RLP: हनुमान बेनीवाल से कहां हुई चूक

RLP की वजह से कांग्रेस को 20 लाख से अधिक वोट मिले हैं ।

नागौर | हनुमान बेनीवाल के पिता स्वर्गीय रामदेव चौधरी छठी ओर आठवीं विधान सभा में राजस्थान की मुंडवा विधान सभा सीट से विधायक रहे थे। वे पहले कांग्रेस में थे लेकिन विधायक रहते हुए उनका टिकिट काट के हरेंद्र मिर्धा को दे दिया गया। ज्योति मिर्धा को हराने के लिए हनुमान बेनीवाल ने अपना यानी RLP का कैंडिडेट 2023 के चुनाव में नहीं उतारा।

2003 के चुनाव के समय हनुमान बेनीवाल का नाम हनुमान सिंह हुआ करता था। 2008 के चुनाव में हनुमान,बेनीवाल बनकर बीजेपी से उतरते हैं और बाद की कहानी राजनीति हलको में आम हैं।

नागौर में इस बार बेनीवाल और ज्योति मिर्धा पार्टी बदल के चुनाव लड़े थे। हनुमान जीते परन्तु मार्जिन अधिक नहीं रहा,खींवसर में भी उनकी लीड कम रही महज 4160 से आगे रहे जहां से वह लगातार विधायक बनते रहे हैं।

अगर जाट नेताओं की बात करे की कोंग्रेस के गठबंधन के बाद जाट नेताओं ने हनुमान बेनीवाल को इतना सपोर्ट किया | दो बड़े नेताओं का नाम सामने आता हैं, मुकेश धाकड़ और रामनिवास गावड़िया | जो सचिन पायलट खेमें के हैं। मिर्धा परिवार के नेता हरेंद्र मिर्धा ने इतनी मदद की जो की नागौर विधायक हैं।

गहलोत खेमें के महेन्द्र चौधरी ने कितनी मदद की देखा जाए तो विधानसभावार मिले वोटो के अनुसार हनुमान बेनीवाल ज्यादा वोट मुस्लिम इलाके मे पाते हैं मसलन नागौर, डीडवाना और मकराना जाट वोट जहां ज्यादा हैं जाट विधायक जहां हैं वहां बढ़त में ज्यादा नही हैं बेनीवाल।

नागौर मे बीजेपी की हार को लेकर बड़ी चर्चा हो रही हैं कि देश में राजपुत समाज बीजेपी से नाराज था और इस नाराज़गी की अगुवाई करणी सेना के अध्यक्ष महिपाल मकराणा कर रहे थे जो नागौर से थे। राजपूत समाज के बड़ी तादाद में लोग बीजेपी को वोट देने नही गये।

परबतसर और लाडलू विधानसभा सीट पर भी लीड बेहद कम रही और डीडवाणा ओर मकराणा में बुरी तरह पिछड़ी, यहां राजपुत और मुसलमान हस्यप्रभावी हैं। राजपूत बीजेपी को वोट देने नही गए और मुसलमान स्वतः कोंग्रेस की ओर चला गया।

हनुमान बेनीवाल का NDA गठबंधन के खिलाफ मोर्चा दिखाई नज़र पड़ता हैं। हनुमान बेनीवाल का कहना है कि इंडिया गठबंधन यह कह रही हैं कि मुझे मीटिंग में नही बुलाया हम छोटे दल हैं।

उन्होंने कहा कि मैं लगातार कह रहा था कि 'मुझे जो तीन लाख वोट मिले हैं वे कांग्रेस के साथ गठबंधन के कारण मिले हैं। लेकिन इन सब के बावजूद में भाजपा के खिलाफ लड़ता रहा हुँ।'

सच यह भी हैं कि RLP की वजह से कांग्रेस को 20 लाख से अधिक वोट मिले हैं। अगर गठबंधन पहले आ जाता, रोडे नही अटकते तो कांग्रेस की सीटे और बढ़ सकती थी।