जयपुर में गांधी दर्शन सम्मेलन : सीएम अशोक गहलोत बोले, डरता था कि कहीं कोई भाषण देने के लिए मेरा नाम न पुकार ले

गहलोत ने अपने बचपन को याद करते हुए अपनी निजी जीवन यात्रा को साझा किया, जब वह बोलने में झिझकते थे और अक्सर शिविरों के पीछे बैठते थे। उन्होंने खुद को अभिव्यक्त करने से डरने की बात कबूल की।

Ashok Gehlot

जयपुर | गांधीवादी प्रदेश की पूंजी हैं। ये देश की पूंजी बन सकते हैं। तरुण शांति के कैंप में रामजी भाई देसाई ने गांधी कथा करवाई थी। कैंपों में मैं सबसे पीछे बैठने वालों में था।

गांधीवादी कुमार प्रशांत आगे बैठने वालों में थे। मुझे बोलना नहीं आता था, मैं डरता था कि कहीं बोलने के लिए नाम नहीं पुकार लें। यह कहना है प्रदेश के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का।

उन्होंने कहा कि मुझे इतना संकोच होता था और मैं सबसे पीछे बैठता था। कुमार प्रशांत इस क्षेत्र में आगे बढ़े। मैं आप सब की दुआओं से घूमता-घूमता यहां तक आ गया।

मुख्यमंत्री जयपुर में गांधी दर्शन सम्मेलन के दौरान बोल रहे थे। उन्होंने सरकार की आलोचना, गांधीवादी सिद्धांतों के मूल्य, शांति और अहिंसा की आवश्यकता और भारत के स्वतंत्रता आंदोलन में भाजपा के योगदान पर अपने विचार व्यक्त किए।

गहलोत ने रचनात्मक आलोचना के महत्व, समाज को आकार देने में गांधीवादियों की भूमिका और केंद्र सरकार में शांति और अहिंसा विभाग की आवश्यकता पर जोर दिया।

गहलोत ने अपने बचपन को याद करते हुए अपनी निजी जीवन यात्रा को साझा किया, जब वह बोलने में झिझकते थे और अक्सर शिविरों के पीछे बैठते थे। उन्होंने खुद को अभिव्यक्त करने से डरने की बात कबूल की।

उन्होंने केन्द्र सरकार पर भी जमकर आरोप लगाए और केजरीवाल के अभ्युदय तथा अन्ना आंदोलन के लिए बीजेपी को जिम्मेदार बताया। उन्होंने कहा कि आरएसएस ने इनके माध्यम से यूपीए सरकार को बदनाम किया।

संविधान और लोकतंत्र
गहलोत ने लोकतंत्र की स्थिति पर चिंता व्यक्त करते हुए संविधान की अवहेलना करने और आलोचना को दबाने का प्रयास करने के लिए केंद्र की आलोचना की।

उन्होंने जोर देकर कहा कि लोकतंत्र में विपक्ष एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, नियंत्रण और संतुलन को सुविधाजनक बनाता है और सरकार की जवाबदेही को बढ़ावा देता है। गहलोत ने सरकार से विपक्ष की आवाज सुनने और सार्थक संवाद में शामिल होने का आग्रह किया।