क्या है मामला: यूडीएच मंत्री शांति धारीवाल और गृह सचिव को सुप्रीम कोर्ट का नोटिस

सुप्रीम कोर्ट ने यूडीएच मंत्री शांति धारीवाल और गृह सचिव को सिंगल लीज मामले में नोटिस जारी किया है। यह आदेश अशोक पाठक की एसएलपी पर दिया गया है, जिन्होंने एकल पट्टा मामले में एसीबी में दर्ज प्राथमिकी को रद्द करने के राजस्थान उच्च न्यायालय के फैसले और शांति धारीवाल के खिलाफ निचली अदालत की कार्रवाई को चुनौती दी थी।

Shanti Dhariwal

जयपुर | सुप्रीम कोर्ट ने एक बड़े घटनाक्रम में यूडीएच मंत्री शांति धारीवाल और गृह सचिव को सिंगल लीज मामले में नोटिस जारी किया है। 

यह आदेश अशोक पाठक की एसएलपी पर दिया गया है, जिन्होंने एकल पट्टा मामले में एसीबी में दर्ज प्राथमिकी को रद्द करने के राजस्थान उच्च न्यायालय के फैसले और शांति धारीवाल के खिलाफ निचली अदालत की कार्रवाई को चुनौती दी थी।

एसएलपी के मुताबिक केवल शिकायतकर्ता की सहमति के आधार पर भ्रष्टाचार के खिलाफ दर्ज मामले को रद्द नहीं किया जा सकता है। 

मामला राज्य सरकार के भ्रष्टाचार के खिलाफ है, जो इस मामले को उसके तार्किक निष्कर्ष तक ले जाने के लिए और भी महत्वपूर्ण बनाता है।

हाईकोर्ट ने भी अपने फैसले में सुप्रीम कोर्ट द्वारा पूर्व में दिए गए निर्देशों की अनदेखी की थी। 

निचली अदालत ने पुलिस की क्लोजर रिपोर्ट को रद्द कर आगे की जांच का निर्देश दिया था, लेकिन धारीवाल ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर चल रही जांच और निचली अदालत की कार्रवाई को रद्द करने का अनुरोध किया था।

मामले में भ्रष्टाचार के गंभीर आरोपों के बावजूद उच्च न्यायालय ने याचिका को स्वीकार कर लिया और एसीबी और अदालत की कार्यवाही को रद्द कर दिया।

निचली अदालत ने पहले कहा था कि जांच एजेंसी ठीक से जांच नहीं कर रही थी और एक साल तक केस डायरी में एंट्री भी नहीं की थी।

अभियोजन पक्ष ने कथित तौर पर उच्च न्यायालय से तथ्य भी छिपाए थे।

सुप्रीम कोर्ट ने स्थिति पर ध्यान दिया है और इस मामले में आवश्यक दिशा-निर्देश प्रदान करने की संभावना है। 

मामला परिवादी रामशरण सिंह की गणपति कंस्ट्रक्शन कंपनी को सिंगल लीज जारी करने में धांधली से जुड़ा है। एसीबी ने कंपनी के मालिक शैलेंद्र गर्ग, पूर्व यूडीएच सचिव जीएस संधू, जेडीए जोन-10 के तत्कालीन डिप्टी कमिश्नर ओंकारमल सैनी, निष्काम दिवाकर और हाउसिंग कोऑपरेटिव सोसाइटी के अधिकारियों अनिल अग्रवाल और विजय मेहता के खिलाफ मामला दर्ज किया था।

ऐसे में अब इस मामले के परिणाम पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ने की संभावना है और कानूनी विशेषज्ञों और पर्यवेक्षकों द्वारा समान रूप से बारीकी से देखा जाएगा।