Rajasthan: सांचौर जिले की पुनः बहाली को लेकर महापड़ाव: जनता का आक्रोश

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जालौर, राजस्थान | सांचौर जिले को निरस्त करने के राजस्थान सरकार के फैसले के खिलाफ जनता का आक्रोश बढ़ता जा रहा है। क्षेत्रवासियों ने 30 दिसंबर 2024 को जिला कलेक्टर कार्यालय के सामने महापड़ाव का ऐलान किया है। यह आंदोलन सरकार के फैसले को पलटने और सांचौर जिले को पुनः बहाल कराने की मांग को लेकर आयोजित किया जा रहा है।

सांचौर जिला पूर्ववर्ती सरकार द्वारा रामलुभाया कमेटी की सिफारिशों के आधार पर गठित किया गया था। इस कमेटी ने जनसंख्या और दूरी जैसे महत्वपूर्ण कारकों को ध्यान में रखकर जिले की आवश्यकता को उचित ठहराया था। सांचौर की जालोर से 145 किलोमीटर की दूरी को देखते हुए जिला मुख्यालय बनने से स्थानीय लोगों को प्रशासनिक कार्यों में बड़ी सुविधा मिली थी।

हालांकि, 28 दिसंबर 2024 को भाजपा सरकार ने सांचौर जिले को निरस्त कर दिया, जबकि समान स्थिति वाले अन्य नए जिलों (जैसे डींग, खैरथल, और सलूम्बर) को बरकरार रखा गया। इस फैसले से स्थानीय निवासियों में गहरा असंतोष है।

जनता की मांगें और आक्रोश
क्षेत्रवासियों का कहना है कि सांचौर जिले का निरस्तीकरण जनहित के विपरीत है। उन्होंने इसे प्रशासनिक असमानता करार देते हुए सरकार से तत्काल जिले की बहाली की मांग की है। इससे पहले भी 25 सितंबर से 2 अक्टूबर 2024 तक अनशन और प्रदर्शन के माध्यम से लोगों ने अपनी बात सरकार तक पहुंचाई थी।

महापड़ाव का आयोजन
महापड़ाव के दौरान हजारों लोगों के जुटने की संभावना है, जो इस आंदोलन को और बड़ा बना सकता है। ज्ञापन के माध्यम से प्रशासन को चेतावनी दी गई है कि यदि सांचौर जिले को पुनः बहाल नहीं किया गया तो आंदोलन और उग्र हो सकता है।

सरकार के सामने चुनौती
सरकार के इस फैसले के बाद सांचौर के लोग गहरे असमंजस में हैं। यह मुद्दा सिर्फ प्रशासनिक नहीं बल्कि राजनीतिक भी बन गया है। अब यह देखना होगा कि सरकार जनता की इस मांग पर क्या प्रतिक्रिया देती है।

आने वाले दिनों में बढ़ सकता है दबाव
यह आंदोलन राजस्थान की राजनीति में एक बड़ा मुद्दा बन सकता है। जनता और सरकार के बीच चल रहे इस संघर्ष का समाधान कब और कैसे होगा, यह आने वाला समय बताएगा।

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