अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस: माउंट आबू के आर्ष गुरुकुल महाविद्यालय में ब्रह्मचारी छात्र करते हैं योगासनों के साथ सतत साधना

मल्लखम्भ पर छात्रों ने जमीन पर सामान्य रूप से होने वाली उठक-बैठक, कैची लगाकर सलामी, एकपाद अंगुष्ठासन, बजरंगी आसन, चकरासन, मण्डूक आसन, एकपाद स्कन्द आसन, वृक्षासन, अकर्ण धनुरासन, स्तूप, कमल स्तूप और त्रिभुज स्तूप का अभ्यास किया।

माउंट आबू के आर्ष गुरुकुल में अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस पर विशेष योगासन प्रदर्शन

माउंट आबू, 21 जून: शुक्रवार को अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के अवसर पर, देशभर में लोगों ने अपने-अपने गांव और शहरों में योगाभ्यास किया। अधिकांश लोग तय प्रोटोकॉल के अनुसार योगासन कर, एक वर्ष तक नियमित योग करने की शपथ ली, लेकिन कुछ ही समय बाद पुराने ढर्रे पर लौट आएंगे।

लेकिन यह तो सामान्य जीवन की बात है। माउंट आबू के आर्ष गुरुकुल में, ब्रह्म मुहूर्त में सभी ब्रह्मचारी छात्र पूरे वर्षभर जटिल योगासनों का नियमित अभ्यास करते हैं। यह योगासनों को देखकर कोई भी अचंभित रह सकता है। इन छात्रों को विद्यालय में प्रवेश के बाद से ही दैनिक दिनचर्या में इन जटिलतम योगासनों का अभ्यास कराया जाता है।

राजस्थान के कश्मीर माने जाने वाले प्रदेश के एकमात्र हिल स्टेशन माउंट आबू के घने जंगलों में स्थित आर्ष गुरुकुल में, छात्र 1778 मीटर की ऊंचाई पर, सूर्योदय से पूर्व उठकर योगाभ्यास करते हैं। यह अभ्यास समतल जमीन पर भी कठिन होता है, लेकिन ये ब्रह्मचारी छात्र इसे कठिन परिस्थितियों में भी नियमित रूप से करते हैं।

विश्व योग दिवस पर विशेष प्रदर्शन

इस बार विश्व योग दिवस के अवसर पर, आर्ष गुरुकुल के छात्रों ने विशेष योगासन प्रदर्शन किया। छात्रों ने YOGA स्तूप, शीर्षासन, चक्रस्तूप, नटराजन आसन, हैलीकॉप्टर आसन, ऊँट चाल, मयूर चाल, चक्रासन, धनुर्धर आसन, कपोत आसन, ओमकार आसन, और बका आसन जैसे कठिन योगासन समतल जमीन पर किए।

मल्लखम्भ पर अद्वितीय प्रदर्शन

मल्लखम्भ पर छात्रों ने जमीन पर सामान्य रूप से होने वाली उठक-बैठक, कैची लगाकर सलामी, एकपाद अंगुष्ठासन, बजरंगी आसन, चकरासन, मण्डूक आसन, एकपाद स्कन्द आसन, वृक्षासन, अकर्ण धनुरासन, स्तूप, कमल स्तूप और त्रिभुज स्तूप का अभ्यास किया।

प्रशिक्षण और सावधानियाँ

इन योगासनों का अभ्यास किसी प्रशिक्षित योगाचार्य की देखरेख में ही करना चाहिए। अधिक आयु वर्ग के लोग और गम्भीर बीमारियों से ग्रस्त व्यक्ति इन्हें न करें।

स्वामी ओमानन्द सरस्वती ने बताया कि आर्ष गुरुकुल महाविद्यालय में योगासन के साथ-साथ विभिन्न विषयों में आधुनिक शिक्षा प्रदान की जाती है। प्रवेश के बाद छोटे बच्चों को दक्ष योग प्रशिक्षकों द्वारा नियमित अभ्यास करवाया जाता है।

निष्कर्ष

योगासन का अभ्यास बचपन से ही शुरू करने पर बच्चों की रीढ़ की हड्डी लचीली होती है, जिससे वे जटिलतम योगासन भी कुछ वर्षों के अभ्यास के बाद आसानी से कर पाते हैं। यह प्रेरणादायक है कि जिन योगासनों को देखकर ही हम हिम्मत नहीं जुटा पाते, उन्हें यह बाल ब्रह्मचारी छात्र सहजता से करते हैं।

माउंट आबू के आर्ष गुरुकुल का यह प्रयास निश्चित ही प्रेरणादायक है और योग के महत्व को दर्शाता है।

- माउंट आबू से किशन वासवानी की रिपोर्ट