती हैं क्षत्रियों का योगदान
समारोह में इस बात पर भी जोर दिया गया कि स्वतंत्रता संग्राम से लेकर सरहद की सुरक्षा तक क्षत्रियों का अहम योगदान रहा है। केंद्र और राज्य सरकारें भी भारतीय फौज में राजपूत रेजिमेंट के गौरवशाली इतिहास और क्षत्रियों की शहादत को मानती हैं। ऐसे में अब क्षत्रिय समाज का सही मूल्यांकन करने और उन्हें उनके हक दिलाने की आवश्यकता है। यह मांग समाज के योगदान को मान्यता देने और उन्हें उचित स्थान प्रदान करने की दिशा में थी।
प्रमुख अतिथियों की उपस्थिति
इस महत्वपूर्ण कार्यक्रम में ग्वालियर की महापौर शोभा सिंह सिकरवार, अखिल भारतीय क्षत्रिय महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष सुरेंद्र सिंह तोमर और भामाशाह मेघराज सिंह शेखावत जैसे प्रमुख अतिथि शामिल हुए। उन्होंने समाजजनों को संबोधित करते हुए सामाजिक उत्थान और एकता पर अपने विचार रखे। अतिथियों ने बताया कि क्षत्रिय समाज ने आदिकाल से देश और देशवासियों के हितों की रक्षा के लिए संघर्ष किया है, जिसमें अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ लड़ी गई निर्णायक लड़ाइयाँ भी शामिल हैं। उन्होंने समाज में व्याप्त कुरीतियों को समाप्त करने के लिए एकजुट होने का आह्वान भी किया, ताकि समाज एक नई दिशा में आगे बढ़ सके और अपनी पूरी क्षमता का उपयोग कर सके।