प्रजना फाउण्डेशन का प्रोजेक्ट किशोरी: माहवारी और महिला स्वास्थ्य पर खुलकर बात करे समाज : दीया कुमारी

माहवारी और महिला स्वास्थ्य पर खुलकर बात करे समाज : दीया कुमारी
जयपुर में प्रोजेक्ट किशोरी के शुभारंभ कार्यक्रम को सम्बोधित करतीं उप मुख्यमंत्री दीया कुमारी।
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Highlights

प्रजना फाउण्डेशन और ब्रह्मोस एयरोस्पेस के प्रोजेक्ट किशोरी की शुरूआत

उप मुख्यमंत्री दीया कुमारी ने कहा कि समाज में परिजनों को बच्चों का दोस्त बनना चाहिए, उन्हें हाईजीन जैसे बिंदुओं पर जागरूक करें

जयपुर । प्रजना फाउण्डेशन और ब्रह्मोस एयरोस्पेस के महिलाओं में स्वास्थ्य जागरूकता को लेकर प्रारंभ किए गए प्रोजेक्ट किशोरी का शुभारंभ जयपुर के वैशाली नगर स्थित खण्डेलवाल गर्ल्स कॉलेज सभागार में प्रदेश की उप मुख्यमंत्री दीया कुमारी ने किया।

इस प्रोजेक्ट के तहत प्रदेशभर में जागरूकता कार्यशाला के अलावा महिलाओं—बेटियों में हाईजीन—स्वास्थ्य के लिए किशोरी किट वितरित किए जाएंगे।

इस अवसर पर बतौर मुख्य अतिथि सम्बोधित करते हुए दीया कुमारी ने कहा कि महिला का जीवन बहुत संघर्षमय होता है। उन्होंने कहा कि महिलाएं यदि प्रोफेशनल्स हैं तो उनके जिम्मे दोहरी जिम्मेदारी हैं। इसलिए वे स्तुत्य हैं।

उप मुख्यमंत्री ने कहा कि पीरियड्स शर्म की बात क्यों मानी जाती हैं। इस पर चर्चा होनी चाहिए, संकोच नहीं। स्कूल में आजकल बात होती है, लेकिन वहां का वातावरण अलग है।

prazna foundation project kishori started by diya kumari in jaipur

इसलिए इस महत्वपूर्ण विषय पर घर में बात होनी चाहिए, संजीदगी से बात होनी चाहिए। सभी लोग मिलकर ही इस बदलाव को ला सकेंगे। इस बिंदु पर बात करने के लिए पुरुषों का रोल बड़ा है, इसे समझना होगा।

उन्होंने कहा कि केवल माहवारी ही क्यों, अन्य विषयों पर भी बात की जानी चाहिए। हमारी पीढ़ी भटक रही है। वह काउंसलर के पास जाकर बात करती है, लेकिन परिजनों से नहीं।

ऐसा इसलिए है कि माता—पिता से संकोच करते हैं, एक दीवार सी खड़ी हो गई है। परिजनों और बच्चों के बीच। इसलिए हमें बच्चों का दोस्त बनना चाहिए।

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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने महिला सशक्तीकरण के लिए खूब योजनाएं प्रारंभ की। शौचालय और घर तक जल, उज्ज्वला जैसी योजनाओं का सबसे बड़ा फायदा महिलाओं ने किया है।

उन्होंने कहा कि महिलाओं के लिए राजस्थान की डबल इंजन की सरकार जिस तरह से काम वह पहले नहीं हुआ। उन्होंने कहा कि इन सबके बावजूद हमें अपनी मानसिकता को बदलने की आवश्यकता है।

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वह तो समाज को ही करना होगा। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी मन की बात में बहुत सारे बदलाव के बिंदु बताते हैं। उन पर हमें मनन करना होगा। दीया कुमारी ने कहा कि प्रजना फाउण्डेशन खासा प्रभावी काम कर रहा है और सरकार के साथ मिलकर इस काम को और भी प्रभावी किया जा सकता है।

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उन्होंने ब्रह्मोस एयरोस्पेस का भी आभार जताया। उप मुख्यमंत्री दीया कुमारी ने कहा कि व्यापारी और उद्योगपति, व्यापारी अपने सीएसआर को अक्सर ऐसे कामों में नहीं देते, लेकिन यह एक जरूरी बिंदु है। इस पर सभी को आगे आना चाहिए। 

कार्यक्रम में बतौर अतिथि पहुंची राष्ट्रीय सुरक्षा अध्यययन विशेष केन्द्र जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय दिल्ली की सहायक प्रोफेसर डॉ. आयुषी केतकर ने कहा कि एक महत्वपूर्ण विषय पर बात करने के लिए प्रजना फाउण्डेशन की पहल स्तुत्य है।

माहवारी को पढ़ा—लिखा समाज भी टैबू मानता है। यह सबसे बड़ी चिंता का विषय बनता है। महिला का ​स्वास्थ्य अंतिम प्राथमिकता क्यों हो जाता है, वह भी उस देश में जहां मातृशक्ति पूजनीय कही जाती हैं।

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ऐसे में हमें इसे पहली प्राथमिकता में लाना होगा। एक मां, बहन, पत्नी, बेटी के रूप में ​महिलाओं की प्राथमिकता परिवार के अन्य सदस्य हो जाते हैं।

