ब्रह्मोस का नया घातक अवतार: भारत ब्रह्मोस का नया वर्जन तैयार कर रहा: रेंज 800 किमी तक; दिल्ली से इस्लामाबाद को साधा जा सकेगा निशाना

भारत [India] अपनी सुपरसोनिक ब्रह्मोस मिसाइल [BrahMos missile] की रेंज को 450 से 800 किलोमीटर [kilometers] तक बढ़ा रहा है। नई दिल्ली [New Delhi] से इस्लामाबाद [Islamabad] तक मार करने में सक्षम यह मिसाइल [missile] पाकिस्तान [Pakistan] के लिए बड़ी चुनौती बनेगी।

नई दिल्ली | भारत अपनी रक्षा क्षमताओं को एक नए स्तर पर ले जाने के लिए ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल के उन्नत और अधिक घातक संस्करणों पर तेजी से काम कर रहा है। रक्षा सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार, ब्रह्मोस मिसाइल की मारक क्षमता, रफ्तार और रेंज में क्रांतिकारी सुधार किए जा रहे हैं। वर्तमान में इस मिसाइल की मारक क्षमता लगभग 300 किलोमीटर तक सीमित है, लेकिन आगामी नए संस्करणों में इसे 450 किलोमीटर से लेकर 800 किलोमीटर तक विस्तारित करने की योजना है। यह विकास भारत की रणनीतिक पहुंच को काफी बढ़ा देगा, जिससे भारत अपनी सीमाओं के भीतर सुरक्षित रहते हुए भी दुश्मन के महत्वपूर्ण ठिकानों को ध्वस्त कर सकेगा।

इस नई रेंज की मिसाइल के आने के बाद भारत की राजधानी दिल्ली से ही पाकिस्तान की राजधानी इस्लामाबाद को सीधे निशाने पर लिया जा सकेगा। गौरतलब है कि दिल्ली और इस्लामाबाद के बीच की हवाई दूरी लगभग 700 किलोमीटर है। 800 किलोमीटर की रेंज होने पर भारतीय सेना को सीमा के अत्यंत निकट जाने की आवश्यकता नहीं होगी, जिससे सैन्य संचालन में जोखिम कम होगा और मारक सटीकता बढ़ेगी। ब्रह्मोस को दुनिया की सबसे तेज और अचूक मिसाइलों में गिनी जाती है, जो ध्वनि की गति से तीन गुना (मैक-3) तेज रफ्तार से अपने लक्ष्य पर प्रहार करती है।

वायुसेना के लिए विशेष हल्का संस्करण

ब्रह्मोस मिसाइल को और अधिक बहुमुखी बनाने के लिए भारतीय वायुसेना के लिए इसका एक हल्का संस्करण भी विकसित किया जा रहा है। वर्तमान में जमीन और समुद्र से लॉन्च की जाने वाली ब्रह्मोस का वजन लगभग 3 टन होता है। वायुसेना की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए, इसका वजन घटाकर लगभग ढाई टन किया जा रहा है ताकि इसे सुखोई एमकेआई-30 जैसे लड़ाकू विमानों के नीचे (अंडरबेली) आसानी से तैनात किया जा सके। यह हल्का संस्करण अब प्रोजेक्ट डिजाइन बोर्ड से मंजूरी मिलने के बाद विकास के अगले चरण में पहुंच गया है।

मिसाइल की रेंज बढ़ाने का यह कार्य वर्ष 2016 में भारत के मिसाइल टेक्नोलॉजी कंट्रोल रिजीम (MTCR) का सदस्य बनने के बाद संभव हुआ है। इस अंतरराष्ट्रीय संगठन के नियमों के अनुसार, गैर-सदस्य देशों को 300 किलोमीटर से अधिक रेंज वाली मिसाइल तकनीक साझा नहीं की जा सकती थी। सदस्य बनने के बाद भारत ने अपनी मिसाइल तकनीक को वैश्विक मानकों के अनुरूप उन्नत करना शुरू किया। ऑपरेशन सिंदूर के दौरान ब्रह्मोस ने पाकिस्तान के छह एयरबेस को तबाह कर अपनी श्रेष्ठता सिद्ध की थी, जिसके बाद इसके तीन नए वर्जन (450, 600 और 800 किमी) पर काम और तेज कर दिया गया है।

भविष्य की योजनाएं और परीक्षण का समय

अगले तीन वर्षों में इस नए संस्करण के पूरी तरह विकसित होने की संभावना है। रक्षा विशेषज्ञों के अनुसार, यदि सब कुछ पूर्व निर्धारित योजना के अनुसार रहा, तो 800 किलोमीटर रेंज वाली ब्रह्मोस का पहला परीक्षण 2027 के अंत तक किया जा सकता है। वर्तमान में इसके ग्राउंड ट्रायल की तैयारियां जोर-शोर से चल रही हैं। यह मिसाइल 'दागो और भूल जाओ' के सिद्धांत पर काम करती है और इसकी तेज गति के कारण दुश्मन के रडार सिस्टम इसे समय रहते पकड़ने में असमर्थ रहते हैं।

ब्रह्मोस एयरोस्पेस के इस प्रयास से भारत न केवल अपनी रक्षा जरूरतों को पूरा करेगा, बल्कि मिसाइल निर्यात के क्षेत्र में भी एक प्रमुख खिलाड़ी बनकर उभरेगा। फिलीपींस जैसे देशों ने पहले ही ब्रह्मोस में गहरी रुचि दिखाई है और इसके उन्नत संस्करणों की मांग वैश्विक बाजार में और बढ़ सकती है। भारतीय रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) और रूसी सहयोग से बनी यह मिसाइल तकनीक भारत की आत्मनिर्भरता का प्रतीक बन गई है। यह मिसाइल न केवल पारंपरिक हथियारों को ले जाने में सक्षम है, बल्कि इसकी गतिज ऊर्जा ही लक्ष्य को भारी नुकसान पहुँचाने के लिए पर्याप्त होती है।

K-4 परमाणु मिसाइल का सफल परीक्षण

ब्रह्मोस के साथ-साथ भारत ने हाल ही में अपनी परमाणु शक्ति का भी प्रदर्शन किया है। 23 दिसंबर को बंगाल की खाड़ी में विशाखापट्टनम तट के पास परमाणु क्षमता से लैस K-4 बैलिस्टिक मिसाइल का सफल परीक्षण किया गया। इस मिसाइल को परमाणु संचालित पनडुब्बी आईएनएस अरिघात से लॉन्च किया गया था, जिसकी मारक क्षमता 3500 किलोमीटर है। K-4 मिसाइल का नाम महान वैज्ञानिक डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम के सम्मान में रखा गया है। इन परीक्षणों और ब्रह्मोस के नए संस्करणों के साथ, भारत अब जमीन, हवा और समुद्र तीनों मोर्चों पर अपनी रक्षात्मक और आक्रामक शक्ति को अभेद्य बनाने की दिशा में अग्रसर है।