Rajasthan: RJS 2025 परिणाम: जोधपुर की स्वाति जोशी ने 14वीं रैंक हासिल की

राजस्थान न्यायिक सेवा परीक्षा 2025 (Rajasthan Judicial Service Exam 2025) के परिणाम जारी हो गए हैं। जोधपुर (Jodhpur) की स्वाति जोशी (Swati Joshi) ने 14वीं रैंक हासिल की। यह उनका छठा प्रयास था।

RJS परिणाम: जोधपुर की स्वाति ने रचा इतिहास

जोधपुर: राजस्थान न्यायिक सेवा परीक्षा 2025 के परिणाम जारी हो गए हैं। जोधपुर की स्वाति जोशी ने 14वीं रैंक हासिल की। यह उनका छठा प्रयास था।

इन परिणामों में कुल 44 पदों पर अभ्यर्थियों का चयन किया गया है। इस वर्ष के परिणाम कई मायनों में खास रहे हैं, क्योंकि इनमें दृढ़ संकल्प और अथक परिश्रम की कई प्रेरणादायक कहानियाँ सामने आई हैं।

स्वाति जोशी: छह बार प्रयास, चौथी बार इंटरव्यू, आखिर बनीं RJS

जोधपुर शहर की स्वाति जोशी ने अपनी असाधारण लगन और मेहनत के दम पर 14वीं रैंक हासिल कर न्यायिक सेवा में प्रवेश किया है। उनकी यह सफलता वर्षों की तपस्या और अटूट संकल्प का जीवंत प्रमाण है।

शादीशुदा होने के बावजूद, स्वाति जोशी ने अपनी पढ़ाई और तैयारी में कोई कसर नहीं छोड़ी। उन्होंने EWS कैटेगरी में कुल 183 अंक प्राप्त कर अंतिम चयन सूची में अपनी जगह बनाई है, जो उनकी कड़ी मेहनत को दर्शाता है।

उनके अंकों का विवरण देखें तो, उन्हें लॉ पेपर-I में 53.5 और लॉ पेपर-II में 55.5 अंक मिले। भाषा के प्रश्नपत्रों में उन्हें क्रमशः 25 और 26 अंक प्राप्त हुए, जबकि इंटरव्यू में उन्होंने 23 अंक हासिल किए।

स्वाति ने बताया कि उन्होंने 2015 में अपनी एलएलबी पूरी की थी और उसके बाद से ही वह लगातार RJS की तैयारी में जुटी हुई थीं। यह उनका छठा अटेम्प्ट था, जिसमें उन्होंने छह बार मुख्य परीक्षा दी और चार बार साक्षात्कार का सामना किया।

इतने प्रयासों के बाद मिली यह सफलता उनकी हार न मानने वाली प्रवृत्ति को उजागर करती है। उन्होंने अपने अनुभव साझा करते हुए कहा, 'अपने लक्ष्य से भटके नहीं। आपको प्रयास नहीं छोड़ने हैं। एक दिन सिलेक्शन जरूर होगा।' यह संदेश उन सभी अभ्यर्थियों के लिए प्रेरणा है, जो बार-बार असफलताओं का सामना कर रहे हैं।

सोनल बोहरा: 41 की उम्र में दिव्यांगता के बावजूद 26वीं रैंक

RJS-2025 के फाइनल परिणाम में जोधपुर की सोनल बोहरा ने 26वीं रैंक हासिल कर एक अद्भुत मिसाल कायम की है। उनकी यह उपलब्धि न केवल उनके लिए बल्कि समाज के हर वर्ग के लिए प्रेरणा का स्रोत बनी है।

जनरल कैटेगरी से ताल्लुक रखने वाली सोनल एक दिव्यांग (PwBD) अभ्यर्थी हैं। उन्होंने 41 वर्ष की परिपक्व उम्र (जन्मतिथि 17-08-1984) में यह सफलता प्राप्त की है, जो उनकी दृढ़ इच्छाशक्ति और अदम्य साहस को दर्शाता है।

विनायक जोशी की पुत्री और विवाहित सोनल ने कुल 162.5 अंक प्राप्त कर अंतिम चयन सूची में अपनी जगह पक्की की। उनकी यह सफलता साबित करती है कि उम्र या शारीरिक बाधाएं कभी भी सपनों को पूरा करने में रुकावट नहीं बन सकतीं।

