सूफी संत जोगा नाडी वाले बापू का इंतकाल: कौमी एकता की मिसाल कायम रखने वाले मूडी मस्तान का निधन

कौमी एकता की मिसाल कायम रखने वाले मूडी मस्तान का निधन
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मोदरा/ नजीर खान। जालोर के जसवंतपुरा के समीप जाविया गांव में स्थित कासमशाहा वली की दरगाह पर सूफी संत जोगा नाडी वाले बापू, जिन्हें मूडी मस्तान के नाम से जाना जाता था, का रविवार दोपहर 12.20 बजे निधन हो गया।

जोगा नाडी  वाले बापू ने अपने जीवनकाल में हमेशा पर्यावरण को बढ़ावा देने का काम किया और कासमशाहा वली की दरगाह को बागबान में बदल दिया।  वे जहां भी बैठते थे, वहां पेड़-पौधे लगाते थे ताकि हरियाली बनी रहे।

जसवंतपुरा मुख्यालय से करीब 15 किलोमीटर दूर वीरान पहाड़ियों के बीच स्थित कासमशाह वली की दरगाह पर लाखों लोगों की तकदीर संवारने वाले जोगा नाडी वाले बापू गरीबों की आखरी उम्मीद और दुखियों का सहारा थे। उनके इंतकाल की खबर से उनके चाहने वालों में शोक की लहर छा गई।

उनका जनाजा सुबह करीब दस बजे पीर हसन बापू डीसा वाले ने पढ़ाया। देर रात को दोलपुरा के चौराहा के पास बापू द्वारा बनाए गए बगीचे के पास वाली जमीन पर उन्हें दफनाया गया। उनके जनाजे में हजारों मुरीद शामिल हुए। दोलपुरा में हाइवे के किनारे स्थित उनके विश्राम गृह में उनके जनाजे को रखा गया और वहीं पर दफनाया गया।

मुड़ी मस्तान हमेशा अपने मुरीदों के चेहरे पर मुस्कान लाने का काम करते थे। जो भी उनके पास दु:खी होकर आता था, वह हंसता हुआ लौटता था। उनकी दुआओं से हर कोई उनका मुरीद बन जाता था।

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