लोकसभा चुनाव: पायलट के बयान पर बोले गहलोत-ऐसी बेवकूफी न करें कि बुलाया नहीं

अशोक गहलोत ने पायलट के बयान को बेवकूफी से जोड़ते हुए हमला बोला है।

अशोक गहलोत ने पायलट के बयान को बेवकूफी से जोड़ते हुए हमला बोला
जयपुर | लोकसभा चुनावों के दौरान पूर्व सीएम(CM) अशोक गहलोत के बेटे वैभव गहलोत की सीट (जालोर-सिराही) पर प्रचार करने नहीं जाने के मुद्दे पर अब कशमकश शुरू हो गई है। सचिन पायलट ने कहा था कि उन्हें जालोर चुनाव प्रचार के लिए बुलाया नहीं। अशोक गहलोत ने पायलट के बयान को बेवकूफी से जोड़ते हुए हमला बोला है।


वैभव गहलोत का प्रचार करने के लिए नहीं बुलाने पर सचिन पायलट के बयान पर अमेठी (UP) में गहलोत ने कहा- यह अनावश्यक मुद्दा बनता है या कई बार बनाया जाता है। चुनाव के वक्त किसी को ऐसे कमेंट(Comment) नहीं करने चाहिए। ऐसी बेवकूफी भी नहीं करनी चाहिए कि मुझे बुलाया नहीं गया या मैं गया नहीं। इसका ऐसा कोई मतलब नहीं होता है। 

गहलोत ने कहा- प्रियंका गांधी वहां (जालोर-सिरोही) पर आई थीं। सचिन पायलट साथ आते तो कोई दिक्कत नहीं थी। सब उनका स्वागत(Welcome) करते। चुनाव में अब बहुत कम समय(Time) मिलता है। मुझे जयपुर ग्रामीण से कांग्रेस के युवा उम्मीदवार अनिल चोपड़ा ने प्रचार के लिए बुलाया था। मेरे ओएसडी(OSD) से उनकी बात हुई थी। मेरा प्रोग्राम नहीं बन पाया था। अब मैं यह बयान दूं कि मैं अनिल चोपड़ा के यहां जाना चाहता था, मुझे इनवाइट(Invite) नहीं किया।
यह अच्छी बात नहीं। इससे जनता(Public) में गलत मैसेज जाता है कि गहलोत क्यों नहीं आए या क्यों नहीं बुलाए गए। अनावश्यक बयान से उम्मीदवार को नुकसान होता है।चुनाव में कभी इस तरह नहीं बोलना चाहिए। चुनाव में प्रचार के लिए कोई बुलाता है, कोई नहीं बुलाता है। सब अपने समीकरण देखते हैं। हर उम्मीदवार अपने हिसाब से प्रचार के लिए नेताओं को बुलाता है। कांग्रेस के कंट्रोल रूम में रिक्वेस्ट(Request) करता है। यह मुद्दा नहीं होना चाहिए।

मेरे जाने से किसी के जातिगत समीकरण बिगड़ जाएं, नुकसान हो जाए तो क्या फायदा
गहलोत ने कहा-मैं चुनावों के दौरान इस तरह के बयानों से बचता हूँ। मैंने कोई बयान नहीं दिए कि मुझे क्यों नहीं बुलाया | मान लीजिए मैं किसी को सूट नहीं करता तो नहीं बुलाएगा। मैं जाऊंगा तो कास्ट इक्वेशन(cast equation) बिगड़ जाएंगे। तो वो उम्मीदवार नहीं बुलाएगा। हमारे यहां जातिगत राजनीति भी चलती है। जहां मैं जाऊं और नुकसान हो तो वहां जाने का क्या फायदा | जिस उम्मीदवार(Candidate) को लगे कि उनके आने से मेरी कास्ट इक्वेशन(cast equation) बिगड़ सकती है तो वह नहीं बुलाएगा। मैं उस बात को माइंड क्यों करूं, मैं तो चाहूँगा कि वह जीते।

कांग्रेस के हाथ का चुनाव चिन्ह देखता हूँ
गहलोत ने कहा- चाहे कोई आदमी किसी का आदमी हो, मैं नहीं देखता हूँ। मैं कांग्रेस के हाथ का चुनाव चिन्ह देखता हूँ। चाहे किसी का आदमी हो वह जीतना चाहिए, इसलिए मैं बयान देने से बचता हूँ।

