Highlights
- जस्टिस सूर्यकांत ने भारत के 53वें मुख्य न्यायाधीश के रूप में शपथ ली।
- राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने उन्हें पद की शपथ दिलाई।
- उन्होंने सीजेआई भूषण आर गवई का स्थान लिया।
- जस्टिस सूर्यकांत हरियाणा के रहने वाले हैं और कम उम्र में एडवोकेट जनरल बने थे।
नई दिल्ली: जस्टिस सूर्यकांत (Justice Suryakant) ने सोमवार को भारत के 53वें मुख्य न्यायाधीश (Chief Justice of India) के रूप में शपथ ली। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू (President Droupadi Murmu) ने नई दिल्ली (New Delhi) स्थित राष्ट्रपति भवन (Rashtrapati Bhavan) में उन्हें पद की शपथ दिलाई। उन्होंने सीजेआई भूषण आर गवई (CJI Bhushan R. Gavai) की जगह ली है।
सोमवार को आयोजित एक गरिमापूर्ण समारोह में, राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने जस्टिस सूर्यकांत को भारत के सर्वोच्च न्यायिक पद की शपथ दिलाई। इस शपथ ग्रहण के साथ ही वे देश के 53वें मुख्य न्यायाधीश बन गए हैं, जो भारतीय न्यायपालिका के इतिहास में एक महत्वपूर्ण क्षण है। यह नियुक्ति सीजेआई भूषण आर गवई की सिफारिश के बाद हुई है।
राष्ट्रपति मुर्मू ने संविधान के अनुच्छेद 124 के खंड (2) द्वारा प्रदत्त शक्तियों का उपयोग करते हुए, जस्टिस सूर्यकांत को भारत के अगले मुख्य न्यायाधीश के रूप में नियुक्त किया। इस प्रक्रिया में संवैधानिक प्रावधानों का पूरी तरह से पालन किया गया, जो न्यायपालिका की स्वतंत्रता और सर्वोच्चता को दर्शाता है।
जस्टिस सूर्यकांत का प्रारंभिक जीवन और करियर
जस्टिस सूर्यकांत का जन्म 10 फरवरी, 1962 को हरियाणा के एक मध्यमवर्गीय परिवार में हुआ था। उन्होंने अपनी कानूनी यात्रा 1984 में हिसार से शुरू की। इसके बाद, वे पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट में प्रैक्टिस करने के लिए चंडीगढ़ चले गए, जहां उन्होंने अपनी कानूनी विशेषज्ञता का प्रदर्शन किया।
अपने करियर के शुरुआती दिनों में, उन्होंने विभिन्न प्रकार के संवैधानिक, सेवा और सिविल मामलों को सफलतापूर्वक संभाला। इसमें उन्होंने कई विश्वविद्यालयों, बोर्डों, निगमों, बैंकों और यहां तक कि स्वयं हाई कोर्ट का भी प्रतिनिधित्व किया, जिससे उनकी बहुमुखी प्रतिभा सामने आई।
महत्वपूर्ण पद और पदोन्नति
जुलाई 2000 में, जस्टिस सूर्यकांत को हरियाणा का सबसे कम उम्र का एडवोकेट जनरल नियुक्त किया गया, जो उनकी असाधारण योग्यता और क्षमता का प्रमाण था। इसके बाद, 2001 में उन्हें सीनियर एडवोकेट के रूप में नामित किया गया, जिससे उनके कानूनी कद में और वृद्धि हुई।
9 जनवरी 2004 को, उन्हें पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट का स्थायी न्यायाधीश नियुक्त किया गया। अक्टूबर 2018 से 24 मई 2019 तक उन्होंने हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के रूप में कार्य किया। इसी तारीख को उन्हें सुप्रीम कोर्ट में पदोन्नत किया गया, जहां वे वर्तमान में अपनी सेवाएं दे रहे हैं। नवंबर 2024 से, वे सुप्रीम कोर्ट लीगल सर्विसेज कमेटी के अध्यक्ष के रूप में भी कार्यरत हैं, जो न्याय तक पहुंच सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
राजनीति