इंडिगो संकट : जांच पैनल ने 22 दिन में सौंपी रिपोर्ट, सरकार ने रखा गोपनीय, रोस्टर में गड़बड़ी का दावा
इंडिगो में बड़े पैमाने पर फ्लाइट कैंसिलेशन की जांच करने वाले पैनल ने अपनी रिपोर्ट डीजीसीए को सौंप दी है। रिपोर्ट में क्रू की कमी नहीं बल्कि रोस्टर मैनेजमेंट में गड़बड़ी की बात कही गई है।
नई दिल्ली | देश की सबसे बड़ी एयरलाइन इंडिगो में हाल ही में हुए बड़े पैमाने पर फ्लाइट कैंसिलेशन की जांच पूरी हो गई है। नागरिक उड्डयन महानिदेशालय द्वारा गठित विशेष जांच पैनल ने अपनी विस्तृत रिपोर्ट शुक्रवार शाम को सौंप दी है। यह पैनल 5 दिसंबर को बनाया गया था जिसने मात्र 22 दिनों के भीतर अपनी जांच पूरी कर ली है। हालांकि सरकार ने इस रिपोर्ट की बारीकियों को अभी सार्वजनिक नहीं किया है और इसे गोपनीय रखा गया है। नागरिक उड्डयन मंत्रालय इस रिपोर्ट के आधार पर एयरलाइन के खिलाफ भविष्य की कार्रवाई तय करेगा।
पायलटों की संख्या में नहीं थी कोई कमी
एक अलग सिस्टमैटिक रिव्यू में यह चौंकाने वाला खुलासा हुआ है कि इंडिगो के पास पायलटों की कोई कमी नहीं थी। रिपोर्ट के मुताबिक नवंबर महीने में एयरलाइन के पास 307 एयरबस विमानों के बेड़े को संचालित करने के लिए 4,575 पायलट थे। यह संख्या वैश्विक मानकों के अनुसार जरूरी 3,684 पायलटों से 891 अधिक थी। इससे यह स्पष्ट होता है कि संकट का कारण स्टाफ की कमी नहीं बल्कि प्रबंधन की बड़ी चूक थी। डीजीसीए के न्यूनतम मानकों के अनुसार भी इंडिगो के पास पर्याप्त से कहीं अधिक मैनपावर मौजूद थी।
रोस्टर और शेड्यूलिंग में भारी गड़बड़ी
जांच में पाया गया कि एयरलाइन के रोस्टर मैनेजमेंट और शेड्यूलिंग सिस्टम में गंभीर खामियां थीं। डीजीसीए के रिव्यू के अनुसार इंडिगो के क्रू का उपयोग निर्धारित मानकों की तुलना में केवल 55 प्रतिशत ही हो रहा था। जहां एक पायलट महीने में 100 घंटे की उड़ान भर सकता है वहां प्रबंधन की लापरवाही के कारण उनका सही इस्तेमाल नहीं हो पाया। इसी वजह से दिसंबर की शुरुआत में महज 10 दिनों के भीतर 5,000 से ज्यादा उड़ानें रद्द करनी पड़ीं। इससे देश भर के प्रमुख हवाई अड्डों पर यात्रियों को भारी असुविधा का सामना करना पड़ा।
यात्रियों को राहत के लिए ट्रैवल वाउचर
फ्लाइट्स रद्द होने से हजारों यात्रियों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ा था और उन्हें हवाई अड्डों पर घंटों इंतजार करना पड़ा। अब इंडिगो ने प्रभावित यात्रियों को मुआवजे के तौर पर 10,000 रुपये के ट्रैवल वाउचर देना शुरू कर दिया है। ये वाउचर अगले 12 महीनों तक वैध रहेंगे और इनका उपयोग एयरलाइन की किसी भी उड़ान के लिए किया जा सकेगा। यात्रियों को हुए 1,500 करोड़ रुपये से अधिक के रिफंड के बाद यह एक सुधारात्मक कदम माना जा रहा है। एयरलाइन अपनी छवि सुधारने की कोशिश में जुटी है।
उच्च स्तरीय जांच पैनल की भूमिका
इस संकट की जांच के लिए गठित पैनल में डीजीसीए के डायरेक्टर जनरल संजय ब्रह्मणे, डिप्टी डायरेक्टर जनरल अमित गुप्ता, सीनियर फ्लाइट ऑपरेशंस इंस्पेक्टर कैप्टन कपिल मांगलिक और फ्लाइट ऑपरेशंस इंस्पेक्टर कैप्टन रामपाल शामिल थे। पैनल ने उन सभी परिस्थितियों का बारीकी से विश्लेषण किया जिनकी वजह से हवाई अड्डों पर अफरा-तफरी का माहौल बना था। रिपोर्ट की प्रतियां नागरिक उड्डयन मंत्री के राममोहन नायडू और सचिव समीर कुमार सिन्हा को भी भेजी गई हैं। सरकार अब यह सुनिश्चित करना चाहती है कि तकनीकी और प्रबंधन स्तर पर ऐसी गलतियां दोबारा न दोहराई जाएं।
भविष्य की तैयारी और नियम
नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने यह भी जांच की है कि क्या एयरलाइन की तैयारी नए नियमों को लेकर पर्याप्त थी। ऑपरेशन, ट्रेनिंग और छुट्टी की स्थिति को कवर करने के लिए हर प्लेन में पर्याप्त क्रू सेट होने चाहिए। इंडिगो ने इस पूरे संकट पर अपना पक्ष रखते हुए स्वीकार किया है कि असली दिक्कत पायलटों की शेड्यूलिंग और रोस्टरिंग में ही थी। मंत्रालय अब एयरलाइंस के लिए नए दिशा-निर्देश जारी करने पर विचार कर रहा है ताकि यात्रियों के हितों की रक्षा की जा सके और विमानन क्षेत्र में विश्वास बना रहे।