पूरे राजस्थान में चुनाव  प्रचार करता हूँ
गहलोत ने कहा- मैं राजस्थान की 25 सीट में से 22 सीटों पर प्रचार के लिए गया हूँ। हमेशा प्रचार में जुटा रहा हूँ। चुनाव लड़ने वाले नेता को अपने क्षेत्र में रहना पड़ता है। उसमें कोई बुराई नहीं है। पहले खुद तो जीतें। मैं एक मात्र नेता हूँ, जो अपने क्षेत्र में एक दिन जाता हूँ, अंतिम दिन जाता हूँ। लोकसभा हो या विधानसभा बाकी वक्त पूरे राजस्थान में कैंपेन(campaign) करता हूँ। दिसंबर में भी ऐसा ही किया था। अभी लोकसभा चुनाव में भी अधिकांश बाहर ही रहा हूँ।

कभी नहीं मिला रविंद्र भाटी से 
बाड़मेर सीट पर रविंद्र सिंह भाटी की मदद करने के आरोपों पर कहा- मैं तो बाड़मेर सीट पर प्रचार करने के लिए तीन बार गया हूँ। बाड़मेर ऐसी सीट है, जहां तीन बार कैंपेन(campaign) किया है। जैसलमेर, बाड़मेर और सिवाना में सभा की है। वहां के कांग्रेस उम्मीदवार उम्मेदाराम बेनीवाल मुझे बार-बार प्रचार के लिए बुला रहे हैं। उस सीट के लिए ऐसे आरोप समझ से परे हैं। जो तीसरे उम्मीदवार खड़े हुए हैं, उनसे जिंदगी में कभी नहीं मिला, ना मैं जानता हूँ।


उन्होंने कहा-रविंद्र भाटी को खाली सोशल मीडिया में देखता रहता हूँ। कभी मुलाकात भी नहीं हुई। 10 साल पहले यूनिवर्सिटी इलेक्शन लड़े थे तो पता नहीं मुलाकात हो गई। मैं जानता नहीं हूँ, पहचानता नहीं हूँ। राजनीति में ऐसे लोग भी हैं, जिन्हें आरोप लगाना भी नहीं आता।

बाड़मेर हमारी नंबर वन सीट है-गहलोत 

गहलोत ने कहा- मैं जिस व्यक्ति को जानता ही नहीं हूँ। तीन बार मुझे कांग्रेस का उम्मीदवार बुला रहा है।  ऐसी बेवकूफी करने वालों की कमी थोड़ी है, जिन्हें आरोप लगाना भी नहीं आता। आरोप लगाने से पहले सच्चाई तो समझ लेनी चाहिए। हमें तो नंबर वन सीट बाड़मेर लग रही है। राजस्थान में नंबर वन सीट मुझे उम्मेदाराम की सीट लगती है।

जालोर टफ(tuff) सीट है
वैभव गहलोत के चुनाव पर कहा- जालोर सीट पर 20 साल से बीजेपी जीत रही है। गुजरात से टच होती टफ सीट है। वैभव गहलोत ने चुनाव अच्छा लड़ा है। जिस तरह इलेक्शन मैनेज(election manage) हुआ। इससे अच्छा हो नहीं सकता। मैं भी प्रचार करने गया। अभी पार्टी संकट में है। सत्ता में नहीं है तो ऐसे वक्त में हमारा धर्म बनता है कि आगे आना चाहिए। इसलिए उसने चुनाव लड़ना तय किया। जोधपुर से लड़ना नहीं था। पहले से तय किया हुआ था कि जालोर से लड़ना है।

2019 में मैं जानता था जोधपुर से वैभव नहीं जीतेगा
गहलोत ने कहा- 2019 में भी वैभव गहलोत को यहीं (जालोर) से लड़ना था। मैं उनको जोधपुर ले गया, क्योंकि जोधपुर में स्थिति ऐसी बन गई थी। 2014 के लोकसभा चुनाव में हम जोधपुर की सीट करीब 4 लाख से हारे थे। 2019 में मैं मुख्यमंत्री(CM) था। हमें मालूम था कि मोदी का माहौल बना हुआ है। सीटें आनी मुश्किल हैं। मेरा और कार्यकर्ताओं का कैलकुलेशन(Calculation) यह था कि यहां कोई उम्मीदवार आएगा तो चुनाव बन ही नहीं पाएगा। इससे बाकी सीटों पर असर पड़ेगा कि मुख्यमंत्री(CM) का खुद का जिला है, वहां भी ऐसी स्थिति हो रही है।

कार्यकर्ताओं ने सुझाव दिया कि वैभव गहलोत लड़ते हैं तो कम से कम टक्कर में आ जाएंगे। इसलिए मैंने वहां अलाऊ(Allow) किया। यह बात अहमद पटेल जानते थे। वो आज दुनिया में नहीं हैं। यह जानते हुए कि जीतने की कोई संभावना नहीं है, फिर भी हमने वैभव को खड़ा किया। इस बार भी जालोर-सिरोही के कार्यकर्ताओं की डिमांड(Demand) थी। वैभव के लिए कार्यकर्ता जयपुर तक आ गए थे। इसलिए वैभव को इस बार जालोर से लड़वाया।