जालोर: स्टेडियम में अव्यवस्थित रावण दहन: जालोर के स्टेडियम में रावण दहन बना हंसी का पात्र, नगर परिषद की लापरवाही उजागर

जालोर के स्टेडियम में रावण दहन नगर परिषद की लापरवाही से अव्यवस्था का शिकार हुआ। पुतले देर से तैयार हुए, रिमोट फेल हुआ, और हाथ से जलाने पड़े।

जालोर: स्टेडियम में अव्यवस्थित रावण दहन

जालोर, राजस्थान: शहर के जिला स्टेडियम में विजयदशमी के अवसर पर आयोजित रावण दहन कार्यक्रम इस बार नगर परिषद की घोर लापरवाही और अव्यवस्था का शिकार हो गया। यह आयोजन, जो हर वर्ष भव्यता से मनाया जाता है, इस बार अव्यवस्थाओं के चलते शहरवासियों के लिए हंसी का पात्र बन गया और प्रशासन पर सवाल खड़े कर गया। रावण, कुंभकरण और मेघनाद के पुतले समय पर तैयार नहीं हो पाए, रिमोट से दहन का प्रयास विफल रहा, और अंततः कार्मिकों को रस्सी और डंडों की मदद से पुतलों को गिराकर जलाना पड़ा।

रावण दहन में देरी और अव्यवस्था

हर साल की तरह, इस बार भी शहर के आहोर रोड पर स्थित शाह पुनाजी गेनाजी स्टेडियम को रावण दहन के लिए चुना गया था। हालांकि, इस बार रावण के पुतले स्टेडियम में करीब एक दिन देरी से लाए गए। नगर परिषद की लापरवाही का आलम यह था कि दहन का समय होने तक भी रावण, कुंभकरण और मेघनाद के पुतले पूरी तरह से तैयार नहीं हो सके। इस चूक के कारण शाम 6 बजे होने वाला रावण दहन विलंबित हो गया।

भगवान राम की शोभायात्रा को भी इंतजार

पुतलों के तैयार न होने के कारण शहर के सुन्देलाव तालाब से रवाना होकर आने वाली भगवान श्री राम की शोभायात्रा को भी करीब आधे घंटे तक मंदिर में ही रोकना पड़ा। यह स्थिति शहरवासियों के लिए निराशाजनक थी, जो इस आयोजन को देखने बड़ी संख्या में स्टेडियम पहुंचे थे। लोग नगर परिषद के कार्मिकों और प्रशासन की लापरवाही को लेकर आपस में चर्चा करते देखे गए, और इस अव्यवस्था के वीडियो व तस्वीरें सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल होने लगीं। जिसके बाद भाजपा के कुछ पार्षदों ने नगर परिषद आयुक्त के प्रति अपनी नाराजगी भी व्यक्त की।

पुतलों के पैर लगाना भूले, जल्दबाजी में हुई चूक

जब शोभायात्रा स्टेडियम के लिए रवाना हुई और पुतले अभी भी तैयार नहीं थे, तो नगर परिषद के कार्मिकों ने आनन-फानन में क्रेन की मदद से पुतलों को खड़ा तो कर दिया, लेकिन रावण, कुंभकरण और मेघनाद के पुतलों के पैर लगाना ही भूल गए। इस जल्दबाजी में, पैरों को पुतलों के पास ही रख दिया गया, और गलती से रावण के पैर कुंभकरण के सामने रख दिए गए। पुतलों को जलाने के लिए उनमें पर्याप्त घास या ज्वलनशील सामग्री भी नहीं लगाई गई थी, जिससे दहन प्रक्रिया जटिल हो गई।

रिमोट फेल, पेट्रोल से भी नहीं जला रावण

भगवान श्रीराम सेना के साथ स्टेडियम पहुंचे और रावण दहन कार्यक्रम शुरू हुआ। चामुंडा माता मंदिर के महंत पवनपुरी महाराज और मुख्य सचेतक जोगेश्वर गर्ग ने इलेक्ट्रॉनिक रिमोट से रावण दहन करने का प्रयास किया, लेकिन रिमोट ने काम ही नहीं किया। इसके बाद परिषद के एक कार्मिक ने रावण के पास जाकर आग लगाई। आग से पुतले पर लगा रंगीन कागज तो जल गया, लेकिन लकड़ी ने आग नहीं पकड़ी। स्थिति इतनी बिगड़ गई कि रावण को जलाने के लिए उस पर पेट्रोल तक डाला गया। पेट्रोल डालने के बाद आग तो लग गई, लेकिन करीब आधे घंटे से भी अधिक समय तक रावण पूरी तरह से नहीं जला और न ही जलकर नीचे गिरा।

अंततः हाथ से गिराकर जलाए गए पुतले

जब सारे प्रयास विफल हो गए और रावण का पुतला जलकर नीचे नहीं गिरा, तो नगर परिषद और ठेकेदार के कुछ कार्मिकों को हस्तक्षेप करना पड़ा। उन्होंने रस्सी और डंडों की मदद से रावण, कुंभकरण और मेघनाद के पुतलों को नीचे गिराकर जलाया। यह दृश्य पूरे कार्यक्रम की अव्यवस्था और लापरवाही का प्रतीक बन गया, जिससे उपस्थित जनसमूह में निराशा और आक्रोश फैल गया।

जिला कलेक्टर ने दिए सख्त कार्रवाई के निर्देश

इस तरह की गंभीर लापरवाही के बाद जिला कलेक्टर डॉ. प्रदीप के. गवांडे ने कड़ी नाराजगी व्यक्त की। उन्होंने नगर परिषद आयुक्त दिलीप माथुर को फटकार लगाते हुए इस अव्यवस्था के लिए जिम्मेदार लोगों और ठेकेदार के खिलाफ सख्त कार्रवाई के निर्देश दिए। इस दौरान जालोर जिला कलेक्टर डॉ. प्रदीप के. गवांडे, एसपी शैलेन्द्र सिंह इंदौलिया, एएसपी मोटाराम, नगर परिषद आयुक्त दिलीप माथुर, भाजपा नगर अध्यक्ष रवि सोलंकी और दिनेश महावर सहित बड़ी संख्या में शहरवासी मौजूद रहे। इस घटना ने स्थानीय प्रशासन की तैयारी और प्रबंधन पर सवाल खड़े कर दिए हैं, खासकर जब आयोजन एक खेल स्टेडियम में हो रहा था।