अंता : अंता उपचुनाव में कांग्रेस का बड़ा उलटफेर, प्रमोद जैन भाया की निर्णायक जीत
अंता उपचुनाव (Anta By-election) में कांग्रेस (Congress) ने बीजेपी (BJP) को हराकर बड़ा उलटफेर किया। प्रमोद जैन भाया (Pramod Jain Bhaya) ने अंता (Anta) में अपनी 'सॉफ्ट पावर' से निर्णायक जीत दर्ज की।
बारां: अंता उपचुनाव (Anta By-election) में कांग्रेस (Congress) ने बीजेपी (BJP) को हराकर बड़ा उलटफेर किया। प्रमोद जैन भाया (Pramod Jain Bhaya) ने अंता (Anta) में अपनी 'सॉफ्ट पावर' से निर्णायक जीत दर्ज की।
अंता विधानसभा उपचुनाव के नतीजे बेहद चौंकाने वाले रहे हैं। 2023 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने यह सीट बड़े अंतर से जीती थी, लेकिन इस बार कांग्रेस ने शानदार मार्जिन से जीत दर्ज कर एक बड़ा राजनीतिक उलटफेर कर दिया। पिछले चुनाव में बीजेपी के कंवरलाल मीणा ने जहां 45,000 वोटों के विशाल अंतर से जीत हासिल की थी, वहीं इस उपचुनाव में कांग्रेस उम्मीदवार प्रमोद जैन भाया ने निर्णायक जीत दर्ज कर पार्टी की उम्मीदों पर खरे उतरे।
उनकी यह जीत इस बात का प्रमाण है कि अंता क्षेत्र में अभी भी उनकी 'सॉफ्ट पावर' ही सबसे निर्णायक कारक है। मतगणना की शुरुआत से ही प्रमोद जैन भाया ने बीजेपी के मोरपाल सुमन और निर्दलीय उम्मीदवार नरेश मीणा पर लगातार निर्णायक बढ़त बनाए रखी। यह बढ़त अंत तक कायम रही और उनकी जीत में महत्वपूर्ण साबित हुई। राजनीतिक गलियारों में यह सवाल उठ रहा है कि आखिर वह कौन सी शक्ति है, जिसने भाया को इतनी निर्णायक बढ़त दिलाई।
भाया की अचूक रणनीति और संगठनात्मक पकड़
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि प्रमोद जैन भाया की इस जीत के पीछे उनकी अचूक चुनावी रणनीति और क्षेत्र में उनकी मजबूत संगठनात्मक पकड़ मुख्य कारण हैं। उन्होंने पिछले चुनाव की गलतियों से सबक लेते हुए इस बार बेहद सतर्क और प्रभावी रणनीति अपनाई।
सादगी भरा जीवन और जनता से सीधा संवाद
प्रमोद जैन भाया हमेशा से ही सादा जीवन जीने में विश्वास रखते हैं। पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की सरकार के तीसरे कार्यकाल (2018-2023) में मंत्री रहने के बाद भी, उन्होंने हमेशा जमीन से जुड़े रहना और लोगों से सीधा संवाद स्थापित करना पसंद किया। 2023 के विधानसभा चुनाव में हार का सामना करने के बावजूद, उन्होंने अंता क्षेत्र के लिए लगातार काम किया। उन्होंने सड़कों का निर्माण करवाया और जनता के बीच रहकर उनकी समस्याओं को समझा और उनका समाधान किया।
इसके अतिरिक्त, उन्होंने गौशालाएं भी बनवाईं, जो उनकी जनसेवा की भावना को दर्शाती है। यही कारण है कि चुनाव परिणाम घोषित होने से पहले भी, वे अपने कार्य को पूरा करने के लिए गौशाला जाकर गायों को चारा खिलाते और उनका आशीर्वाद लेते देखे गए। यह उनकी जनता से जुड़ाव और सादगी का प्रतीक है।
सतर्क 'माइक्रो-मैनेजमेंट' ने पलटा पासा
पिछले चुनावों की गलतियों से सीख लेते हुए, प्रमोद जैन भाया ने इस बार बेहद सतर्क 'माइक्रो-मैनेजमेंट' रणनीति अपनाई। उन्होंने बड़े रोड शो और भव्य सभाओं के बजाय व्यक्तिगत संपर्क को प्राथमिकता दी। घर-घर पहुंचकर उन्होंने सीधे मतदाताओं से संवाद किया और उनकी समस्याओं को सुना।
पूरे चुनाव अभियान को उन्होंने एक सुनियोजित लड़ाई की तरह लड़ा, जिसमें हर बूथ और हर क्षेत्र पर बारीक नजर रखी गई। इस रणनीति में उनकी पार्टी के कार्यकर्ताओं ने बेहद अहम भूमिका निभाई। भाया का यह सूक्ष्म प्रबंधन बीजेपी की चुनावी रणनीति पर भारी पड़ा, जिसने कांग्रेस के पक्ष में निर्णायक माहौल बनाने में मदद की।
कांग्रेस दिग्गजों की एकजुटता
कांग्रेस पार्टी ने अंता उपचुनाव को अपनी प्रतिष्ठा का मुद्दा बनाकर इसमें पूरी ताकत झोंक दी थी। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा, नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली सहित कई वरिष्ठ नेताओं ने संयुक्त रूप से प्रचार अभियान में हिस्सा लिया। उन्होंने भाया के पक्ष में रैलियां और जनसंवाद कार्यक्रम आयोजित किए, जो उनकी जीत में एक मील का पत्थर साबित हुए।
संयुक्त प्रचार अभियान का प्रभाव
दिग्गज नेताओं का लगातार रोड शो करना और संयुक्त सभाएं आयोजित करना मतदाताओं तक एक मजबूत संदेश पहुंचाने में सफल रहा। इस एकजुटता ने न केवल पार्टी कार्यकर्ताओं में नई ऊर्जा का संचार किया, बल्कि मतदाताओं को भी यह भरोसा दिलाया कि पार्टी पूरी ताकत से उनके साथ खड़ी है। यह सामूहिक प्रयास ही कांग्रेस की जीत का एक प्रमुख कारण बना।
अशोक चांदना ने सजाया जीत का रास्ता
कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में प्रमोद जैन भाया का नाम तय होने के बाद, बारां-अंता चुनाव प्रभारी अशोक चांदना ने उनकी जीत का माहौल बनाना शुरू कर दिया था। चुनाव प्रभारी बनने के बाद से अशोक चांदना लगातार विधानसभा क्षेत्र का दौरा कर रहे थे।
उन्होंने स्थानीय पदाधिकारियों, कार्यकर्ताओं और आम जनता से सीधा संवाद स्थापित किया। बूथ स्तर की तैयारियों की समीक्षा करते हुए उन्होंने संगठन को एकजुट करने पर विशेष जोर दिया। चांदना ने अंता की जनता के बीच सभाओं, चौपालों और जनसंपर्क कार्यक्रमों के जरिए प्रमोद जैन भाया के समर्थन में मजबूत माहौल तैयार किया, जिसने उनकी जीत में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।