मानसिक स्वास्थ्य पर गहन मंथन: विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस: ‘मन की ख़ुशी’ फाउंडेशन का विशेष सेमिनार

जयपुर (Jaipur) में विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस की पूर्व संध्या पर ‘मन की ख़ुशी’ फाउंडेशन (Man Ki Khushi Foundation) ने मानसिक अवसाद और तनाव पर एक सेमिनार आयोजित किया। इसमें मानसिक स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता बढ़ाने और समाधान खोजने पर गहन चर्चा हुई।

जयपुर | विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस की पूर्व संध्या पर ‘मन की ख़ुशी’ फाउंडेशन (Man Ki Khushi Foundation) ने मानसिक अवसाद और तनाव पर एक सेमिनार आयोजित किया। इसमें मानसिक स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता बढ़ाने और समाधान खोजने पर गहन चर्चा हुई।

मानसिक स्वास्थ्य पर गहन चिंतन

विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस की पूर्व संध्या पर ‘मन की ख़ुशी’ फाउंडेशन ने एक विशेष सेमिनार का आयोजन किया था।

इस सेमिनार का मुख्य उद्देश्य समाज में बढ़ते मानसिक अवसाद, तनाव और घटते मानसिक स्वास्थ्य पर चिंतन करना था।

सामूहिक रूप से समाधान की दिशा में मंथन करने के लिए यह आयोजन महत्वपूर्ण रहा।

‘मन की ख़ुशी’ फाउंडेशन के तीन वर्ष

पिछले तीन वर्षों से ‘मन की ख़ुशी’ फाउंडेशन समाज में मानसिक स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता बढ़ाने के लिए लगातार कार्यरत है।

फाउंडेशन द्वारा नुक्कड़ नाटक, चर्चा सत्र, सेमिनार और वेबीनार जैसे विविध आयोजनों के माध्यम से अनेक प्रयास किए गए हैं।

पिछले वर्ष संस्था द्वारा आयोजित “मन ठीक तो सब ठीक” अभियान ने समाज में मानसिक स्वास्थ्य को लेकर नई चेतना और संवाद की शुरुआत की थी।

निदेशक पायल चौधरी के विचार

इस अवसर पर ‘मन की ख़ुशी’ फाउंडेशन की निदेशक पायल चौधरी ने अपने विचार साझा किए।

उन्होंने कहा कि आज के दौर में मानसिक स्वास्थ्य की चर्चा उतनी नहीं होती, जितनी आवश्यकता है।

हमारी संस्था का उद्देश्य है कि हर व्यक्ति अपने मन की सुन सके, अपनी भावनाओं को पहचान सके और अपनी खुशी का कारण स्वयं खोज सके।

नवंबर से हम ‘हैप्पी संडे’ नामक नई गतिविधि की शुरुआत कर रहे हैं।

इसके अंतर्गत प्रत्येक रविवार को विशेषज्ञों द्वारा काउंसलिंग और थेरेपी सेशन आयोजित किए जाएंगे।

इसके अतिरिक्त खुशी के कारण तलाशने वाली विभिन्न क्रियाओं पर भी फोकस किया जाएगा।

हमारा प्रयास रहेगा कि लोगों के मन और मस्तिष्क तक पहुंचकर उन्हें स्वस्थ, संतुलित और आनंदपूर्ण जीवन जीने की दिशा में प्रेरित किया जाए।

मनोवैज्ञानिकों और विशेषज्ञों की राय

मनोमैट्रिक्स के संस्थापक अर्पित शर्मा

सेमिनार में उपस्थित मनोमैट्रिक्स के संस्थापक अर्पित शर्मा ने अपने विचार व्यक्त किए।

उन्होंने कहा कि मानसिक स्वास्थ्य का संबंध केवल बीमारी से नहीं बल्कि जीवन के दृष्टिकोण से भी है।

अगर हम बच्चों को बचपन से ही मानसिक स्वास्थ्य के प्रति जागरूक करें तो समाज अधिक संवेदनशील और मजबूत बनेगा।

उन्होंने यह भी जोड़ा कि आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में हर कोई किसी न किसी स्तर पर मानसिक दबाव से जूझ रहा है।

ऐसे में ‘मन की ख़ुशी’ जैसी संस्थाओं की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण हो जाती है, जो लोगों को सहारा और सुनने का अवसर देती हैं।

संरक्षक बी आर भूकर का संबोधन

इस फाउंडेशन के संरक्षक बी आर भूकर ने अपने संबोधन में कहा।

मानसिक स्वास्थ्य को लेकर विश्वविद्यालयों और शिक्षण संस्थानों में भी जागरूकता बढ़ाने की जरूरत है।

विद्यार्थी जीवन में तनाव और असंतुलन को पहचानना और उसका समाधान करना शिक्षा प्रणाली का हिस्सा होना चाहिए।

प्रसिद्ध लेखिका अंकलेश जाखड़

वहीं प्रसिद्ध लेखिका अंकलेश जाखड़ ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा।

हमारे समाज में मानसिक समस्याओं को आज भी छिपाने की प्रवृत्ति है।

जब तक हम इसे सामान्य जीवन की चर्चा का हिस्सा नहीं बनाएंगे, तब तक वास्तविक परिवर्तन संभव नहीं होगा।

आज ‘मन की ख़ुशी’ फाउंडेशन इस दिशा में एक सशक्त पहल कर रहा है।

सामूहिक जिम्मेदारी की अपील

सेमिनार के अंत में संस्था की निर्देशक पायल चौधरी ने सभी वक्ताओं, प्रतिभागियों और उपस्थित जनसमूह का आभार व्यक्त किया।

उन्होंने कहा कि हमारा सपना है कि हर व्यक्ति ‘हैप्पी माइंड, हेल्दी लाइफ’ की भावना के साथ जीवन जिए।

मानसिक स्वास्थ्य कोई विलासिता नहीं, बल्कि एक आवश्यकता है।

इसे प्राथमिकता देना अब हमारी सामूहिक जिम्मेदारी है।