Jalore Rajasthan: जालोर में दुर्लभ हिमालयन ग्रिफॉन गिद्ध रेस्क्यू, बीमार होने से उड़ नहीं पा रहा था
जालोर (Jalore) के सायला (Sayla) उपखंड में शुक्रवार को एक दुर्लभ हिमालयन ग्रिफॉन गिद्ध (Himalayan Griffon Vulture) मिला, जो उड़ नहीं पा रहा था। ग्रामीणों की सूचना पर वन विभाग (Forest Department) ने उसे रेस्क्यू कर लिया। इसे बीमार होने की आशंका है और इलाज जारी है।
जालोर: जालोर (Jalore) के सायला (Sayla) उपखंड में शुक्रवार को एक दुर्लभ हिमालयन ग्रिफॉन गिद्ध (Himalayan Griffon Vulture) मिला, जो उड़ नहीं पा रहा था। ग्रामीणों की सूचना पर वन विभाग (Forest Department) ने उसे रेस्क्यू कर लिया। इसे बीमार होने की आशंका है और इलाज जारी है।
सायला उपखंड के देता कलां इलाके में रोहिनवाड़ा वगताजी भगत का बेरा गांव में ग्रामीणों ने इस विशालकाय गिद्ध को जमीन पर बैठा देखा। गिद्ध स्पष्ट रूप से उड़ पाने में असमर्थ था और कमजोर दिख रहा था, जिसके बाद गांव वालों ने तुरंत वन विभाग को इसकी सूचना दी ताकि उसकी जान बचाई जा सके।
ग्रामीणों ने दी सूचना, वन विभाग ने किया रेस्क्यू
सूचना मिलते ही जालोर डीएफओ जयदेव चारण ने इस दुर्लभ प्रजाति के गिद्ध को बचाने के लिए त्वरित कार्रवाई के निर्देश दिए। उन्होंने वन मित्र भगाराम और वनपाल ईश्वर सिंह राव को एक विशेष टीम के साथ तत्काल मौके पर भेजा। टीम ने अत्यधिक सावधानी बरतते हुए और सुरक्षित तरीके से गिद्ध को रेस्क्यू कर लिया। प्रारंभिक जांच में गिद्ध के शरीर पर कोई बाहरी चोट या घाव नहीं पाया गया, जिससे यह स्पष्ट हुआ कि वह शारीरिक रूप से घायल नहीं था।
पशुपालन विभाग के चिकित्सक डॉ. संजय माली ने गिद्ध का गहन चेकअप किया और उसकी स्थिति सामान्य पाई, हालांकि उसकी कमजोरी स्पष्ट थी। रेस्क्यू के बाद, गिद्ध को सायला वन चौकी में विशेष निगरानी और पर्यवेक्षण में रखा गया है, जहां उसके स्वास्थ्य का लगातार ध्यान रखा जा रहा है।
बीमार होने की आशंका, इलाज जारी
सहायक वन प्रभारी ईश्वर सिंह ने बताया कि ऐसी प्रबल संभावना है कि सायला क्षेत्र में उगने वाले केमिकल युक्त अनार या किसी संक्रमित मांस का सेवन करने के कारण यह गिद्ध बीमार हो गया हो। इसी वजह से उसकी उड़ान भरने की क्षमता प्रभावित हुई है और वह जमीन पर आ गया।
जोधपुर के प्रसिद्ध माचिया बायोलॉजिकल पार्क के अनुभवी डॉक्टरों की सलाह पर गिद्ध का इलाज स्थानीय निजी डॉक्टरों की निगरानी में चल रहा है। वन विभाग के अधिकारियों ने आश्वस्त किया है कि गिद्ध के पूरी तरह से स्वस्थ और सक्षम होने के बाद उसे उसके प्राकृतिक आवास में सुरक्षित रूप से आजाद कर दिया जाएगा।
जालोर में दिखना असामान्य क्यों?
वन्यजीव विशेषज्ञों के अनुसार, हिमालयन ग्रिफॉन गिद्ध एक अत्यंत दुर्लभ और संरक्षित प्रजाति है। यह बड़े आकार का गिद्ध मुख्य रूप से हिमालय के दुर्गम पहाड़ों, तिब्बत और उच्च पर्वतीय क्षेत्रों में पाया जाता है। जालोर जैसे शुष्क और मैदानी क्षेत्र में इसका दिखना बेहद असामान्य और आश्चर्यजनक घटना मानी जा रही है।
यह गिद्ध सर्दियों के मौसम में अक्सर अपनी जगह बदलते हैं और कम ऊंचाई वाले क्षेत्रों की ओर प्रवास करते हैं। ऐसे में यह संभावना है कि तेज सर्दी के दौर में यह भटककर गलती से जालोर क्षेत्र में पहुंच गया हो। राजस्थान में भी अब तेज सर्दी का दौर शुरू हो गया है, जो इसके अनपेक्षित प्रवास का एक संभावित कारण हो सकता है।
हिमालयन ग्रिफॉन गिद्ध की खासियत
- यह गिद्ध आमतौर पर 4900 से 11,500 फीट की ऊंचाई पर उड़ता है, जो इसे एक प्रभावशाली शिकारी बनाता है।
- यह सैकड़ों फीट की ऊंचाई पर स्थित चट्टानों के किनारों पर अपना विशाल घोंसला बनाता है।
- पंख फैलाने पर इसके पंखों का विस्तार लगभग 8-9 फीट तक हो सकता है।
- इसकी औसत उम्र 35 या उससे अधिक वर्ष तक हो सकती है।
- यह प्रजाति बस्ती बनाकर समूह में रहती है और हिमालय के पहाड़ों के अलावा चीन और अफगानिस्तान में भी पाई जाती है।
मनुष्य के अलावा आमतौर पर कोई अन्य जानवर इस विशालकाय गिद्ध का शिकार नहीं कर पाता, जो इसकी प्राकृतिक सुरक्षा का एक महत्वपूर्ण पहलू है। वन विभाग और स्थानीय ग्रामीण इस दुर्लभ पक्षी के स्वास्थ्य लाभ की कामना कर रहे हैं और उसके ठीक होने का इंतजार कर रहे हैं।