Rajasthan High Court: वकीलों के मानसिक स्वास्थ्य पर कार्यशाला: मेडिटेशन से तनाव मुक्ति

जोधपुर (Jodhpur) में राजस्थान हाईकोर्ट लॉयर्स एसोसिएशन (Rajasthan High Court Lawyers Association) ने वकीलों के मानसिक स्वास्थ्य और तनाव प्रबंधन पर एक कार्यशाला आयोजित की। जस्टिस डॉ. नुपूर भाटी (Justice Dr. Nupur Bhati) ने मेडिटेशन को तनाव मुक्ति के लिए महत्वपूर्ण बताया।

तनाव मुक्ति के लिए मेडिटेशन जरूरी: जस्टिस भाटी

जोधपुर: राजस्थान हाईकोर्ट लॉयर्स एसोसिएशन (Rajasthan High Court Lawyers Association) ने वकीलों के मानसिक स्वास्थ्य और तनाव प्रबंधन पर एक कार्यशाला आयोजित की। जस्टिस डॉ. नुपूर भाटी (Justice Dr. Nupur Bhati) ने मेडिटेशन को तनाव मुक्ति के लिए महत्वपूर्ण बताया।

राजस्थान उच्च न्यायालय के ऑडिटोरियम में "A Rendezvous for Mindful Lawyering" शीर्षक से यह विशेष कार्यशाला आयोजित की गई थी। इस पहल का मुख्य उद्देश्य अधिवक्ताओं में बढ़ते कार्यभार, मामलों की अधिकता और व्यस्त दिनचर्या के कारण उत्पन्न तनाव को प्रभावी ढंग से दूर करना था।

जस्टिस डॉ. नुपूर भाटी का मार्गदर्शन

कार्यशाला में मुख्य वक्ता के रूप में जस्टिस डॉ. नुपूर भाटी ने वकीलों को मेडिटेशन और माइंडफुलनेस के महत्व पर गहन मार्गदर्शन प्रदान किया। उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि तनाव से मुक्ति पाने और मानसिक शांति बनाए रखने के लिए ध्यान (मेडिटेशन) अत्यंत आवश्यक है।

एसोसिएशन के महासचिव मनीष टाक ने बताया कि कार्यक्रम में मुख्य अतिथि जस्टिस भाटी का स्वागत एसोसिएशन के वर्तमान अध्यक्ष आनन्द पुरोहित और नवनिर्वाचित अध्यक्ष दिलीप सिंह उदावत ने किया। जस्टिस भाटी ने इस तरह की विशेष कार्यशाला के आयोजन को अधिवक्ताओं के मानसिक स्वास्थ्य के लिए एक सराहनीय पहल बताया।

मेडिटेशन के लाभ और व्यावहारिक टिप्स

जस्टिस भाटी ने विस्तार से समझाया कि मेडिटेशन न केवल कार्य संबंधी तनाव को कम करता है, बल्कि यह वकीलों को सकारात्मक, संतुलित और आत्मनियंत्रित बनाए रखने में भी सहायक होता है। यह उनकी पेशेवर दक्षता को बढ़ाता है।

कार्यशाला के दौरान अधिवक्ताओं को मेडिटेशन के सरल और प्रभावी टिप्स दिए गए। इसके साथ ही, इन टिप्स का दैनिक जीवन में उपयोग करने का व्यावहारिक तरीका भी समझाया गया, जिससे वे अपनी व्यस्त दिनचर्या में इन्हें आसानी से शामिल कर सकें।

मानसिक शांति से न्याय प्रक्रिया में सुधार

जस्टिस डॉ. भाटी ने इस बात पर विशेष बल दिया कि जब एक वकील मानसिक रूप से शांत और सकारात्मक होता है, तभी वह न्याय के हित में अधिक प्रभावी, निष्पक्ष और संवेदनशील योगदान दे सकता है। मानसिक स्थिरता न्यायिक प्रक्रिया की गुणवत्ता के लिए महत्वपूर्ण है।

उन्होंने कहा कि मेडिटेशन और माइंडफुलनेस के नियमित अभ्यास से वकील अपने दायित्वों को शांति और स्पष्टता के साथ निभा सकते हैं। यह उन्हें कार्यस्थल पर उत्पन्न तनाव को सफलतापूर्वक दूर करने में भी मदद करता है।

वकीलों के कल्याण हेतु महत्वपूर्ण पहल

महासचिव मनीष टाक ने बताया कि यह कार्यशाला वकीलों के मानसिक स्वास्थ्य, सकारात्मक सोच और न्यायिक प्रक्रिया में संतुलित योगदान की दिशा में एक अत्यंत महत्वपूर्ण पहल सिद्ध हुई है। यह कदम कानूनी समुदाय के कल्याण के प्रति एसोसिएशन की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।

इस कार्यशाला में एसोसिएशन के समस्त वर्तमान एवं नवनिर्वाचित पदाधिकारी, कार्यकारिणी सदस्यगण, राजकीय अधिवक्ता, बार कौंसिल सदस्य सहित भारी संख्या में अधिवक्तागण एवं विधि छात्र उपस्थित रहे। कार्यक्रम का सफल और सुचारु संचालन कार्यकारिणी सदस्य गोपाल सान्दु ने किया।