उनके अंकों का विस्तृत विवरण भी उल्लेखनीय है। उन्हें लॉ पेपर-I में 38.5, लॉ पेपर-II में 59, भाषा-I में 23 और भाषा-II में 24 अंक मिले। साक्षात्कार (Interview) में उन्होंने 18 अंक हासिल किए, जो उनके समग्र और संतुलित प्रदर्शन का हिस्सा है।

रितिका चौधरी: ग्रामीण परिवेश से निकलकर 24वीं रैंक

जोधपुर की पीपाड़ तहसील के सिलारी गांव की रहने वाली रितिका चौधरी ने राजस्थान न्यायिक सेवा (RJS) परीक्षा में सफलता प्राप्त कर अपने गांव और परिवार का नाम रोशन किया है। उन्होंने राज्य स्तर पर 24वीं रैंक हासिल की है।

रितिका ने ग्रामीण परिवेश से निकलकर विधि की पढ़ाई पूरी की और अपनी मेहनत से यह साबित किया कि संसाधनों की कमी या भौगोलिक स्थिति कभी भी प्रतिभा के आड़े नहीं आती। उनकी यह सफलता ग्रामीण क्षेत्रों के युवाओं के लिए एक बड़ा प्रेरणा स्रोत है।

रितिका की इस उपलब्धि पर सिलारी गांव में उत्साह का माहौल है। परिजनों ने बताया कि रितिका पढ़ाई में हमेशा अव्वल रही हैं और उनकी यह सफलता पूरे गांव के लिए गर्व का विषय है।

उनके पिता सुखदेव चौधरी जोधपुर में ठेकेदारी का कार्य करते हैं। उन्होंने अपनी बेटी को हमेशा उच्च शिक्षा प्राप्त करने और अपने सपनों को पूरा करने के लिए प्रेरित किया, जिसका परिणाम आज सबके सामने है।

सरवर खान: न्यायिक परिवार की गौरवशाली परंपरा को आगे बढ़ाया

हाईकोर्ट में प्रैक्टिस कर रहे एडवोकेट सरवर खान का भी RJS परीक्षा में चयन हुआ है। उन्होंने 19वीं रैंक हासिल कर अपने परिवार की गौरवशाली न्यायिक और प्रशासनिक परंपरा को एक नई ऊंचाई दी है।

सरवर ने भारती विद्यापीठ, पुणे से विधि स्नातक (LL.B.) की डिग्री प्राप्त की है। इसके अतिरिक्त, उन्होंने हिदायतुल्लाह राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय, रायपुर (छत्तीसगढ़) से कॉरपोरेट लॉ में विधि स्नाातकोत्तर (LL.M.) की पढ़ाई पूरी की है, जो उनकी अकादमिक उत्कृष्टता को दर्शाता है।

सरवर मूल रूप से डीडवाना के गाँव झाड़ोद के रहने वाले हैं। उनका परिवार राजस्थान हाईकोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायाधीश जस्टिस भंवरू खां के परिवार से सम्बन्ध रखता है, जिसकी एक लंबी और प्रतिष्ठित पृष्ठभूमि रही है।

उनके परिवार की पहचान विधि, प्रशासनिक एवं पुलिस सेवा के क्षेत्र में लंबे समय से रही है। यह परिवार सार्वजनिक सेवा के प्रति अपनी प्रतिबद्धता के लिए जाना जाता है।

परिवार के दो दर्जन से अधिक सदस्य राजस्थान हाईकोर्ट सहित विभिन्न न्यायालयों में अधिवक्ता के रूप में सक्रिय हैं। इसके अतिरिक्त, इसी परिवार से 14 आरपीएस अधिकारी भी रहे हैं, जो सार्वजनिक सेवा की सुदृढ़ और गहरी परंपरा को दर्शाता है। सरवर खान के दादाजी महबूब खान स्वयं एक सेवानिवृत्त उप पुलिस अधीक्षक रहे हैं।

रेणु सिंगारिया: शादी के 19 दिन बाद जज बनकर पूरा किया दादा का सपना

जोधपुर की रेणु सिंगारिया ने RJS परीक्षा में 33वीं रैंक प्राप्त कर न केवल अपने लिए बल्कि अपने दादा के सपने को भी साकार किया है। उनकी यह सफलता इसलिए भी विशेष है क्योंकि उनकी शादी 30 नवंबर को ही हुई थी, यानी परिणाम घोषित होने से ठीक 19 दिन पहले।

