सीआई विष्णुदत्त सुसाइड केस : कांग्रेस विधायक कृष्णा पूनिया की बढ़ी मुश्किलें, CBI ने थमा दिया वारंट
राजस्थान के चर्चित विष्णुदत्त बिश्नोई आत्महत्या प्रकरण में सादुलपुर -चूरू से कांग्रेस विधायक और राजस्थान स्पोर्ट्स काउंसिल की चेयरपर्सन कृष्णा पूनिया की मुश्किलें बढ़ गयी हैं। जानी मानी ओलिम्पियन खिलाडी और कांग्रेस की विधायक श्रीमती पूनिया के खिलाफ सीबीआई कोर्ट ने जमानती वारंट जारी किया है।
राजस्थान के चर्चित विष्णुदत्त बिश्नोई आत्महत्या प्रकरण में सादुलपुर -चूरू से कांग्रेस विधायक और राजस्थान स्पोर्ट्स काउंसिल की चेयरपर्सन कृष्णा पूनिया की मुश्किलें बढ़ गयी हैं
जानी मानी ओलिम्पियन खिलाडी और कांग्रेस की विधायक श्रीमती पूनिया के खिलाफ CBI कोर्ट ने जमानती वारंट जारी किया है।
विधायक पूनिया पर भारतीय दंड संहिता की धारा 306 के तहत राजगढ़ (चूरू) तत्कालीन थाना प्रभारी विष्णुदत्त बिश्नोई को आत्महत्या के लिए उकसाने का आरोप है। आरोप साबित होने की सूरत में दस साल की सजा का प्रावधान है।
इससे पहले CBI ने मामले में फ़ाइनल रिपोर्ट लगाते हुए श्रीमती पूनिया को बड़ी राहत दी थी ,लेकिन CBI ने इस मामले में पुनः संज्ञान का निर्देश देते हुए श्रीमती पूनिया को अगली 4 मार्च को अदालत में पेश होने का आदेश दिया है।
कृष्णा पूनिया पर है गंभीर आरोप
गौरतलब है कि 23 मई 2020 को बिश्नोई ने दो सुसाइड लेटर लिखकर आत्महत्या कर ली थी। सुसाइड के इसी मामले में विष्णुदत्त बिश्नोई के भाई संदीप बिश्नोई ने सादुलपुर एमएलए कृष्णा पूनिया पर आत्महत्या के लिए प्रेरित करने का आरोप लगाया था।
प्रकरण की राजस्थान में CID द्वारा जांच पर सवाल उठते देख राज्य सरकार ने आत्महत्या से जुड़े इस चर्चित मामले की जांच CBI को सौंप दी थी। CBI ने प्रकरण की जांच के बाद मामले में जोधपुर की CBI अदालत में FR रिपोर्ट पेश कर दी थी ,जिसे अदालत ने ख़ारिज कर कृष्णा पूनिया को जरिये जमानती वारंट अदालत में तलब किया है।
कृष्णा पूनिया विष्णुदत्त बिश्नोई को फोन करती थीं
CBI द्वारा पेश फाइनल रिपोर्ट में ये स्वीकार किया गया है कि कृष्णा पूनिया विष्णुदत्त बिश्नोई को फोन करती थीं, जिससे वह परेशान थे। लेकिन CBI ने माना है कि बिश्नोई को सुसाइड के लिए उकसाने के जांच में कोई सबूत नहीं मिले हैं।
सीबीआई अदालत के जज पवन कुमार ने सीबीआई रिपोर्ट में पूनिया द्वारा बिश्नोई को फोन करने और उनके इससे परेशान होने के तथ्य के मद्देनजर CBI को ख़ारिज कर श्रीमती पूनिया की मुश्किलें बढ़ा दी हैं।
अदालत के आदेश से हैरान - परेशान कृष्णा पूनिया का परिवार अब इस मामले में हाईकोर्ट में अपील की तैयारी में हैं। पूनिया परिवार की दलील है कि बिश्नोई के आत्महत्या प्रकरण से उनका कोई वास्ता नहीं और वह निर्दोष हैं।
बिश्नोई ने लिखे थे सुसाइड नोट
उल्लेखनीय है कि आत्महत्या से पहले विष्णुदत्त बिश्नोई ने एसपी-चूरू और परिवार के नाम दो सुसाइड नोट लिखे थे। चूरू की तत्कालीन एसपी तेजस्विनी गौतम के नाम लिखे सुसाइड नॉट में बिश्नोई ने लिखा था...
