रूस में फंसे भारतीय: बेनीवाल ने उठाया मुद्दा: रूस-यूक्रेन युद्ध में फंसे भारतीय युवा: बेनीवाल ने लोकसभा में उठाया मुद्दा
राजस्थान (Rajasthan) के नागौर (Nagaur) से सांसद हनुमान बेनीवाल (Hanuman Beniwal) ने रूस (Russia) में फंसे भारतीय युवाओं का मुद्दा लोकसभा (Lok Sabha) में उठाया। उन्होंने कहा कि 61 भारतीय, जिनमें 5 राजस्थानी हैं, धोखे से युद्ध क्षेत्र में भेजे गए हैं। बेनीवाल ने राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन (Vladimir Putin) के भारत दौरे से पहले सुरक्षित वापसी की मांग की।
नई दिल्ली: राजस्थान (Rajasthan) के नागौर (Nagaur) से सांसद हनुमान बेनीवाल (Hanuman Beniwal) ने रूस (Russia) में फंसे भारतीय युवाओं का मुद्दा लोकसभा (Lok Sabha) में उठाया। उन्होंने कहा कि 61 भारतीय, जिनमें 5 राजस्थानी हैं, धोखे से युद्ध क्षेत्र में भेजे गए हैं। बेनीवाल ने राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन (Vladimir Putin) के भारत दौरे से पहले सुरक्षित वापसी की मांग की।
राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी (आरएलपी) के अध्यक्ष और नागौर से लोकसभा सांसद हनुमान बेनीवाल ने मंगलवार, 3 दिसंबर को लोकसभा में रूस में फंसे भारतीय युवाओं का मुद्दा उठाया। उन्होंने इस गंभीर मानवीय विषय पर विदेश मंत्री का ध्यान आकर्षित करते हुए कहा कि कई भारतीय युवाओं को धोखे से रूस-यूक्रेन युद्ध क्षेत्र में धकेला गया है। यह मुद्दा ऐसे समय में उठाया गया है, जब रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन भारत के दो दिवसीय दौरे पर आने वाले हैं।
लोकसभा में बेनीवाल ने उठाया गंभीर मुद्दा
हनुमान बेनीवाल ने लोकसभा के शून्यकाल के दौरान यह मामला उठाया। उन्होंने सदन को बताया कि रूस में कुल 61 भारतीय युवा फंसे हुए हैं, जिनमें से 5 राजस्थान के निवासी हैं। बेनीवाल ने कहा कि ये नागरिक स्टडी वीजा या वर्क वीजा पर रूस गए थे, लेकिन वहां के एजेंटों ने उन्हें धोखे से युद्ध क्षेत्र में भेज दिया। उन्होंने बताया कि इन युवाओं के परिजनों ने उनसे मुलाकात कर अपनी पीड़ा व्यक्त की है और मदद की गुहार लगाई है।
रूस में फंसे 61 भारतीय युवा: बेनीवाल का दावा
सांसद बेनीवाल ने प्रभावित परिवारों से प्राप्त विवरणों का हवाला देते हुए बताया कि राजस्थान के मनोज सिंह शेखावत, अजय कुमार, संदीप सूंडा, महावीर प्रसाद और करमचंद सहित कुल 61 युवक पिछले कई महीनों से रूस-यूक्रेन युद्ध में जबरन सैन्य गतिविधियों में लगाए गए हैं। उन्होंने चिंता व्यक्त की कि इन युवाओं का पिछले 3 से 4 महीनों से अपने परिवारों से कोई संपर्क नहीं हो पाया है, जिससे उनके परिजन अत्यधिक चिंतित हैं।
परिवारों की पीड़ा और जंतर मंतर पर प्रदर्शन
इन फंसे हुए भारतीयों के परिवारों ने अपनी पीड़ा और चिंता को सरकार तक पहुंचाने के लिए दिल्ली के जंतर मंतर पर धरना प्रदर्शन भी किया है। यह प्रदर्शन 3 नवंबर और 1 दिसंबर को आयोजित किया गया था, जिसमें उन्होंने अपने प्रियजनों की सुरक्षित वापसी की मांग की थी। परिवारों का कहना है कि उन्हें अपने बच्चों की सुरक्षा को लेकर लगातार डर सता रहा है।
पुतिन के भारत दौरे से पहले कूटनीतिक पहल की मांग
हनुमान बेनीवाल ने इस मुद्दे को ऐसे महत्वपूर्ण समय पर उठाया है जब रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन 4 दिसंबर की शाम को दिल्ली पहुंचने वाले हैं। पुतिन 23वें भारत-रूस वार्षिक शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए भारत आ रहे हैं और इस दौरान उनकी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भी मुलाकात होगी। बेनीवाल ने प्रधानमंत्री और विदेश मंत्री से आग्रह किया है कि वे पुतिन के साथ कूटनीतिक स्तर पर इस मुद्दे पर चर्चा करें, ताकि फंसे हुए भारतीय युवाओं की सुरक्षित और जल्द वापसी सुनिश्चित की जा सके।
राजस्थान के युवाओं की आपबीती
दो महीने पहले, जयपुर के एक युवक ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर अपनी आपबीती सुनाई थी। उसने बताया था कि उसे जबरन रूसी सेना में भर्ती कर लिया गया है और अब उसे सीमा पर लड़ाई के लिए भेजा जा रहा है। युवक ने अपने परिवार को भेजे संदेश में बताया था कि रूस पहुंचने के बाद उसके सभी दस्तावेज वहां के एजेंटों ने अपने पास रख लिए थे, जिससे उसकी वापसी मुश्किल हो गई है।
जयपुर और बीकानेर के युवकों की गुहार
इससे पहले, बीकानेर के कुछ युवकों ने भी वीडियो कॉल के जरिए अपनी भयावह स्थिति बताई थी। उन्होंने कहा था कि उन्हें बंकरों में रखा गया है, जहां उन्हें पर्याप्त भोजन नहीं मिलता और हर समय गोलाबारी तथा ड्रोन हमलों का खतरा बना रहता है। इन घटनाओं से स्पष्ट होता है कि भारतीय युवाओं को किस तरह धोखे से युद्ध के मोर्चे पर धकेला जा रहा है और उनकी जान जोखिम में डाली जा रही है।
भारत सरकार पर अब यह दबाव है कि वह इन युवाओं की सुरक्षित वापसी के लिए तत्काल और प्रभावी कदम उठाए। हनुमान बेनीवाल द्वारा लोकसभा में उठाया गया यह मुद्दा सरकार को इस संवेदनशील विषय पर त्वरित कार्रवाई करने के लिए प्रेरित करेगा, विशेषकर रूसी राष्ट्रपति के भारत दौरे के मद्देनजर।