Rajasthan: कोटा-बूंदी एयरपोर्ट: NBWL ने ट्रांसमिशन, ड्रेनेज को दी मंजूरी
कोटा-बूंदी ग्रीनफील्ड एयरपोर्ट (Kota-Bundi Greenfield Airport) को नेशनल बोर्ड फॉर वाइल्डलाइफ (NBWL) से बड़ी राहत मिली है। तीन प्रस्तावों को मंजूरी मिलने से एयरपोर्ट निर्माण तेजी पकड़ेगा।
कोटा: कोटा-बूंदी ग्रीनफील्ड एयरपोर्ट (Kota-Bundi Greenfield Airport) को नेशनल बोर्ड फॉर वाइल्डलाइफ (NBWL) से बड़ी राहत मिली है। तीन प्रस्तावों को मंजूरी मिलने से एयरपोर्ट निर्माण तेजी पकड़ेगा।
परियोजना को मिली बड़ी राहत
नेशनल बोर्ड फॉर वाइल्डलाइफ (NBWL) की बैठक में कोटा-बूंदी ग्रीनफील्ड एयरपोर्ट परियोजना से जुड़े तीन महत्वपूर्ण प्रस्तावों को स्वीकृति मिली है। यह निर्णय एयरपोर्ट के निर्माण कार्य के लिए एक बड़ी बाधा को दूर करता है।
इन प्रस्तावों में रामगढ़ विषधारी टाइगर रिजर्व के बफर क्षेत्र में सीमित वन भूमि का उपयोग कर तकनीकी और संरचनात्मक कार्यों को आगे बढ़ाने की अनुमति शामिल है। इससे परियोजना को गति मिलेगी।
ट्रांसमिशन लाइनों की शिफ्टिंग को मंजूरी
मंजूरी मिलने के बाद राजस्थान राज्य विद्युत प्रसारण निगम लिमिटेड (RVPNL) अब ट्रांसमिशन लाइनों की शिफ्टिंग का कार्य शुरू कर सकेगा। यह कार्य एयरपोर्ट निर्माण के समानांतर चलेगा।
बैठक में 9.863 हेक्टेयर वन भूमि के उपयोग की अनुमति दी गई है। यह मौजूदा 220 केवी डबल सर्किट सकतपुरा-मांडलगढ़ ट्रांसमिशन लाइन को शिफ्ट करने के लिए आवश्यक थी।
इसके अतिरिक्त, 4.4206 हेक्टेयर वन भूमि पर प्रस्तावित 400 केवी PGCIL-अंता लाइन की शिफ्टिंग को भी हरी झंडी मिल गई है। इन दोनों ही महत्वपूर्ण कार्यों को RVPNL द्वारा पूरा किया जाएगा।
ड्रेनेज सिस्टम का रास्ता साफ
कोटा विकास प्राधिकरण (KDA) द्वारा एयरपोर्ट परिसर के बाहर प्रस्तावित स्टॉर्म वाटर ड्रेनेज सिस्टम को भी NBWL ने मंजूरी दे दी है। इस प्रणाली के लिए 0.85 हेक्टेयर क्षेत्र वन भूमि में आ रहा था।
इस नए ड्रेनेज सिस्टम से एयरपोर्ट क्षेत्र में बारिश के पानी का सुरक्षित और व्यवस्थित तरीके से निपटारा हो सकेगा। यह एयरपोर्ट के सुचारु संचालन के लिए बेहद महत्वपूर्ण है।
एयरपोर्ट निर्माण में आएगी तेजी
इन सभी स्वीकृतियों के बाद कोटा-बूंदी ग्रीनफील्ड एयरपोर्ट परियोजना का निर्माण कार्य अब तेजी से आगे बढ़ पाएगा। लंबे समय से प्रतीक्षित इस परियोजना को अब धरातल पर उतारने में मदद मिलेगी।
यह क्षेत्र के विकास और कनेक्टिविटी के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है, जिससे स्थानीय अर्थव्यवस्था को भी लाभ होगा।