सिरोही: शांतिनगर हाउसिंग सोसाइटी में हुए करोड़ों के घोटाले पर कार्रवाई करने के बजाय राज्यमंत्री ओटाराम देवासी पर घोटालेबाजों को बचाने के आरोप लग रहे हैं। इस मामले में घोटाले की जांच कर रहे अधिकारियों का तबादला कर दिया गया है, और अब ईमानदारी से काम करने वाले सहायक प्रशासनिक अधिकारी को एपीओ (Awaiting Posting Order) करने की तैयारी हो रही है।
क्या है मामला?
शांतिनगर गृह निर्माण सहकारी समिति में करीब तीन करोड़ रुपए के घोटाले का खुलासा हुआ था। जांच सहकारी समितियों के निरीक्षक ऋषभ मरडिया ने की थी, जिनकी रिपोर्ट के बाद कार्रवाई के बजाए उनका तबादला कर दिया गया।
अब सहकारिता विभाग के अतिरिक्त सहायक प्रशासनिक अधिकारी लक्ष्मीकांत खत्री के खिलाफ जांच बैठाकर उन्हें एपीओ करने की प्रक्रिया चल रही है। यह कार्रवाई घोटाले का पर्दाफाश करने वालों पर सवाल उठाती है।
आरटीआई कार्यकर्ता जगदीश सैन के अनुसार, 2020 में शांतिनगर हाउसिंग सोसाइटी को अवसायन (समाप्ति) में लाने की सिफारिश की गई थी ताकि घोटाले को रोका जा सके। लेकिन तत्कालीन उप रजिस्ट्रार नारायण सिंह ने इस पर कोई कदम नहीं उठाया।
घोटाले का खुलासा और तबादले
जांच में खुलासे: निरीक्षक ऋषभ मरडिया ने जांच में तीन करोड़ रुपए के घोटाले का पर्दाफाश किया।
तबादला: घोटाले का खुलासा करने के बाद मरडिया का सिरोही से तबादला कर दिया गया।
लक्ष्मीकांत खत्री पर जांच: अब लक्ष्मीकांत खत्री पर घोटालेबाजों की शिकायत के आधार पर जांच बिठाकर उन्हें एपीओ करने की तैयारी है।
राज्यमंत्री ओटाराम देवासी ने 5 नवंबर 2024 को सहकारिता मंत्री को पत्र लिखकर लक्ष्मीकांत खत्री पर भ्रष्टाचार और अनियमितताओं के आरोप लगाते हुए एपीओ की सिफारिश की थी। इसके आधार पर 14 नवंबर को विभागीय संयुक्त रजिस्ट्रार सुरभि शर्मा ने जांच के आदेश जारी किए।
आरटीआई कार्यकर्ता का आरोप
जगदीश सैन का कहना है कि ईमानदारी से काम करने वाले अधिकारियों को लगातार निशाना बनाया जा रहा है। उन्होंने राज्य मंत्री और सहकारिता मंत्री से आग्रह किया है कि घोटाले का खुलासा करने वाले अधिकारियों को सिरोही में पुनः नियुक्त किया जाए।
ओटाराम देवासी का बयान
राज्यमंत्री ओटाराम देवासी ने इन आरोपों पर अपनी अनभिज्ञता जाहिर की।
पत्र लिखने से इनकार: देवासी ने सहकारिता मंत्री को पत्र लिखने की बात से इंकार किया।
शिकायतों का जवाब: उन्होंने कहा कि लक्ष्मीकांत खत्री के खिलाफ कोई शिकायत नहीं थी।
जांच पर जोर: देवासी ने कहा, "जांच में दूध का दूध और पानी का पानी हो जाएगा।"
समाज की प्रतिक्रिया और प्रशासन की भूमिका
घोटाले के सार्वजनिक होने और घोटालेबाजों को बचाने के प्रयास से जनता में नाराजगी है। स्थानीय समाज, आरटीआई कार्यकर्ता, और अन्य जागरूक नागरिक इस मामले की निष्पक्ष जांच और घोटालेबाजों पर सख्त कार्रवाई की मांग कर रहे हैं।
प्रशासन पर घोटालेबाजों को संरक्षण देने और ईमानदार अधिकारियों को हटाने का आरोप भी लगाया जा रहा है।
शांतिनगर हाउसिंग सोसाइटी घोटाला न केवल एक वित्तीय अनियमितता है, बल्कि इससे प्रशासनिक प्रणाली और राजनेताओं की ईमानदारी पर भी सवाल खड़े हुए हैं। यदि इस मामले की निष्पक्ष जांच नहीं हुई, तो यह मामला सिरोही जिले में प्रशासन और सहकारिता विभाग की विश्वसनीयता को गहरा नुकसान पहुंचा सकता है।