इनकम टैक्स रिफंड अपडेट: इनकम टैक्स रिफंड अटकने का मैसेज आने पर घबराएं नहीं: 31 दिसंबर तक गलती सुधारने का मौका; जानें रिफंड होल्ड होने की 5 बड़ी वजहें

इनकम टैक्स रिफंड अटकने का मैसेज आने पर घबराएं नहीं: 31 दिसंबर तक गलती सुधारने का मौका; जानें रिफंड होल्ड होने की 5 बड़ी वजहें
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Highlights

  • इनकम टैक्स विभाग ने रिस्क मैनेजमेंट प्रोसेस के तहत रिफंड होल्ड करने के नोटिस जारी किए।
  • टैक्सपेयर्स के पास रिवाइज्ड ITR दाखिल कर गलती सुधारने के लिए 31 दिसंबर तक का समय।
  • डेटा मिसमैच और गलत कटौती के दावों के कारण AI सिस्टम ने रिफंड को फ्लैग किया है।
  • डेडलाइन बीतने के बाद ITR-U का विकल्प बचेगा, जिसमें रिफंड क्लेम नहीं किया जा सकेगा।

नई दिल्ली | इनकम टैक्स विभाग ने हाल ही में हजारों करदाताओं को एसएमएस और ईमेल के माध्यम से अलर्ट जारी किया है। यह अलर्ट उन लोगों के लिए है जिनके इनकम टैक्स रिफंड (ITR Refund) में कुछ विसंगतियां पाई गई हैं। विभाग ने स्पष्ट किया है कि 'रिस्क मैनेजमेंट प्रोसेस' के तहत इन रिफंड्स को फिलहाल होल्ड पर डाल दिया गया है। टैक्सपेयर्स को भेजे गए इन संदेशों में बताया गया है कि उनके द्वारा दाखिल किए गए रिफंड क्लेम में कुछ विसंगतियां (Discrepancies) मिली हैं, जिसके कारण रिटर्न की प्रोसेसिंग रोक दी गई है।

रिस्क मैनेजमेंट प्रोसेस के तहत कार्रवाई

इनकम टैक्स विभाग का एआई-आधारित सिस्टम अब करदाताओं के डेटा की बारीकी से जांच कर रहा है। विभाग ने बताया है कि यदि किसी टैक्सपेयर को ऐसा मैसेज मिला है, तो इसका मतलब है कि उनके द्वारा दी गई जानकारी विभाग के रिकॉर्ड से मेल नहीं खा रही है। इसकी विस्तृत जानकारी करदाता के रजिस्टर्ड ईमेल पर भेज दी गई है। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि करदाताओं के पास अपनी गलतियां सुधारने और रिवाइज्ड ITR भरने के लिए केवल 31 दिसंबर तक का समय है।

रिफंड अटकने के पांच मुख्य कारण

विशेषज्ञों के अनुसार, रिफंड अटकने के पीछे मुख्य रूप से पांच कारण हो सकते हैं। पहला कारण डेटा मिसमैच है, जहां आपकी घोषित आय और फॉर्म 26AS या AIS के डेटा में अंतर होता है। दूसरा कारण आय छिपाना है, जैसे शेयर बाजार (F&O), विदेशी आय या संपत्ति की बिक्री से हुए लाभ को न दिखाना। तीसरा कारण फर्जी या बढ़ा-चढ़ाकर किए गए क्लेम हैं, जिनमें HRA, बीमा प्रीमियम या डोनेशन की गलत जानकारी शामिल है।

चौथा कारण खर्च और आय का असंतुलन है। यदि आपने आय कम दिखाई है लेकिन आपके क्रेडिट कार्ड बिल या प्रॉपर्टी निवेश अधिक हैं, तो सिस्टम इसे तुरंत पकड़ लेता है। पांचवां कारण कंप्लायंस पोर्टल पर पूछे गए सवालों का समय पर जवाब न देना है। यदि विभाग ने आपसे किसी जानकारी के लिए स्पष्टीकरण मांगा है और आपने जवाब नहीं दिया, तो आपका रिफंड रुकना तय है।

AI सिस्टम की निगरानी और रिफंड की समयसीमा

टैक्स एक्सपर्ट और एसडी सिंह एंड एसोसिएट्स के फाउंडर सूरज सिंह बताते हैं कि जिन लोगों का रिफंड रिस्क मैनेजमेंट में फ्लैग हुआ है, उन्हें पैसा मिलने में कुछ हफ्तों से लेकर कुछ महीनों तक का समय लग सकता है। चूंकि यह अलर्ट विभाग के आधुनिक एआई सिस्टम द्वारा जेनरेट किए गए हैं, इसलिए इनकी जांच मैन्युअल रूप से भी की जा सकती है। यदि विभाग को रिकॉर्ड्स में गंभीर गड़बड़ी मिलती है, तो संबंधित करदाता को नोटिस भेजा जा सकता है और डॉक्युमेंट वेरिफिकेशन (स्क्रूटनी) के बाद ही रिफंड जारी किया जाएगा।

ओल्ड और न्यू टैक्स रिजीम का प्रभाव

यह देखा गया है कि ये नोटिस ओल्ड और न्यू टैक्स रिजीम, दोनों को चुनने वाले करदाताओं को मिले हैं। हालांकि, ओल्ड टैक्स रिजीम वालों की संख्या अधिक है क्योंकि वहां टैक्स बचाने के लिए डिडक्शन के कई विकल्प उपलब्ध होते हैं। न्यू रिजीम चुनने वालों को नोटिस तभी मिल रहे हैं जब उन्होंने अपनी आय को पूरी तरह डिस्क्लोज नहीं किया है। आजकल डेटा इंटीग्रेशन इतना मजबूत है कि अलग-अलग स्रोतों से जानकारी अपने आप विभाग के पास पहुंच जाती है।

क्या करें अगर रिफंड होल्ड हो गया है?

द चैंबर ऑफ टैक्स कंसल्टेंट्स के मेंबर अशोक मेहता का कहना है कि अगर सिस्टम ने आपका रिफंड होल्ड किया है, तो घबराने की जरूरत नहीं है। जेनुइन टैक्सपेयर्स को बस अपनी फाइलिंग को रिव्यू करना चाहिए और फॉर्म 26AS, AIS या TIS से डेटा मैच करना चाहिए। यदि अनजाने में कोई गलती हुई है, तो उसे तुरंत सुधार लेना चाहिए। डरने की जरूरत केवल उन्हें है जिन्होंने रिफंड लेने के उद्देश्य से जानबूझकर गलत जानकारी साझा की है।

31 दिसंबर की डेडलाइन क्यों है महत्वपूर्ण?

रिवाइज्ड रिटर्न फाइल करने की आखिरी तारीख 31 दिसंबर 2024 है। यदि आप यह डेडलाइन मिस कर देते हैं, तो आपके पास केवल अपडेटेड रिटर्न (ITR-U) का विकल्प बचेगा। ITR-U भरने पर न केवल आपको पेनल्टी और ब्याज देना पड़ सकता है, बल्कि सबसे बड़ा नुकसान यह है कि इसमें आप रिफंड क्लेम नहीं कर सकते। इसके अतिरिक्त, यदि कोई एक्शन नहीं लिया गया, तो विभाग सेक्शन 133(6) के तहत नोटिस भेज सकता है, जिससे भविष्य में स्क्रूटनी का खतरा बढ़ जाता है।

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