विधानसभा में राष्ट्रपति का संबोधन: चुनावों से पहले जनप्रतिनिधियों को राष्ट्रपति मुर्मू का बड़ा संदेश, ’मैं और मेरा’ छोड़ दें
राष्ट्रपति मुर्मू ने अपने संबोधन में कहा कि, ’जनप्रतिनिधि जनता के प्रति उत्तरदायी होते हैं। उनका आचार-विचार जनहित की दिशा में जनता के लिए होना चाहिए। जनप्रतिनिधियों की सोच ’मैं’ और ’मेरा’ को छोड़कर ’हमारा’ होना चाहिए।
जयपुर | राजस्थान में विधानसभा चुनावों से पहले महामहिम राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू (President Draupadi Murmu) ने राजस्थान विधानसभा में अपने विशेष संबोधन में ’जनप्रतिनिधियों’ को बेहद अहम मंत्र दिया।
राष्ट्रपति मुर्मू ने अपने संबोधन में कहा कि, ’जनप्रतिनिधि जनता के प्रति उत्तरदायी होते हैं। उनका आचार-विचार जनहित की दिशा में जनता के लिए होना चाहिए।
जनप्रतिनिधियों की सोच ’मैं’ और ’मेरा’ को छोड़कर ’हमारा’ होना चाहिए।
मैं और मेरा सोचने से देश और समाज का हित नहीं होता, इसलिए जनप्रतिनिधियों को हमेशा जनता के लिए, राज्य के लिए सोचना चाहिए।
राष्ट्रपति मुर्मू ने सबसे पहले राजस्थान की पावन धरा को नमन किया और कहा कि 1952 में राजस्थान विधानसभा का गठन हुआ था तब से लेकर आज तक इस विधानसभा द्वारा 71 सालों का गौरवशाली इतिहास रचा गया है।
राजस्थान विधानसभा से निकले विधायक संभाल रहे हैं संसद
राष्ट्रपति मुर्मू ने राजस्थान और यहां के विधायकों की तारीफ करते हुए कहा कि राजस्थान विधानसभा से निकले विधायक आज संसद की दोनों सदनों की अध्यक्षता कर रहे हैं।
राज्यसभा में उपराष्ट्रपति जगदीप धनकड़ और लोकसभा में ओम बिरला की भूमिका का बेहद सराहनीय है।
इसी के साथ राष्ट्रपति ने कहा कि राष्ट्रपति भवन की गणना विश्व के सबसे प्रभावशाली भवनों में की जाती है।
राष्ट्रपति भवन के निर्माण में लगे अधिकांश पत्थर राजस्थान से ही गए थे। राष्ट्रपति भवन के सुंदर निर्माण में राजस्थान के अनेक कारीगरों का परिश्रम और कौशल शामिल है।
राष्ट्रपति के संबोधन से पहले राजस्थान विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी ने अपने स्वागत संबोधन में कहा कि आज का दिन गौरवमयी होने के साथ ही ऐतिहासिक भी है।
विधानसभा में अपने संबोधन के बाद महामहिम राष्ट्रपति मुर्मू हैलीकाप्टर से सीकर में स्थित खाटू श्याम जी धाम के लिए रवाना हो गई।
बता दें कि, राष्ट्रपति मुर्मू की जयपुर विजिट के लिए कई दिनों पहले से ही तैयारियां शुरू हो गई थी।
राष्ट्रपति के आगमन को लेकर प्रशासन लगातार रिहर्सल में लगा हुआ था। पुलिस प्रशासन ने चाक-चौबंद व्यवस्था की हुई थी।
देश में हमने आर्थिक, सामाजिक और राजनीतिक समानता की कल्पना की थी। हमने राजनीतिक समानता हासिल की है, लेकिन आज भी आर्थिक और सामाजिक समानता के लिए कई और लक्ष्य प्राप्त करने की ज़रूरत है।