- "आदरणीया मैडम, माफ करना, प्लीज, मेरे चारों तरफ इतना प्रेशर बना दिया गया कि मैं तनाव नहीं झेल पाया। मैंने अंतिम सांस तक राजस्थान पुलिस को मेरा सर्वश्रेष्ठ देने का प्रयास किया।
निवेदन है कि किसी को परेशान नहीं किया जाए। मैं बुजदिल नहीं था। बस तनाव नहीं झेल पाया। मेरा गुनहगार मैं स्वयं हूं"
इसी तरह अपने माँ और पापा के नाम लिखे नॉट में बिश्नोई ने लिखा था - मैं आपका गुनहगार हूँ। इस उम्र में दुःख देकर जा रहा हूँ। उमेश ,मंकू और लक्की मेरे पास कोई शब्द नहीं है। आपको बीच मझदार में छोड़कर जा रहा हूँ ,पता है ये कायरों का काम है।
बहुत कोशिश की खुद को सँभालने की पर शायद गुरु महाराज ने इतनी सांस दी थी। उमेश दोनों बच्चों के लिए मेरा सपना पूरा करना। पूरे परिवार को संभाल देना प्लीज। मैं खुद गुनहगार हूँ आप सबका। "
बेटे ने भी कर लिया सुसाइड
तेजतर्रार अफसर रहे विष्णुदत्त के सुसाइड से परिवार को इतना सदमा लगा कि बिश्नोई की आत्महत्या के 15 महीने बाद बारहवीं में पढ़ने वाले उनके नाबालिग बेटे ने भी घर में ही फांसी लगा ली थी।
पुलिस महकमे में सामाजिक नवाचारों को लेकर विष्णुदत्त बिश्नोई सोशल मीडिया पर इतने लोकप्रिय थे कि उन्हें फॉलो करने वालों की संख्या हजारों में थी ।
सोशल मीडिया पर उनके प्रति दीवानगी का ही असर था कि लोगों ने "जस्टिस फॉर विष्णुदत्त बिश्नोई" नाम से सोशल मीडिया पर कैम्पेन चलाकर सरकार को जांच CBI के हवाले करने पर मजबूर कर दिया था।
अपनी छवि को लेकर चिंतित रहे बिश्नोई मूलतः श्रीगंगानगर जिले के लूणेवाला - रायसिंहनगर के रहने वाले थे।
एडिशनल एसपी रहे चाचा के पदचिन्हों पर चलते हुए ही विष्णुदत्त बिश्नोई वर्ष 1997 में पुलिस विभाग में सब इंस्पेक्टर भर्ती हुए और जहाँ भी पोस्टिंग रही वहां नवाचार के लिए पहचाने गए।
बिश्नोई की आत्महत्या के तुरंत बाद वायरल हुए उनके व्हाट्सएप मैसेज से भी इस आरोप को बल मिला कि वह राजनैतिक दबाव से बुरी तरह परेशान थे।
उनके नंबर +919413361### से भेजे गए व्हाट्सएप संदेश में उन्होंने सन्देश किया था -"सर हमें भी गन्दी राजनीती के भंवर में फंसाने की कोशिश हो रही है राजगढ़ में।
इस सन्देश में उन्होंने अफसर के कमजोर होने और राजनीती के हावी होने के संकेत दिए थे। हालाँकि ,सीबीआई की एफआईआर रिपोर्ट में सुसाइड के लिए उकसाने या बाध्य करने जैसे साक्ष्य नहीं मिलाने का हवाला दिया है। जिसे अदालत ने ख़ारिज कर पूनिया की मुश्किल बढ़ा दी है।