गोदाम के नाम पर चल रही दुकानें : सिरोही में शराब गोदाम की आड़ में अवैध ठेके ही चलाए जा रहे हैं
जैतावाड़ा गांव की दुकान के नाम पर गुजरात सीमा पर रेवदर के समीप एक अवैध शराब दुकान का संचालन हो रहा है। इसे कागजों में गोदाम के रूप में दर्ज किया गया है। यह दुका
रेवदर | सिरोही जिले में मद्य संयम नीति मद्य प्रोत्साहन नीति अधिक नजर आती है। सिरोही के जैतावाड़ा गांव वाली दुकान का गोदाम गुजरात सीमा पर क्यों संचालित है। समझ से परे है। इसी तरह आबूरोड के समीप सियावा गांव की शराब का गोदाम छापरी चेकपोस्ट पर क्यों है। हैरत है कि सरकारें बदलने पर कभी कांग्रेस तो कभी बीजेपी के नेता भी चांदी कूटने में इन अवैध दुकानों के रहनुमा बने हुए हैं।
जैतावाड़ा गांव की दुकान के नाम पर गुजरात सीमा पर रेवदर के समीप एक अवैध शराब दुकान का संचालन हो रहा है। इसे कागजों में गोदाम के रूप में दर्ज किया गया है। यह दुकान सूर्यागढ़ नामक रिसोर्ट के पीछे स्थित है और यहां से शराब की अवैध बिक्री खुलेआम हो रही है। आठ बजे वाले कायदे तो छोड़िए ड्राई डे पर भी यहां सुरा बिकती है।
यह स्थिति राज्य सरकार की मद्य-निषेध नीति को धता बताने वाली है, जो असल में मद्यप्रोत्साहन नीति बनकर रह गई है। सरकार की नीति के अनुसार, शराब की दुकानों को सीमित करना और मद्य संयम को बढ़ावा देना चाहिए था, लेकिन गुजरात के सीमावर्ती क्षेत्रों में अवैध रूप से चल रही दुकानों ने इस नीति की सच्चाई को उजागर किया है।
गुजरात सीमा से महज कुछ कदम की दूरी पर स्थित Suryagarh Resort के समीप शराब की एक अवैध दुकान संचालित हो रही है, जिसे कागजों में गोदाम बताया गया है। यहां खुलेआम शराब बेची जा रही है
गुजरात सीमा के पास बड़ी संख्या में अवैध शराब दुकानें
अगर सही तरीके से मैपिंग की जाए, तो सिरोही और गुजरात सीमा के आसपास बड़ी संख्या में शराब की दुकानें दिखाई देंगी। यह इलाके शराब की तस्करी के लिए प्रमुख स्थान बन चुके हैं, जहां से शराब गुजरात में अवैध रूप से सप्लाई की जाती है।
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जैतावाड़ा में चल रही यह अवैध दुकान इसका प्रमुख उदाहरण है, जो प्रशासन की अनदेखी और आबकारी विभाग की मिलीभगत का नतीजा है। हालांकि आबकारी विभाग के अफसरों पर दबाव है अधिकाधिक शराब बेचने का। जबकि कानून मद्य संयम का बताया जाता है। इसे सीधे तौर प्रदेश में कथनी और करनी में अंतर माना जाता है।
स्थानीय नेताओं की भूमिका पर सवाल
स्थानीय स्तर पर बीजेपी के कई नेता भी इस अवैध शराब व्यापार में संलिप्त बताए जा रहे हैं। उनका प्रभाव इस क्षेत्र में चल रहे अवैध कारोबार की जांच में बाधा डाल रहा है।
हालांकि इस संबंध में अभी तक कोई ठोस कार्यवाही नहीं हुई है, लेकिन इस मामले ने राजनीति और अवैध व्यापार के बीच के संबंधों पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। वैसे जब कांग्रेस का शासन रहता है तो उस पार्टी से जुड़े नेता भी कम नहीं है।
मद्य संयम या मद्य प्रोत्साहन?
राजस्थान सरकार की मद्य संयम नीति, जिसे शराब की बिक्री को नियंत्रित करने के लिए लागू किया गया था, अब केवल कागजों तक सीमित नजर आ रही है। जैतावाड़ा और सिरोही जैसे क्षेत्रों में अवैध शराब की दुकानें राज्य सरकार की प्राथमिकताओं को सवालों के घेरे में लाती हैं।
क्या रेवेन्यू संग्रह सरकार के लिए मद्य-निषेध से अधिक महत्वपूर्ण हो गया है? इस नीति के तहत शराब की दुकानों को सीमित करना था, लेकिन इसके उलट अवैध ठेके और गोडामों का संचालन सरकार की कथनी और करनी में अंतर को दिखाता है।
गुजरात की मद्य-निषेध नीति पर भी पड़ रहा है असर
गुजरात के सीमावर्ती क्षेत्रों में अवैध शराब की दुकानों से गुजरात में मद्य-निषेध कानून का उल्लंघन हो रहा है। शराब की तस्करी से गुजरात सरकार की नीति कमजोर पड़ रही है और इसका प्रभाव गुजरात के समाज पर भी देखने को मिल रहा है।
सिरोही और आसपास के जिले गुजरात में अवैध शराब सप्लाई के मुख्य केंद्र बन गए हैं, जहां से करोड़ों की अवैध शराब गुजरात पहुंचाई जा रही है।
सिरोही की शराब खपत: आंकड़े बनाम हकीकत
अगर हम आंकड़ों की बात करें, तो 2011 की जनगणना के अनुसार सिरोही की आबादी 1 लाख 36 हजार 346 थी, लेकिन साल 2023-24 में इस जिले ने 331 करोड़ रुपये की शराब की खपत की।
यह खपत दर्शाती है गुजरात में अवैध रूप से सप्लाई होने वाली शराब का योगदान महत्वपूर्ण है। बॉर्डर के ठेकों से बिकती करोड़ों की शराब इसकी बड़ी वजह है और आबकारी विभाग के अफसर आंखें मूंदे हुए हैं।
पाली जिले, जिसकी आबादी 2011 में 20 लाख से अधिक थी, वहां की शराब खपत सिरोही के बराबर है। इससे स्पष्ट है कि सिरोही का बड़ा हिस्सा गुजरात में अवैध रूप से शराब सप्लाई करने में भी लगा हुआ है। छापरी चेकपोस्ट पर चल रही अवैध दुकान इसका एक स्पष्ट उदाहरण है।
शराबखोरी में सिरोही की खपत और राजस्थान सरकार की नीति
राजस्थान का सिरोही जिला, जो प्रदेश के क्षेत्रफल का मात्र 1.51 प्रतिशत है, राज्य में शराब खपत के मामले में काफी आगे है। सिरोही की प्रति व्यक्ति शराब खपत सालाना 3,400 रुपये तक पहुंच गई है, जबकि पूरे प्रदेश की औसत खपत 1,600 रुपये प्रति व्यक्ति है।
यह स्थिति तब है जब राजस्थान सरकार शराब नीति को 'मद्य संयम' के रूप में प्रचारित करती है।
सिरोही में शराब की इतनी खपत इस बात की ओर इशारा करती है कि राज्य सरकार रेवेन्यू कलेक्शन पर अधिक जोर दे रही है।