राजनीति: तो क्या गहलोत पर भी गिरेगी अनुशासन की गाज!
अशोक गहलोत के बचाव में कांग्रेस की एक बड़ी लॉबी जयपुर से दिल्ली तक सक्रिय है। जिसमे साठ पार के बड़े नेता भी हैं तो राहुल गाँधी की पीढ़ी के वह नेता भी ,जिन्हे सचिन पायलट का पार्टी में उभार चिंतित किये हुए है। गहलोत समर्थक लॉबी सफल रही तो पायलट को नयी राह ढूंढनी होगी। असफल रही तो गहलोत की सियासत से ऐसी विदाई होगी कि...
Jaipur | राजस्थान कांग्रेस में बगावत का जिन्न एक बार फिर बोतल से बाहर आ गया है। प्रदेश में पार्टी का भविष्य कहे जाने वाले पूर्व उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट द्वारा हाल ही न्यूज एजेंसी "पीटीआई" से बातचीत में 25 सितंबर को समानांतर सीएलपी बैठक बुलाने और दबाव में विधायकों के इस्तीफे दिलाने के आरोप में कोई कार्यवाही नहीं होने पर सवाल उठाये थे।
अब उसे अशोक गहलोत खेमे के प्रमुख स्तम्भ महेश जोशी के मुख्य सचेतक पद से इस्तीफे के बाद इस मुद्दे को नए सिरे से हवा मिल गयी है।
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गोविन्द सिंह डोटासरा ने जोशी के इस्तीफे को पार्टी के "एक व्यक्ति एक पद" सिद्धांत की पालना में दिया गया इस्तीफ़ा बताया है ,वहीँ राजस्थान कांग्रेस के प्रभारी और एआईसीसी के महासचिव सुखजिंदर सिंह रंधावा ने 25 सितंबर की घटना में कार्यवाही बताया है।
उछाल ले रही है कांग्रेसी पिच ?
इससे पहले कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी के करीबी माने जाने वाले आचार्य प्रमोद कृष्णनन ने 17 फरवरी को ट्वीट कर कांग्रेस में बड़े फैसलों की तरर्फ इशारा करते हुए लिखा था कि "राजस्थान की पिच बेहद “उछाल”ले रही है,एक-एक कर के सारे “विकेट”गिरेंगे।
महेश जोशी के इस इस्तीफे पर सीधे तौर पर कोई भी नेता बोलने से बच रहा है ,लेकिन भीतर ही भीतर इसको लेकर सवाल भी खड़े हो रहे हैं। सवाल यह कि जोशी का इस्तीफ़ा अगर हाईकमान के खिलाफ बगावत का नतीजा है तो इस्तीफ़ा मुख्य सचेतक के पद से ही क्यों ,मंत्री पद से क्यों नहीं?
रंधावा की भाषा में यह पार्टी में 25 सितंबर को अप्रिय घटना को अंजाम देने का नतीजा है तो इसके सूत्रधार नगरीय विकास मंत्री शांति धारीवाल और आरटीडीसी चैयरमेन धर्मेंद्र राठौड़ पद पर कैसे हैं?
विधायकों से कथित दबाव में इस्तीफे लेकर विधानसभा अध्यक्ष तक ले जाने वाले धारीवाल ,जोशी के अलावा राजस्व मंत्री राम लाल जाट ,जल संसाधन मंत्री महेंद्र जीत सिंह मालवीय ,आपदा प्रबंधन मंत्री गोविन्द राम मेघवाल ,गृह राज्य मंत्री राजेंद्र यादव के साथ ही खाद्य मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास के इस्तीफे क्यों नहीं ?
दो पद में छिपी दोहरी नीति !
यदि पार्टी के प्रदेशाध्यक्ष गोविन्द सिंह डोटासरा की दलील सही है तो पार्टी के एक व्यक्ति एक पद सिद्धांत के अनुरूप मंत्री के साथ साथ पार्टी में बड़े पदों पर काबिज शांति धारीवाल , राम लाल जाट ,महेंद्रजीत सिंह मालवीय ,गोविन्द राम मेघवाल ,राजेंद्र यादव और प्रताप सिंह खाचरियावास अभी दोनों पद पर कैसे हैं?
