सबसे युवा सांसद बने थे: विधानसभा चुनाव में अपनी ऊंची उड़ान के लिए तैयार सचिन पायलट, मोदी लहर से बच नहीं पाए थे
महज 26 साल की उम्र में सबसे युवा सांसद बनने वाले सचिन पायलट सीएम गहलोत (Ashok Gehlot ) के साथ वर्चस्व की लड़ाई लड़ते-लड़ते पांच सालों से संघर्ष करते रहे हैं।
जयपुर | Sachin Pilot Birthday: राजस्थान में मुख्यमंत्री पद के सबसे बड़े दावेदार माने जाने वाले सचिन पायलट आज अपना 46वां जन्मदिन मना रहे हैं।
महज 26 साल की उम्र में सबसे युवा सांसद बनने वाले सचिन पायलट सीएम गहलोत (Ashok Gehlot ) के साथ वर्चस्व की लड़ाई लड़ते-लड़ते पांच सालों से संघर्ष करते रहे हैं।
जिसके चलते उन्हें उप मुख्यमंत्री पद भी गंवाना पड़ा। हालांकि प्रदेश में विधानसभा चुनावों से पूर्व ये वर्चस्व की लड़ाई शांत दिख रही है।
कांग्रेसी नेता सचिन पायलट के जन्मदिन पर उनके हजारों प्रशंसक उन्हें बधाई दे रहे हैं।
ऐसे में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने भी पायलट को जन्मदिन की बधाई दी है।
सीएम अशोक ने सचिन पायलट को ट्वीट कर लिखा है कि, कांग्रेस परिवार के साथी श्री सचिन पायलट जी को जन्मदिन की हार्दिक बधाई। ईश्वर आपको सुखी, स्वस्थ व चिरायु जीवन प्रदान करें।
इसी के साथ पीसीसी चीफ गोविंद सिंह डोटासरा ने भी पायलट को जन्मदिन की बधाई देते हुए ट्वीट कर लिखा कि कांग्रेस वर्किंग कमेटी के सदस्य एवं टोंक विधायक श्री सचिन पायलट जी को जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएं।
मैं ईश्वर से आपके स्वस्थ एवं सुदीर्घ जीवन की कामना करता हूं।
बता दें कि सचिन पायलट इस बार अपने जन्मदिन पर भारत से बाहर विदेशी दौरे पर हैं। जिसके चलते उनके जन्मदिन पर कोई बड़ा कार्यक्रम नहीं रखा गया है।
राजस्थान की सियासत में बहुत ही कम उम्र में सचिन पायलट ने अपनी मजबूत पकड़ बनाई है।
अमेरिका के पेंसिलवानिया विश्वविद्यालय के व्हॉर्टन स्कूल से एमबीए की डिग्री हासिल करने वाले सचिन पायलट लोगों के हितों के लिए हमेशा खड़े रहे।
इसी का परिणाम रहा कि 26 साल की उम्र में सबसे युवा सांसद बने और 40 साल की उम्र में ही प्रदेश अध्यक्ष और उप मुख्यमंत्री की जिम्मेदारी भी संभाल ली।
मोदी लहर से नहीं बच पाए पायलट
सचिन पायलट राजस्थान की राजनीति के दिग्गज खिलाड़ी रहे हैं। उन्होंने 2009 के लोकसभा चुनाव में भाजपा की किरण माहेश्वरी को हराकर अजमेर से सांसद का चुनाव जीता और कांग्रेस का परचम लहरया।
पार्टी ने पायलट की इस उपलब्धि का इनाम उन्हें 2012 में मनमोहन सरकार में संचार एवं सूचना प्रौद्योगिकी केंद्रीय मंत्री बनाकर दिया।
लेकिन, 2014 के लोकसभा चुनाव पायलट पर भारी पड़े। उस दौरान चली मोदी लहर ने पूरे देश को अपने आगोश में ले लिया जिससे राजस्थान भी अछूता नहीं रहा। ऐसे में पायलट भी अपनी अजमेर सीट नहीं बचा पाए और उन्हें चुनाव में हार का सामना करना पड़ा।
गहलोत सरकार में उपमुख्यमंत्री का पद गंवाने के बाद भी पायलट बड़ी ही शालीनता से अपने ऊपर हो रहे प्रहारों का जवाब देते नजर आए। पायलट अब नई उम्मीद और जोश के साथ आगामी विधानसभा चुनाव में अपनी ऊंची उड़ान के लिए तत्पर है।