अनुसूचित जाति (SC) वर्ग से आने वाली रेणु ने कुल 155 अंक प्राप्त किए हैं। यह स्कोर उनकी श्रेणी की कट-ऑफ (146 अंक) से काफी अधिक है, जो उनके उत्कृष्ट और प्रभावशाली प्रदर्शन को दर्शाता है।

उनके अंकों का विश्लेषण करें तो, उन्हें लॉ पेपर-I में 43, लॉ पेपर-II में 48.5, भाषा-I में 22 और भाषा-II में 22.5 अंक हासिल हुए। इंटरव्यू में उन्हें 19 अंक प्राप्त हुए, जो उनके आत्मविश्वास और ज्ञान को परिलक्षित करते हैं।

रेणु ने भावुक होकर बताया कि उनके दादा का हमेशा से सपना था कि उनकी पोती जज बनेगी। उन्होंने इस सपने को पूरा करने में अपने परिवार के अटूट समर्थन और प्रोत्साहन को महत्वपूर्ण बताया।

उन्होंने अन्य अभ्यर्थियों को संदेश देते हुए कहा, 'हमेशा खुद पर विश्वास रखें। सेलेक्शन जरूर होगा।' यह प्रेरणादायक संदेश उनकी अपनी यात्रा का सार है और बताता है कि आत्म-विश्वास ही सफलता की कुंजी है।

सूर्या परिहार: भोपालगढ़ से 17वीं रैंक के साथ सफलता

मूलतया भोपालगढ़ उपखंड क्षेत्र के हिंगोली की रहने वाली सूर्या परिहार ने RJS-2025 में 17वीं रैंक प्राप्त कर अपने गांव के साथ-साथ पूरे जिले का नाम रोशन किया है। उनकी यह उपलब्धि कड़ी मेहनत, समर्पण और सही दिशा में किए गए प्रयासों का परिणाम है।

सूर्या का मानना है कि यह सफलता केवल शैक्षणिक योग्यता का परिणाम नहीं है, बल्कि कड़ी मेहनत, अनुशासन और आत्मविश्वास का संयुक्त परिणाम है। उन्होंने इन गुणों को अपनी सफलता का आधार बताया।

उनका कहना है कि न्यायिक सेवा के माध्यम से वे समाज में न्याय और संवैधानिक मूल्यों को मजबूत करना चाहती हैं। वे इस पद का उपयोग समाज के कमजोर वर्गों को न्याय दिलाने और विधि के शासन को स्थापित करने में करना चाहती हैं।

सूर्या भविष्य में इस क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य करने का संकल्प रखती हैं। उनका लक्ष्य केवल एक पद प्राप्त करना नहीं, बल्कि न्यायिक प्रणाली में सकारात्मक बदलाव लाना और समाज के प्रति अपनी जिम्मेदारियों को निभाना है।

निष्कर्ष: दृढ़ संकल्प और निरंतर प्रयास का फल

RJS 2025 के परिणाम यह एक बार फिर दर्शाते हैं कि दृढ़ संकल्प, निरंतर प्रयास और अटूट विश्वास के साथ किसी भी लक्ष्य को प्राप्त किया जा सकता है, चाहे रास्ते में कितनी भी बाधाएँ क्यों न आएं।

स्वाति जोशी, सोनल बोहरा, रितिका चौधरी, सरवर खान, रेणु सिंगारिया और सूर्या परिहार जैसे सफल अभ्यर्थियों की कहानियाँ अनगिनत युवाओं को प्रेरित करेंगी। ये कहानियाँ बताती हैं कि सच्ची लगन और मेहनत कभी व्यर्थ नहीं जाती।

इन सभी ने न केवल अपनी व्यक्तिगत आकांक्षाओं को पूरा किया है, बल्कि समाज में न्याय और सेवा के प्रति अपनी गहरी प्रतिबद्धता भी दिखाई है। उनकी सफलताएँ यह संदेश देती हैं कि चुनौतियों का सामना करते हुए भी अपने सपनों को साकार किया जा सकता है और समाज में सकारात्मक योगदान दिया जा सकता है।