गौरतलब है कि धारीवाल मंत्री के अलावा हाऊसिंग बोर्ड के चेयरमेन हैं तो जाट ,मालवीय और मेघवाल मंत्री के साथ साथ पार्टी में उपाध्यक्ष के पद पर भी बने हुए हैं। जबकि खाचरियावास मंत्री के साथ साथ कांग्रेस के जयपुर शहर अध्यक्ष और राजेंद्र यादव जयपुर देहात के कांग्रेस के अध्यक्ष हैं।
साथ ही विधायक गजराज खटाना कांग्रेस के प्रदेश महासचिव के साथ साथ भवन व सार्वजानिक निर्माण कार्य समिति के अध्यक्ष ,प्रियंका के करीबी माने जाने वाले धीरज गुर्जर कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव के अलावा सीड्स कॉर्पोरेशन के अध्यक्ष, महिला नेत्री रेहाना रियाज महिला कांग्रेस की प्रदेश अध्यक्ष और राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष और विधायक हाकम अली पार्टी में प्रदेश महासचिव के अलावा वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष पद पर बने हुए हैं।
यह सब तब जब इसी एक व्यक्ति एक पद के बहाने रघु शर्मा को चिकित्सा और स्वास्थ्य जैसे मंत्रालय और हरीश चौधरी को राजस्व मंत्रालय से महज इसीलिए हाथ धोना पड़ा कि वह गुजरात और पंजाब चुनाव में पार्टी के प्रभारी बना दिए गए थे।
विरोधी बयानों में छिपा असली सच
कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष डोटासरा और पार्टी के प्रभारी महासचिव रंधावा के परस्पर विरोधी बयानों के बीच अहम बात यह कि कांग्रेस की राष्ट्रीय अनुशासन समिति के अध्यक्ष तारिक अनवर ने भी 25 सितंबर प्रकरण में किसी तरह की अनुशासनत्मक कार्यवाही से फिलहाल इंकार कर दिया है।
हालाँकि महेश जोशी ने उनके खिलाफ कार्रवाई की आशंका के बीच इस बात पर ख़ुशी जता दी है कि रंधावा अगर मुख्य सचेतक पद छोड़ने के फैसले को 25 सितंबर मामले में कार्रवाई मान रहे हैं। लेकिन उनकी मांग है कि सजा उन्हें भी मिले जिन्होंने कांग्रेस को कमजोर किया।
जोशी का इशारा मानेसर में पायलट खेमे के केम्प करने और सीएम अशोक गहलोत के खिलाफ मोर्चा बांधने की तरफ है।
आचार्य प्रमोद कृष्ण के ट्वीट ,महेश जोशी के इस्तीफे ,डोटासरा और रंधावा के बयान के बीच इस्तीफे को लेकर एक तथ्य ऐसा भी उभर कर आ रहा है ,जो मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ही नहीं ,उनके समर्थकों की भी नींद उड़ा सकता है।
फिर बैठक की तैयारी ?
ये तथ्य है मुख्य सचेतक के पद से महेश जोशी के इस्तीफे के पीछे की असली वजह। और ,यह है जल्द ही कांग्रेस विधायक दल की नयी बैठक की सम्भावना।
मुख्य सचेतक के पद का इस्तेमाल कर विधायकों को एक जगह बुलाने और उसके बाद उनके इस्तीफे की इबारत लिखने के चलते महेश जोशी पार्टी नेतृत्व के सामने बेनकाब हो चुके है ,इसलिए विधायक दल की अगली बैठक से पहले मुख्य सचेतक बदला जाना जरुरी था, इसीलिए जोशी इस्तीफे की पटकथा लिखी गयी है।
जोशी के मुख्य सचेतक पद से इस्तीफे के पीछे सूत्रों की यही दलील है। और ,यह दलील सच है तो तय मानिये कांग्रेस में जल्द ही बहुत कुछ होने जा रहा है।
सूत्रों के अनुसार इस कार्ययोजना पर काम कांग्रेस के रायपुर अधिवेशन के बाद ही होगा। जिसमे विधायकों के इस्तीफे करवाने ,समानांतर बैठक कराने वाले नेताओं पर बड़ी कार्रवाई भी संभव है तो प्रदेश में सरकार को नया नेतृत्व भी सम्भव है।
इन सभी संभावनाओं में छिपी आशंकाओं से अशोक गहलोत को बचाने के लिए कांग्रेस की एक बड़ी लॉबी जयपुर से दिल्ली तक सक्रिय है।
जिसमे साठ पार के बड़े नेता भी हैं तो राहुल गाँधी की पीढ़ी के वह नेता भी,जिन्हे सचिन पायलट का पार्टी में उभार चिंतित किये हुए है। यह लॉबी सफल रही तो पायलट को नयी राह ढूंढनी होगी। असफल रही तो गहलोत की सियासत से ऐसी विदाई होगी कि लोग सीताराम केसरी ,नरसिम्हा राव के हश्र को भी भूल जाएंगे।
क्या अब तक अनुशासन के मुद्दे पर मुंह चुराती कांग्रेस अशोक गहलोत की गद्दी पर गाज गिराने जा रही है ? यही सवाल कांग्रेस के एक खेमे में राहत का भाव पैदा कर रहा है तो दूसरे खेमे को अंदर तक डराए भी जा रहा है।