परन्तु महिला का स्वास्थ्य समाज की पहली प्राथमिकता होगी तो एक स्वस्थ्य समाज का निर्माण अपने—आप प्रभावी होगा। उन्होंने कहा कि महिलाओं के स्वास्थ्य और सुरक्षा के लिए पुरुषों को भी आगे आना होगा।

प्रजना फाउण्डेशन की चेयरपर्सन प्रीति शर्मा ने बताया कि यह संगठन कैसे शुरू हुआ और समाज के ठेठ निचले तबके तक काम करने के भावों के साथ काम कर रहा है।

प्रीति शर्मा ने कहा कि एक रजस्वला स्री के धर्म की रक्षा के लिए भगवान कृष्ण ने महाभारत रच दी थी। देवी सरस्वती के सृष्टि निमात्री स्वरूप के नाम से प्रजना नाम चुना गया है। जब तक स्री खुद के आनंद में नहीं रहेगी, तब तक सृष्टि कैसे आनंदमय हो पाएगी। इसलिए सृष्टि के हित में महिलाओं के स्वास्थ्य को प्राथमिकता देनी होगी।

प्रजना ने शुरूआत ने महिलाओं की कलात्मक भागीदारी से शुरूआत की। प्रीति ने बताया कि उनके पिता ने माहवारी ​स्वच्छता पर उन्हें काम करने को कहा। इसी से प्रेरणा मिली। महिलाओं में पीरियड्स के प्रति जागरूकता के साथ—साथ सहजता भी आ सके।

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इसीलिए ब्रह्मोस के सहयोग से इस प्रोजेक्ट की शुरूआत की गई है। आज हमारी बेटियां पीरियड्स या माहवारी पर अहसज हो जाती हैं। ऐसे में हम हाईजीन किट वितरण के साथ—साथ किशोरी क्लब का गठन भी किया जाएगा।

एयरोस्पेस की बीएमकेसी उप प्रबंधक श्रीमती सरिता वाघटे ने प्रोजेक्ट किशोरी और ब्रह्मोस के बारे में जानकारी दी। उन्होंने कहा कि प्रजना के इनीशिएटिव के बारे में जब जाना तो ब्रह्मोस ने सीएसआर के लिए हाथ आगे बढ़ाया।

उन्होंने कहा कि सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल निर्माण में सक्रिय ब्रह्मोस भारत का गौरव है। देश की सुरक्षा में ब्रह्मोस के मिसाइल सिस्टम का बड़ा योगदान है। साथ ही सामाजिक सरोकार के कामों में ब्रह्मोस लगातार अपना योगदान दे रहा है।

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कार्यक्रम में बतौर अतिथि सम्बोधित करते हुए रोहित अस्पताल की निदेशक डॉ. शैलजा जैन ने भी वीमन हाईजीन विषय पर उपयोगी जानकारी दी। उन्होंने बताया कि 11 साल की उम्र से पीरियड्स स्टार्ट हो सकते हैं और सोलह साल की उम्र तक भी यदि किसी बेटी को माहवारी नहीं आई है तो चिकित्सक से संपर्क करना चाहिए।

उन्होंने कहा कि पीरियड्स आना एक अच्छी बात है और यह संकेत करता है कि नारी का शरीर सही तरीके से विकसित हो रहा है। यह एक नकारात्मक भाव से लेने वाली बात नहीं है। उन्होंने कहा कि 21 से 35 दिन के बीच माहवारी का चक्र सही चक्र है। यदि इसमें गड़बड़ है तो चिकित्सक से संपर्क करना चाहिए। 

इस अवसर पर सैकड़ों महिलाओं और बालिकाओं को हाईजीन किट भी वितरित किए गए। वहीं विद्यालयों में किशोरी क्लब के माध्यम से बालिकाओं में जागरूकता लाने के लिए क्लब का गठन भी किया गया। उप मुख्यमंत्री दीया कुमारी और अतिथियों ने किशोरी क्लब के पोस्टर का विमोचन भी किया। कार्यक्रम का संचालन विवेकानंद शर्मा ने किया।

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बालिकाओं ने प्रस्तुत की नाटिका
बालिकाओं ने मंच पर नाटिका का प्रदर्शन कर किशोरी प्रोजेक्ट की आवश्यकता और उपायेदता पर प्रकाश डाला। इस नाटिका में माहवारी को एक समस्या के तौर पर नहीं देखे जाने को लेकर जागरूकता पर संदेश दिया गया है।

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कच्ची बस्ती के बच्चों ने सुंदर गीतों की भी प्रस्तुति दी। कार्यक्रम में प्रजना फाउण्डेशन की ओर से लाभान्वित महिलाओं ने अपने अनुभव साझा किए। इस कार्यक्रम में आरएसएस के सेवा प्रभाग के शिवलहरीजी, विशाल जी, मूलचंदजी, कर्नल धनेश जी, गणेश गोयल, धर्मगुरु राजेन्द्रजी, कृष्णकुमार, विवेक गुप्ता आदि लोग भी मौजूद रहे।

लम्बे समय से सक्रिय है प्रजना फाउण्डेशन
प्रजना फाउण्डेशन राजस्थान में महिलाओं में हाईजीन के विषय पर लगातार कई सालों से काम कर रहा है। इसका अधिकांश कार्यक्षेत्र कच्ची बस्तियां और समाज के निचला तबका है। यहां अक्षर कक्षा के माध्यम से बच्चों में साक्षरता के लिए भी प्रभावी काम किया जा रहा है।

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